नई दिल्ली5 घंटे पहले
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CJI बीआर गवई 23 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं।
भारत के 52वें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बीआर गवई का शुक्रवार को आखिरी वर्किंग डे था। CJI गवई ने अपने अंतिम कार्य दिवस पर न्यायपालिका की स्वतंत्रता को संविधान की मूल संरचना बताते हुए कहा कि 2021 के ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स कानून की प्रमुख धाराओं को रद्द करने का फैसला इसी सिद्धांत पर आधारित था।
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के विदाई कार्यक्रम में 52वें CJI ने कहा कि कि उक्त कानून की कुछ प्रावधान न्यायिक स्वतंत्रता के विपरीत थे और इसलिए उन्हें रद्द किया गया। वे 23 नवंबर (रविवार) को पद छोड़ेंगे।
गवई ने कहा कि उनका सफर संविधान तथा उनके माता-पिता के संस्कारों ने उन्हें यहां तक पहुंचाया।उन्होंने कहा, “40 साल पहले शुरू हुई मेरी यात्रा से मैं बेहद संतुष्ट हूं।”

जस्टिस बीआर गवई गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में अपने विदाई कार्यक्रम में शामिल हुए।
क्रीमीलयर फैसले पर आलोचना का जिक्र
CJI गवई ने अपने उस चर्चित फैसले को भी याद किया जिसमें उन्होंने अनुसूचित जाति वर्ग पर भी क्रीमीलयर सिद्धांत लागू करने की बात कही थी। उन्होंने बताया कि इस फैसले की आलोचना हुई, पर उन्होंने कभी इसका जवाब देने की जरूरत महसूस नहीं की।
उन्होंने कहा कि न्याय और समानता संविधान के मूल मूल्य हैं और उसी के अनुरूप यह फैसला दिया गया।
गवई ने उदाहरण देते हुए कहा, “क्या एक वरिष्ठ IAS अधिकारी के बेटे को उसी आधार पर लाभ मिलना चाहिए जिस आधार पर एक दूरदराज़ के SC समुदाय के गरीब किसान का बेटा लाभ पाता है?”
जनजातीय समुदाय के लिए कार्य करने की इच्छा व्यक्त की
उन्होंने कहा कि अब वह अपने इलाके के जनजातीय समुदाय के लिए काम करना चाहते हैं, क्योंकि वे उनके दिल के बेहद करीब हैं।
बार और बेंच को बताया ‘सुनहरे रथ के दो पहिये’
कार्यक्रम में मौजूद वकीलों ने सीजेआई को स्टैंडिंग ओवेशन दिया। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका की मजबूती बार और बेंच की एकजुटता में निहित है।
जस्टिस सूर्याकांत ने की तारीफ
सीजेआई-डिज़ाइनट और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत ने गवई की तारीफ की। उन्होंने कहा कि गवई ने हमेशा संवाद, सहानुभूति और भरोसे को महत्व दिया और उनके नेतृत्व में संस्थागत सामंजस्य बढ़ा।जस्टिस कांत 24 नवंबर से नए मुख्य न्यायाधीश का पद संभालेंगे।
सीजेआई गवई का करियर
- 16 मार्च 1985: वकालत की शुरुआत
- 2003: बॉम्बे हाई कोर्ट में अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त
- 2005: हाईकोर्ट के स्थायी जज बने
- 2019: सुप्रीम कोर्ट के जज बने
- 2022: भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश
सीजेआई गवई ने अपने संबोधन में कहा कि उनका विश्वास है कि संवाद के माध्यम से संस्थाएं मजबूत होती हैं और उनका तीन साल का कार्यकाल उसी का प्रमाण है।
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह ने कहा कि भारत के निवर्तमान CJI बी आर गवई ने बार की गरिमा को बहाल किया और हमेशा यह माना कि बार और बेंच एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। जब वह भारत के मुख्य न्यायाधीश बने, तो उन्होंने तुरंत पत्रों का प्रचलन बहाल किया, जो बार में एक बड़ी समस्या थी।
इसके पहले गुरुवार को एक फेयरवेल प्रोग्राम में CJI गवई ने कहा- मैं बौद्ध धर्म को मानने वाला हूं, लेकिन वास्तव में एक सेक्युलर (धर्मनिरपेक्ष) व्यक्ति हूं। हिंदू, सिख, इस्लाम समेत सभी धर्मों में विश्वास रखता हूं।
जस्टिस गवई ने आगे कहा कि मैंने धर्मनिरपेक्षता अपने पिता से सीखी है। मेरे पिता भी पूरी तरह से सेक्युलर थे और डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर के अनुयायी थे। ये सभी बातें CJI ने एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन (SCAORA) की ओर से आयोजित उनके विदाई समारोह में कही।
CJI बीआर गवई का आज शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में आखिरी वर्किंग डे था। वे 23 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं। जस्टिस सूर्यकांत देश के अगले मुख्य न्यायाधीश होंगे। वे 24 नवंबर को पदभार संभालेंगे। जस्टिस कांत 53वें CJI के तौर पर 14 महीने का कार्यकाल पूरा करेंगे। वे 9 फरवरी, 2027 को रिटायर होंगे।

