India-UK Free Trade Deal: भारत का ब्रिटेन के साथ फ्री ट्रेड फाइनल होने के बाद स्कॉच व्हिस्की के आयात पर टैरिफ घटकर आधा यानी कि 75 परसेंट हो जाएगा. बावजूद इसके ग्लेनलिवेट, ब्लैक लेबल, ग्लेनमोरंगी और चिवास रीगल जैसे ब्रांड्स के स्कॉच की कीमतें अभी कम नहीं होंगी. ब्रिटेन की संसद में पास कराए जाने के बाद ही ये बदलाव लागू होंगे.
कितनी कम हो जाएंगी कीमतें?
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, इंडस्ट्री से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि कीमतें कम हुईं भी तो ये 8-10 परसेंट के दायरे में होगी क्योंकि स्कॉच के क्यूमेलेटिव रिटेल प्राइस में इम्पोर्ट ड्यूटी की हिस्सेदारी महज 15-20 परसेंट ही है. ब्रिटिश संसद द्वारा इस समझौते को अगले साल तक पास कराए जाने की उम्मीद है. मंजूरी मिलने के बाद ही आयात पर टैरिफ घटकर 75 परसेंट कम होगा और अगले दस सालों में यह 40 परसेंट तक कम हो जाएगा.
शराब कंपनियों ने किया डील का स्वागत
डियाजियो जैसी शराब बनाने वाली दिग्गज कंपनियों ने भी इस फैसले का स्वागत किया है. इससे भारत में शराब बनाने वाली कंपनियां भी खुश हैं, जो अपने लोकल ब्रांड्स में मिलाने के लिए स्कॉटिश स्पिरिट का इस्तेमाल करते हैं.
डियाजियो इंडिया के एमडी और सीईओ प्रवीण सोमेश्वर ने कहा, ”हम इस डील को औपचारिक रूप देने के लिए भारत और ब्रिटिश सरकार की सराहना करते हैं. इससे द्विपक्षीय कारोबार को बढ़ावा मिलेगा और भारत में प्रीमियम स्कॉच व्हिस्की की उपलब्धता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, जिससे विकास को बढ़ावा मिलेगा और भारतीय उपभोक्ताओं के लिए विकल्प बढ़ेंगे.”
इंटरनेशनल स्पिरिट्स एंड वाइन्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ISWAI) के सीईओ संजीत पाधी ने कहा कि डील से पहले से ज्यादा बैलेंस्ड और बराबर तरीके से कारोबार करने का माहौल मिलेगा. ऐसा इसलिए क्योंकि भारत से ब्रिटेन के शराब के एक्सपोर्ट पर कोई शुल्क नहीं लगता है.
हालांकि, इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का कहना है कि कीमतें 10 परसेंट से ज्यादा कम नहीं होंगी. एक अधिकारी ने कहा, MRP के ओवरऑल स्ट्रक्चर में कस्टम ड्यूटी की हिस्सेदारी मुश्किल से 15-20 परसेंट बैठती है. बाकी में राज्य सरकार की तरफ से लगाया जाने वाला टैक्स और डिस्ट्रीब्यूशन मार्जिन शामिल हैं इसलिए कीमतों में केवल केवल 8-10 परसेंट की ही कमी आएगी.
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