Tuesday, July 8, 2025
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AI से मच्छरों की गिनती, लोकेशन ट्रैकिंग और ताबड़तोड़ फॉगिंग, सरकार का प्लान…


Agency:एजेंसियां

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AI mosquito control system: आंध्र प्रदेश सरकार ने मच्छरों पर काबू पाने के लिए SMoSS लॉन्च किया है. AI तकनीक, ड्रोन और सेंसर की मदद से मच्छरों की पहचान, निगरानी और फॉगिंग की जाएगी ताकि बीमारियों को रोका जा सके.

आंध्र प्रदेश सरकार का SMoSS प्रोजेक्ट. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

हाइलाइट्स

  • आंध्र सरकार ने मच्छर नियंत्रण के लिए स्मार्ट सिस्टम SMoSS शुरू किया.
  • AI, ड्रोन और सेंसर से मच्छरों की निगरानी और फॉगिंग होगी.
  • अस्पतालों से केस डेटा लेकर हॉटस्पॉट क्षेत्रों में कार्रवाई की जाएगी.

आंध्र प्रदेश: बारिश के मौसम में मच्छरों का आतंक बढ़ जाता है. आंध्र प्रदेश सरकार ने अब इस समस्या से निपटने के लिए एक नई पहल शुरू की है. इस योजना का नाम है स्मार्ट मच्छर सर्विलांस सिस्टम (SMoSS). यह एक पायलट प्रोजेक्ट है, जिसे राज्य के छह नगर निगमों के 66 जगहों पर शुरू किया जाएगा. इसमें विशाखापत्तनम, विजयवाड़ा, काकीनाडा, राजमहेंद्रवरम, नेल्लोर और कुरनूल जैसे शहर शामिल हैं.

हर साल बारिश के वक्त राज्य में डेंगू और मलेरिया के मामले काफी बढ़ जाते हैं. साल 2023 में राज्य में 6,453 डेंगू केस आए थे, जबकि 2024 में अब तक 5,555 केस सामने आ चुके हैं. ऐसे में सरकार ने मच्छरों की संख्या को कम करने और बीमारियों से बचाव के लिए इस तकनीकी तरीका अपनाया है.

कैसे करेगा ये सिस्टम काम?
SMoSS सिस्टम में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से लैस मच्छर सेंसर, ड्रोन और दूसरे उपकरण लगाए जाएंगे. ये मशीनें मच्छरों की प्रजाति, उनका लिंग, संख्या और आसपास के तापमान और नमी जैसी जानकारियां जुटाएंगी. जैसे ही किसी इलाके में मच्छरों की संख्या तय सीमा से ज्यादा होगी, सिस्टम तुरंत अलर्ट भेज देगा. इसके बाद नगर निगम की टीमें वहां जाकर स्प्रे या फॉगिंग करेंगी.

ब्लाइंड स्प्रे‘ की जगह स्मार्ट इलाज
अभी तक मच्छरों को भगाने के लिए अंदाज़े से स्प्रे किया जाता है, जिससे असर बहुत कम होता है. लेकिन SMoSS सिस्टम की मदद से अब पूरे डेटा के आधार पर फॉगिंग की जाएगी. सेंसर बताएंगे कि कहां कितने मच्छर हैं, और वहीं पर दवा डाली जाएगी. ड्रोन के जरिए कीटनाशक छिड़कने से ज्यादा इलाकों में कम समय और कम खर्च में काम हो सकेगा.

हर पल की जानकारी एक ही जगह
इस पूरे सिस्टम का एक रियल टाइम डैशबोर्ड भी होगा, जो सारी जानकारी एक केंद्रीय सर्वर को भेजेगा. इससे किसी भी इलाके की स्थिति पर तुरंत नज़र रखी जा सकेगी और तेजी से कदम उठाए जा सकेंगे.

इस सिस्टम का पूरा संचालन बाहर की प्रोफेशनल एजेंसियों को सौंपा जाएगा. सरकार उनके काम के हिसाब से पेमेंट करेगी. अगर किसी को कोई शिकायत होती है तो उसे मोबाइल ऐप्स (Vector Control और Puramitra) के ज़रिए दर्ज किया जा सकेगा, और उस पर कार्रवाई भी होगी.

अस्पतालों से भी मिलेगी मदद
इस काम में अस्पतालों की भी बड़ी भूमिका होगी. वे हर दिन डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के मामलों की रिपोर्ट भेजेंगे. इससे यह पता चलेगा कि कौन-कौन से इलाके मच्छर जनित बीमारियों के हॉटस्पॉट बन रहे हैं. ऐसे इलाकों में खास प्लान के तहत फॉगिंग और दवा छिड़काव किया जाएगा.

सरकार का साफ कहना है कि इस पूरे अभियान का मकसद लोगों की सेहत की रक्षा करना है. मच्छरों पर समय रहते काबू पाकर बीमारियों को फैलने से रोका जाएगा. यही SMoSS सिस्टम की सोच और ताकत है- तकनीक की मदद से बीमारियों की रोकथाम.

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