Sunday, July 20, 2025
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जरनेटर चलाकर सोए 3 बुजुर्ग सुबह उठे ही नहीं: कार्बन मॉनो ऑक्साइड गैस से दम घुट गया, रिश्तेदार की मौत पर सूरत आई थीं दो महिलाएं – Gujarat News


जहरीले कार्बन मोनोऑक्साइड गैस ने तीनों की जान ले ली।

गुजरात में सूरत जिले के भाठा गांव में तीन बुजुर्गों की दम घुटने से मौत हो गई। बताया जा रहा है कि पेट्रोल जनरेटर से निकले जहरीले कार्बन मोनोऑक्साइड गैस ने तीनों की जान ले ली। क्योंकि, बिजली न होने से रात को कमरे के पास ही जनरेटर चल रहा था।

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दो महिलाएं रिश्तेदार की मौत पर आई थीं घर भाठा गांव में रहने वाले 77 वर्षीय बाबूभाई ढोलिया पटेल की पत्नी का हाल ही में निधन हो गया था। इसी के चलते शोक व्यक्त करने उनके घर कोशंबा से दो रिश्तेदार महिलाएं आई हुई थीं। घर में बिजली ने होने के चलते बाबूभाई ने पेट्रोल वाला जनरेटर चला रखा था। बाबूभाई और दो रिश्तेदार महिलाएं सीताबेन (उम्र 56) और वेदाबेन (उम्र 60) एक ही कमरे में सो रहे थे। इन्हीं तीनों की मौत हुई है।

परिवार के लोग साथ में रात का भोजन करने के बाद बगल के कमरे में सोने चले गए। मकान में बिजली की लाइन न होने के कारण बाबूभाई ने गर्मी से राहत के लिए जनरेटर चालू किया। कमरे का दरवाजा और खिड़कियां बंद थीं, जिससे जनरेटर से निकली जहरीली गैस पूरे कमरे में भर गई और दम घुटने से तीनों की मौत हो गई।

पुलिस ने जांच के लिए जनरेटर भी जब्त कर लिया है।

कमरे में मेरे पापा, मौसी और एक रिश्तेदार दादी सो रहे थे। सुबह जब मैंने दरवाजा खोला तो देखा कि तीनों की हालत खराब थी और वे उठ नहीं रहे थे। मैंने तुरंत लोगों से मदद मांगी और 108 पर कॉल किया। मौसी और दादी कल ही आई थीं, जबकि मैं 5 दिन पहले घर आया था। मेरे पापा यहां अकेले रहते थे और मैं इच्छापुर में रहता हूं। मेरी पत्नी और मैं बगल वाले कमरे में ही सो रहे थे। – सुनील पटेल, मृतक के पुत्र

गर्मी में अक्सर मेहमानों के आने पर वे पूरी रात जनरेटर चलाते थे, लेकिन उस वक्त खिड़कियां खोल देते थे और केवल मच्छरदानी लगाते थे। इस बार शायद खिड़की खोलना भूल गए, जिससे यह दुर्घटना घटी गई। – अस्मिता, बाबूभाई की बहू

तीनों शव पोस्टमॉर्टम के लिए सिविल हॉस्पिटल भेजे गए।

तीनों शव पोस्टमॉर्टम के लिए सिविल हॉस्पिटल भेजे गए।

आवेदन के बावजूद कनेक्शन नहीं दे रहा डीजीवीसीएल एक साल पहले ग्राउंड में बिजली कनेक्शन के लिए आवेदन किया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। डेढ़ महीने पहले फिर से आवेदन किया गया तो डीजीवीसीएल ने अतिरिक्त फेज की मांग करते हुए फिर से आवेदन करने को कहा। – संजयभाई, क्रिकेट ग्राउंड के मालिक

पहले बार ही घर में पेट्रोल जेनरेटर चलाया था। वो भी मेहमान आए थे इसलिए वरना घर के बाहर बाहर ही चलता था। बिजली की दिक्कत रहती थी। प्राथमिक तौर पर पता चला कि कार्बन मोनोऑक्साइड निकलने से दम घुटा है। विसरा लिया गया है और एफएसएल भेज दिया है। – केएल गाधे, पुलिस इंस्पेक्टर, पाल थाना

भाठा गांव का वह घर, जहां ये हादसा हुआ।

भाठा गांव का वह घर, जहां ये हादसा हुआ।

CO गैस शरीर में ऑक्सीजन की सप्लाई को बाधित कर देती है पेट्रोल जेनरेटर को बंद कमरे में चालू करके रखना जानलेवा साबित हो सकता है। ऐसा करने से पेट्रोल जेनरेटर से निकलने वाली कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) गैस कमरे में भर जाती है, जो बिना गंध और रंग वाली होती है। यह गैस शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति को बाधित कर सकती है, जिससे व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है और वह बेहोश हो जाता है, साथ ही दम घुटने से उसकी मौत भी सकती है।

ऐसे मामलों में अक्सर नींद में ही व्यक्ति की मौत जाती है, क्योंकि व्यक्ति को समय रहते खतरे का आभास नहीं हो पाता। पेट्रोल वाले जेनरेटर का उपयोग हमेशा खुले या अच्छी तरह हवादार स्थान पर ही करना चाहिए। – नरेंद्र सिंह, जनरेटर व्यापारी



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