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Food Recipe: करौली में बनने वाला एक मालपुआ ऐसा है जिसका स्वाद लोगों को केवल सावन के महीने में ही मिल पाता है. इस जालीदार और पतले मालपुए की ख्याति भी दूर-दूर तक फैली हुई है. खास बात यह है कि बड़े बाजार की एक दुकान पर रोजाना यह मालपुआ घंटों में ही लोग चट कर जाते हैं.
करौली में जब भी मालपुए की बात होती है, तो सबसे पहला नाम बड़े बाजार के भगवती रेस्टोरेंट का आता है. यहां का देसी घी में बना पतला, जालीदार और खुशबूदार मालपुआ सिर्फ सावन से लेकर जन्माष्टमी तक ही बनता है और यही इसकी सबसे बड़ी खासियत है.

कुछ दिनों के लिए मिलने वाला यह मालपुआ इतना स्वादिष्ट होता है कि जो भी इसे एक बार खा ले, वो हर साल इसका इंतजार करता है. इस मिठाई की दुकान पर रोज ताजा मालपुआ तैयार किया जाता है, जिसका रात 8 बजे तक पूरा स्टॉक खत्म हो जाता है.

इस मालपुआ को खरीदने आए धीरज शर्मा बताते हैं, मैं बचपन से भगवती रेस्टोरेंट का मालपुआ खा रहा हूं. शहर में ऐसा स्वाद कहीं और नहीं मिलता. यह शुद्ध देसी घी, दूध और दही से तैयार किया जाता है, जो खाने में बेहद लाजवाब लगता हैं.

रेस्टोरेंट संचालक राजेंद्र गुप्ता के अनुसार, उनका मालपुआ दुकान पर बने ताजे दूध, दही और मावे से तैयार होता है. सालों से देसी घी में ही तला जाता है.

खास बात यह है कि बड़े बाजार में मिलने वाले इस देसी घी के मालपुआ को आज भी सीक्रेट रेसिपी से तैयार किया जाता है. इसकी पारंपरिक रेसिपी के कारण ही इसका स्वाद ही खाने में लाजवाब होता है.

बड़े बाजार में सावन के महीने में ही बनने वाले इस मालपुआ की डिमांड भी दूर-दूर तक रहती है. भगवती रेस्टोरेंट के संचालक राजेंद्र गुप्ता बताते हैं कि उनके यहां रोजाना जितना मालपुआ बनता है, उतना ही बिक जाता है. इसकी डिमांड भी जयपुर, मुंबई और गुजरात तक रहती है.

इस लजीज मालपुआ का स्वाद भी करौली में सालों पुराना है. बड़े बाजार की भगवती रेस्टोरेंट पर यह मालपुआ 30 सालों से बनता आ रहा है. इसका भाव ₹320 प्रति किलो की रहता है.