Stealth Frigate INS Tamal: रूस-यूक्रेन और इजरायल-ईरान युद्ध ने देश और दुनिया की सोच बदल दी है. अब हर देश अपने डिफेंस सिस्टम को मजबूत करने में जुटा है, ताकि किसी भी तरह के हमले का जवाब दिया जा सके. भारत की स्थिति सामरिक तौर पर काफी संवेदनशील और यूनिक है. एक तरफ अरब सागर तो दूसरी तरफ हिन्द महासागर और बंगाल की खाड़ी है. वहीं, भारत का लैंड बॉर्डर पाकिस्तान और चीन जैसे देशों से लगता है. पाकिस्तान पूरी दुनिया में आतंकवादी गतिविधियों के लिए कुख्यात है. चीन की विस्तारवादी नीति से हर कोई त्रस्त है. चीन और पाकिस्तान के शत्रुतापूर्ण रवैये को देखते हुए भारत के लिए अपनी सीमाओं की सुरक्षा करना जरूरी हो गया है. इसके लिए आर्मी, अर्द्धसैनिक बल के साथ ही एयरफोर्स को लगातार अपग्रेड कर उन्हें मजबूत किया जा रहा है. पिछले कुछ सालों में हिन्द महासागर में चीन की गतिविधियां काफी बढ़ी हैं. ऐसे में मैरीटाइम सिक्योरिटी को भी दुरुस्त करना काफी आवश्यक हो गया है. मॉडर्न वॉरफेयर में
नेवी और एयरफोर्स की भूमिका काफी अहम हो चुकी है. भारत भी इसे बखूबी समझता है. चीन अपनी नेवी को पिछले कुछ दशकों से लगातार मजबूत कर रहा है. अब भारत ने भी नौसेना की अहमियत को समझा है और नेवी को अपग्रेड करने के लिए हजारों करोड़ रुपये का निवेश किया जा रहा है. इस रणनीति के तहत भारत ने रूस के साथ ₹21000 करोड़ का करार किया है, जिसके तहत चार स्टील्थ फ्रिगेट तैयार किया जाना है. इनमें से एक की डिलीवरी हो चुकी है. दूसरे फ्रिगेट INS तमाल को 1 जुलाई 2025 को भारतीय नौसेना को सौंपा जाएगा.
इंडियन नेवी नए स्टील्थ गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट INS तमाल को अपने बेड़े में शामिल करने की तैयारी कर रही है. भारत और रूस के एक्सपर्ट की निगरानी में तैयार INS तमाल देश की नौसेना की शक्ति में काफी इजाफा करेगा. इसे 1 जुलाई को कालिनिनग्राद के यंतार शिपयार्ड पर एक समारोह में इंडियन नेवी में शामिल किया जाएगा. इस मौके पर नेवी के वाइस एडमिरल संजय जे. सिंह, वेस्टर्न नेवल कमांड के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ और अन्य सीनियर अधिकारियों की मौजूदगी में भारतीय नौसेना में शामिल किया जाएगा. INS तमाल पिछले दो दशकों में किर्वाक क्लास का आठवां फ्रिगेट है, जिसे इंडियन नेवी में शामिल किया जाएगा. INS तमाल तुशील क्लास का अपग्रेडेड वर्जन है. यह फ्रिगेट तलवार और तेग क्लास के वॉरशिप को रिप्लेस करेगा. इससे पहले पिछले साल दिसंबर में INS तुशील फ्रिगेट को नेवी के बेड़े में शामिल किया गया था. बता दें कि
INS तमाल भारत-रूस के बीच बढ़ते हुए रक्षा साझेदारी का एक और बड़ा उदाहरण है. इसके निर्माण में 26 फीसद देसी साजो-सामान का इस्तेमाल किया गया है. रूस में बनने वाला किर्वाक क्लास यह अंतिम फ्रिगेट है. इसके बाद बाकी बचे दो स्टील्थ फ्रिगेट को गोवा शिपयार्ड में बनाया जाएगा.