CJI गवई के पिछले 3 चर्चित बयान…
4 नवंबर- संविधान में न्याय और समानता के सिद्धांत
CJI बीआर गवई ने 4 नवंबर को कहा था कि लोकतंत्र के तीनों अंग कार्यपालिका, अदालत और संसद ये तीनों मिलकर जनता के कल्याण के लिए काम करते हैं, कोई भी अकेले काम नहीं कर सकता। स्वतंत्रता, न्याय और समानता के सिद्धांत भारतीय संविधान में हैं, जो हर संस्था की कार्यप्रणाली का आधार हैं।
उन्होंने कहा- न्यायपालिका के पास न तो तलवार की ताकत है और न ही शब्दों की। ऐसे में जनता का विश्वास ही उसकी सबसे बड़ी ताकत है। कार्यपालिका की भागीदारी के बिना न्यायपालिका और कानूनी शिक्षा को पर्याप्त बुनियादी ढांचा देना कठिन है। पूरी खबर लिखें…

11 अक्टूबर: डिजिटल युग में लड़कियां सबसे ज्यादा असुरक्षित, टेक्नॉलॉजी शोषण का जरिया बनी
मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई ने कहा था कि डिजिटल दौर में लड़कियां नई तरह की परेशानियों और खतरों का सामना कर रही हैं। टेक्नॉलॉजी सशक्तिकरण नहीं, शोषण का जरिया बन गई है। लड़कियों के लिए आज ऑनलाइन हैरेसमेंट, साइबर बुलिंग, डिजिटल स्टॉकिंग, निजी डेटा के दुरुपयोग और डीपफेक तस्वीरें बड़ी चिंता बन गई हैं। पूरी खबर पढ़ें…
4 अक्टूबरः बुलडोजर एक्शन का मतलब कानून तोड़ना
चीफ जस्टिस (CJI) बीआर गवई ने कहा था कि भारतीय न्याय व्यवस्था रूल ऑफ लॉ यानी (कानून के शासन) से चलती है, इसमें बुलडोजर एक्शन की जगह नहीं है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल के फैसले में अदालत ने स्पष्ट किया था कि किसी आरोपी के खिलाफ बुलडोजर चलाना कानून की प्रक्रिया को तोड़ना है। पूरी खबर पढ़ें…
देश के 53वें चीफ जस्टिस बनेंगे जस्टिस सूर्यकांत
सुप्रीम कोर्ट के सीनियर जज जस्टिस सूर्यकांत को देश के 53वां चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) होंगे। वे 24 नवंबर को शपथ लेंगे। कानून मंत्रालय ने गुरुवार, 30 अक्टूबर को ये जानकारी दी। वे मौजूदा CJI भूषण रामकृष्ण गवई की जगह लेंगे।
CJI बनने वाले हरियाणा के पहले शख्स होंगे जस्टिस सूर्यकांत
जस्टिस सूर्यकांत इंडियन ज्यूडीशियरी की टॉप पोस्ट पर पहुंचने वाले हरियाणा से पहले शख्स होंगे। उनके नाम की सिफारिश करते हुए CJI गवई ने कहा कि जस्टिस सूर्यकांत सुप्रीम कोर्ट की कमान संभालने के लिए उपयुक्त और सक्षम हैं।
10वीं की परीक्षा देने गए तब पहली बार शहर देखा था
जस्टिस सूर्यकांत की हरियाणा की यात्रा हिसार के एक गुमनाम से गांव पेटवाड़ से शुरू हुई। वे सत्ता के गलियारों से जुड़े विशेषाधिकारों से दूर पले-बढ़े। उनके पिता एक शिक्षक थे। 8वीं तक उन्होंने गांव के स्कूल में ही पढ़ाई की, जहां बैठने के लिए बेंच नहीं थी।
दूसरे गांव वालों की तरह जस्टिस सूर्यकांत ने अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए खाली समय में खेतों में काम किया। पहली बार शहर तब देखा जब वे 10वीं की बोर्ड परीक्षा देने हिसार के एक छोटे से कस्बे हांसी गए थे।

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CJI बोले-न्याय की सक्रियता जरूरी लेकिन यह आतंक न बने, नागरिकों की रक्षा करने कोर्ट को आगे आना पड़ता है

चीफ जस्टिस बीआर गवई ने 17 नवंबर को कहा कि देश में न्यायिक सक्रियता (ज्यूडिशियल एक्टिविज्म) जरूरी है, लेकिन इसकी एक सीमा होनी चाहिए। यह सक्रियता कभी भी न्यायिक आतंकवाद (ज्यूडिशियल टेररिज्म) में नहीं बदलनी चाहिए। पूरी खबर पढ़ें…

