4 पैरा स्पेशल फोर्स को भारत की खामोश लेकिन सबसे घातक टुकड़ी माना जाता है. खामोशी से काम करने वाली ये यूनिट भारतीय सेना की सबसे मारक और घातक इकाइयों में एक मानी जाती है. ये ऑपरेशन 6 घंटे चला. इसे बेहद सूक्ष्मता से अंजाम दिया गया.
– 4 पैरा स्पेशल फोर्स यानी पैराशूट रेजिमेंट की चौथी बटालियन (स्पेशल फोर्स) भारतीय सेना की एक विशेष ऑपरेशन यूनिट है, जिसे खासतौर पर उच्च जोखिम वाले मिशनों, आतंकवाद रोधी अभियानों और गुप्त ऑपरेशनों के लिए प्रशिक्षित किया गया है. यह पैरा स्पेशल फोर्सेज की 7 सक्रिय बटालियनों में एक है. इसकी पहचान “घात लगाकर मारो और लापता हो जाओ” वाली रणनीति के लिए होती है.
– मूल रूप से 4 पैरा एक सामान्य एयरबोर्न यूनिट थी, जो 1961 में बनी थी. 2001 में इसे स्पेशल फोर्सेज बटालियन में तब्दील किया गया. 2003 से इस यूनिट ने घुसपैठ रोधी अभियानों और जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों के खिलाफ ऑपरेशनों में भाग लेना शुरू किया. 4 पैरा स्पेशल फोर्स विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर में हाई-वैल्यू टारगेट को निशाना बनाने के लिए जानी जाती है.
सवाल – कैसे बनते हैं 4 पैरा स्पेशल फोर्स कमांडो, कैसे दी जाती है इन्हें ट्रेनिंग?
इनकी ट्रेनिंग में जंगल वॉरफेयर, माउंटेन वारफेयर, क्लोज क्वार्टर बैटल, गौरिल्ला रणनीति, स्काईडाइविंग और हेलीबोर्न ऑपरेशन के साथ स्नाइपिंग और निगरानी रहती है.
सवाल – हेलीबोर्न ऑपरेशन क्या है, क्यों इसमें जबरदस्त तेजी और जोखिम भी होती है?
ये ऑपरेशऩ दुश्मन के कब्जे वाले इलाके में अचानक हमला. बंधकों की रिहाई, घुसपैठियों को घेरने और आपदा के समय राहत पहुंचाने के लिए होता है.
सवाल – क्या करती है 4 पैरा स्पेशल फोर्स?
1. आतंकवाद रोधी अभियान- कश्मीर घाटी में हाई-प्रोफाइल आतंकियों को ट्रैक करना और मार गिराना. LOC पार से आने वाले घुसपैठियों को रोकना और
इंटेलिजेंस-बेस्ड ऑपरेशन करने जैसे काम 4 पैरा के लोग करते हैं

3. सीमा सुरक्षा और रैपिड रेस्पॉन्स – 4 पैरा अक्सर अग्रिम चौकियों के पास तैनात रहती है ताकि तेजी से रिएक्ट कर सके. ये स्पेशल फोर्स कश्मीर में नियमित रूप से नाइट ऑपरेशन और सर्जिकल स्ट्राइक टाइप मिशन को अंजाम देती है.
1. उरी (2016) के बाद की सर्जिकल स्ट्राइक इसी स्पेशल फोर्स के जरिए की गई थी. इसमें इसने पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों के लांचपैड नष्ट किए थे. उसने हेलीकॉप्टर से घुसपैठ करके 3-4 किलोमीटर अंदर तक कार्रवाई ही नहीं की बल्कि सुरक्षित वापसी भी की. ये सब केवल कुछ घंटों में किया गया.
2020-2024 के बीच TRF, लश्कर, हिजबुल के कई टॉप कमांडरों को निशाना बनाया गया.
3. जून 2022 में पुलवामा एनकाउंटर का काम 4 पैरा स्पेशल फोर्स ने ही किया. उसने रात के अंधेरे में ऑपरेशन करके बिना किसी नागरिकों को हताहत के दो जैश कमांडर ढेर.
– 4 पैरा की यूनिट्स कुपवाड़ा, पुलवामा, शोपियां, और पहलगाम जैसी संवेदनशील जगहों पर नियमित रूप से मौजूद रहती हैं. इन कमांडोज़ के मिशन बेहद उच्च जोखिम वाले होते हैं. इनके ऑपरेशन बहुत चुपचाप बनते हैं. इन्हें रेड डेविल्स के नाम से भी जानते हैं. उन्हें दक्षिण एशिया की सबसे घातक यूनिट्स में से एक माना जाता है.