Janeu Sanskar Muhurat 2025: हिंदू परंपरा में इस संस्कार को अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है. इसे उपनयन संस्कार कहा जाता है. इस समारोह में लड़के को विधिवत अनुष्ठानों के माध्यम से एक पवित्र धागा (जनेऊ) पहनाया जाता है. यह संस्कार मुख्यतः ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य वर्गों द्वारा संपन्न किया जाता है.
‘उपनयन’ शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है, ‘उप’ जिसका अर्थ है ‘निकट’ और ‘नयन’ जिसका अर्थ है ‘दृष्टि’. इन दोनों के मेल से इसका भावार्थ बनता है, अंधकार यानी अज्ञानता से दूर होकर प्रकाश यानी आध्यात्मिक ज्ञान की ओर अग्रसर होना. इस प्रकार, उपनयन संस्कार को आत्मिक जागृति और ज्ञान प्राप्ति की दिशा में एक पवित्र आरंभ के रूप में देखा जाता है.
वर्ष 2025 में उपनयन संस्कार के कई शुभ मुहूर्त हैं, जिन पर यह पवित्र अनुष्ठान विधि-विधान से संपन्न कराया जा सकता है.
नवंबर 2025 के जनेऊ संस्कार मुहूर्त (November Janeu Sanskar Muhurat 2025)
- 1 नवंबर (शनिवार): सुबह 07:04 – 08:18, 10:37 – 03:51, 05:16 – 06:50 बजे
- 2 नवंबर (रविवार): सुबह 10:33 – शाम 05:12 बजे
- 7 नवंबर (शुक्रवार): सुबह 07:55 – दोपहर 12:17 बजे
- 9 नवंबर (रविवार): सुबह 07:10 – 07:47, 10:06 – 03:19, 04:44 – 06:19 बजे
- 23 नवंबर (रविवार): सुबह 07:21 – 11:14, 12:57 – 05:24 बजे
- 30 नवंबर (रविवार): सुबह 07:42 – 08:43, 10:47 – 03:22, 04:57 – 06:52 बजे
दिसंबर 2025 के जनेऊ संस्कार मुहूर्त (December Janeu Sanskar Muhurat 2025)
- 1 दिसंबर (सोमवार): सुबह 07:28 – 08:39 बजे
- 5 दिसंबर (शुक्रवार): सुबह 07:31 – दोपहर 12:10, 01:37 – शाम 06:33 बजे
- 6 दिसंबर (शनिवार): सुबह 08:19 – दोपहर 01:33, 02:58 – शाम 06:29 बजे
- 21 दिसंबर (रविवार): सुबह 11:07 – दोपहर 03:34, शाम 05:30 – रात 07:44 बजे
- 22 दिसंबर (सोमवार): सुबह 07:41 – 09:20, दोपहर 12:30 – शाम 05:26 बजे
- 24 दिसंबर (बुधवार): दोपहर 01:47 – शाम 05:18 बजे
- 25 दिसंबर (गुरुवार): सुबह 07:43 – दोपहर 12:18, 01:43 – 03:19 बजे
- 29 दिसंबर (सोमवार): दोपहर 12:03 – 03:03, शाम 04:58 – 07:13 बजे
जनेऊ संस्कार के लिए मंत्र:
यज्ञोपवीतं परमं पवित्रं प्रजापतेर्यत्सहजं पुरस्तात्.
आयुधग्रं प्रतिमुञ्च शुभ्रं यज्ञोपवीतं बलमस्तु तेजः..
जनेऊ संस्कार नियम:
जनेऊ संस्कार करते समय कुछ खास नियमों का पालन किया जाता है. आइए जानते हैं कि इस पवित्र अनुष्ठान में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए…
जनेऊ संस्कार करते समय कुछ विशेष नियमों का पालन किया जाता है. इस पवित्र अनुष्ठान में सही उपनयन मुहूर्त में यज्ञ किया जाता है, जिसमें बालक अपने परिवार के साथ शामिल होता है. संस्कार के दिन बच्चे को बिना सिले वस्त्र पहनने चाहिए और हाथ में एक डंडा रखना चाहिए. गले में पीला कपड़ा और पैरों में खड़ाऊ धारण करना शुभ माना जाता है. मुंडन के दौरान सिर पर केवल एक चोटी छोड़ी जाती है. जनेऊ हमेशा पीले रंग का होना चाहिए, जिसे गुरु की दीक्षा के साथ धारण किया जाता है. परंपरा के अनुसार, ब्राह्मणों के लिए जनेऊ संस्कार की उम्र 8 वर्ष, क्षत्रियों के लिए 11 वर्ष और वैश्यों के लिए 12 वर्ष निर्धारित की गई है.
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