भारत समंदर में अपनी ताकत को लगातार बढ़ाने में जुटा है. (फोटो: नेवी के FB अकाउंट से साभार)
ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल से होगा लैस
INS तमाल को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि उसमें भारतीय वेपन और रडार सिस्टम को इंस्टॉल किया जा सके. बताया जा रहा है कि INS तमाल ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल से लैस होगा, जिसकी रेंज 290 से 450 किलोमीटर तक होगा. सामरिक रूप से महत्वपूर्ण अरब सागर में इसे तैनात किया जाएगा. यह नेवी के वेस्टर्न कमांड के अंतर्गत आता है. बता दें कि अरब सागर में ही भारत और पाकिस्तान की समुद्री सीमा भी लगती है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इंडियन एयरक्राफ्ट करियर INS विक्रांत यहीं तैनात था. यहां से पाकिस्तान की धड़कन कहे जाने वाला कराची काफी पास कुछ सौ किलोमीटर की दूरी पर ही स्थित है. इसे देखते हुए INS तमाल की अरब सागर में तैनाती सामरिक और सुरक्षा की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है.
अरब सागर से लेकर हिन्द महासागर तक में भारतीय नौसेना खुद को मजबूत कर रही है. (फोटो: नेवी के FB अकाउंट से साभार)
₹21000 करोड़ की डील
भारत ने रूस के साथ अक्टूबर 2016 में डिफेंस डील की थी, जिसके तहत किर्वाक-III क्लास के चार फ्रिगेट का निर्माण और उसकी डिलीवरी शामिल है. INS तमाल के साथ ही रूसी शिपयार्ड में निर्मित दो स्टील्थ फ्रिगेट इंडियन नेवी को सौंप दिया जाएगा. इन दोनों फ्रिगेट को तकरीबन ₹8000 करोड़ रुपये में रूस से खरीदा गया है. बाकी के दो फ्रिगेट को गोवा शिपयार्ड में रूस के सहयोग से बनाया जाएगा. इसपर कुल 13000 करोड़ रुपये का खर्च आएगा. इस तरह किर्वाक-III क्लास के चार फ्रिगेट के लिए भारत ने रूस के साथ कुल मिलाकर 21000 करोड़ की डील की है. INS तमाल कुल मिलाकर 125 मीटर लंबा और 3900 टन वजनी होगा, जो इसकी क्षमता को बताने के लिए काफी है.
दुश्मनों के फाइटर जेट से निपटने में सक्षम
INS तमाल भविष्य में समंदर में भारत की बादशाहत को और मजबूत करने और उसे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाने वाला है. इसमें ऐसे अत्याधुनिक सिस्टम लगाए गए हैं, जिससे पनडुब्बी के साथ ही फाइटर जेट को भी टारगेट किया जा सकता है. F-35, F-16, J-35A, राफेल जैसे फाइटर जेट के खतरों से भी निपटा जा सकेगा. ऐसा अल्ट्रा मॉडर्न स्टील्थ फीचर्स जैसे इंफ्रारेड तकनीक से संभव हो सकेगा. दिलचस्प बात यह है कि समंदर में तैनाती की वजह से S-500 जैसे एयर डिफेंस सिस्टम से भी इसको कोई खतरा नहीं होगा. यह उसकी पकड़ से दूर होगा. तकरीबन 55 किलोमीटर की तेज रफ्तार से चलने वाले INS तमाल एंटी-सबमरीन सिस्टम के साथ ही एयरबोर्न अर्ली वॉर्निंग हेलीकॉप्टर से लैस होगा. इस फ्रिगेट पर कामोव-28 और कामोव-31 क्लास के कॉम्बैट हेलीकॉप्टर भी तैनात होंगे जो किसी भी तरह के कैंपेन को आसानी से अंजाम दे सकते हैं.