पटना. बिहार में भी अब कनाडा, फ्रांस, रूस, अमेरिका और जापान जैसे देशों के परमाणु वैज्ञानिक और इंजीनियर आएंगे. यह सपना मोदी सरकार ने बिहार चुनाव से पहले दिखाया है. दरअसल, बिहार में पहला परमाणु ऊर्जा संयंत्र लगने जा रहा है. खास बात की जिन देशों का जिक्र किया है, उन देशों के साथ भारत ने परमाणु साझेदारी कर रखी है. बिहार में बिजली की कमी को दूर करने और ऊर्जा क्षेत्र में क्रांति लाने के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा ऐलान किया है. केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने 24 जून 2025 को पटना में बड़ा ऐलान करते हुए कहा था कि बिहार में भी अब परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित होगा. यह संयंत्र देश की नई परमाणु ऊर्जा मिशन के तहत बनने वाले छह छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों (SMRs) में से एक होगा.
कहां बनेगा परमाणु संयंत्र?
किन देशों को बेचेगा बिजली?
फिलहाल, बिहार के प्रस्तावित परमाणु संयंत्र से बिजली निर्यात की कोई आधिकारिक योजना नहीं है. भारत का परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम मुख्य रूप से घरेलू बिजली जरूरतों को पूरा करने पर केंद्रित है. बिहार में यह संयंत्र राज्य की बिजली मांग को पूरा करने और ग्रिड स्थिरता बढ़ाने के लिए बनाया जा रहा है. भारत पहले से ही रूस, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से यूरेनियम आयात करता है, लेकिन बिजली निर्यात का कोई ठोस प्रस्ताव सामने नहीं आया. भविष्य में अगर बिजली का निर्यात करती है तो नेपाल,भूटान, बांग्लादेश और म्यांमार जैसे देशों को की जा सकती है.
चुनावी साल में मोदी सरकार का प्लान
बिहार के लिए इसका महत्व
बिहार में बिजली की कमी लंबे समय से चुनौती रही है. यह संयंत्र न केवल बिजली आपूर्ति को स्थिर करेगा, बल्कि उद्योगों को बढ़ावा देगा और रोजगार सृजन करेगा. SMRs का डिजाइन पारंपरिक बड़े रिएक्टरों से छोटा और सुरक्षित है, जिससे निर्माण समय और लागत कम होगी. हालांकि, फुकुशिमा हादसे के बाद परमाणु संयंत्रों को लेकर जनता में डर भी है. बिहार सरकार को स्थानीय लोगों को भरोसा दिलाना होगा कि सुरक्षा मानकों का पालन होगा.