इस मानसूनी सीजन में मध्यप्रदेश में 25.4 इंच बारिश हो चुकी है, जो सीजन की 70 प्रतिशत है। इस वजह से 8 जिले-ग्वालियर, शिवपुरी, अशोकनगर, मुरैना, श्योपुर, छतरपुर, टीकमगढ़ और निवाड़ी में बारिश का कोटा पूरा हो गया है। प्रदेश में अभी भी बारिश का स्ट्रॉन्ग सिस्
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मौसम विभाग के अनुसार, 14 जिलों में अति भारी और 20 में भारी बारिश की चेतावनी दी गई है। ग्वालियर, श्योपुर, मुरैना, भिंड, दतिया, शिवपुरी, निवाड़ी, टीकमगढ़, छतरपुर, अशोकनगर, विदिशा, सागर, रायसेन और नर्मदापुरम में अति भारी बारिश हो सकती है। यहां अगले 24 घंटे में साढ़े 8 इंच तक पानी गिर सकता है। वहीं, भोपाल, गुना, राजगढ़, आगर-मालवा, शाजापुर, देवास, सीहोर, हरदा, बैतूल, पांढुर्णा, छिंदवाड़ा, सिवनी, नरसिंहपुर, जबलपुर, डिंडौरी, अनूपपुर, उमरिया, कटनी, दमोह और पन्ना में भारी बारिश का अलर्ट है।
राजगढ़ में जलभराव के हालात, नीमच-कोटा स्टेट हाईवे बंद रहा
प्रदेश में सोमवार को तेज बारिश का दौर रहा। 25 से ज्यादा जिलों में बारिश हुई। शाजापुर में डेढ़ इंच, भोपाल, पचमढ़ी, नर्मदापुरम और गुना में 1 इंच पानी गिर गया। खरगोन में आधा इंच से ज्यादा बारिश हुई। राजगढ़, इंदौर, रतलाम, उज्जैन, बैतूल, छिंदवाड़ा, जबलपुर, सागर, बालाघाट, नीमच, मंदसौर, शिवपुरी, सीहोर, शाजापुर, भिंड, रायसेन, सिंगरौली, देवास, आगर-मालवा समेत कई जिलों में बारिश का दौर बना रहा।
राजगढ़ जिले के खिलचीपुर में लगातार बारिश से हालात बिगड़ गए। गाडगंगा नदी उफान पर रही। जिसके चलते शहर के कई इलाकों में जलभराव की स्थिति बन गई। छापीहेड़ा रोड, इमली स्टैंड, खांडी बावड़ी रोड सहित कई सड़कों पर तीन फीट तक पानी भर गया।
शिवपुरी के सिद्धेश्वर मंदिर मार्ग पर स्थित बर्फ फैक्ट्री के पास रविवार रात नाले पर बनी पुलिया में दो मगरमच्छ खुलेआम घूमते दिखाई दिए। एक राहगीर ने इनका वीडियो बना लिया। सीहोर में रविवार शाम इच्छावर के पास झरने में डूबे दोनों छात्रों के शव सोमवार को बरामद कर लिए गए। ब्राह्मणी व ताल नदी उफान पर होने से नीमच-कोटा स्टेट हाईवे बंद हो गया।
तस्वीरों में देखें सोमवार को हुई बारिश…

खिलचीपुर के हालात बिगड़ गए। कई इलाकों में जलभराव की स्थिति रही।

भानपुरा में बड़े महादेव के झरने पर रोक के बावजूद लोग फोटो खिंचवाते नजर आए।

ब्राह्मणी व ताल नदी उफान पर रही। नीमच-कोटा स्टेट हाईवे बंद हो गया।
इस वजह से ऐसा मौसम सीनियर मौसम वैज्ञानिक डॉ. दिव्या ई. सुरेंद्रन ने बताया कि सोमवार को प्रदेश में लो प्रेशर एरिया (कम दवाब का क्षेत्र), ट्रफ की एक्टिविटी रही। इस वजह से अति भारी या भारी बारिश का दौर बना रहा। मंगलवार को भी तेज बारिश होने का अलर्ट जारी किया गया है।
एमपी में अब तक इतनी बारिश…



एमपी के 8 जिलों में बारिश का कोटा पूरा मध्यप्रदेश के ग्वालियर, शिवपुरी, अशोकनगर, मुरैना, श्योपुर, छतरपुर, टीकमगढ़ और निवाड़ी में बारिश का कोटा पूरा हो गया है। यहां सामान्य से 37% तक ज्यादा पानी गिर चुका है। टीकमगढ़-निवाड़ी में सबसे ज्यादा 42 इंच बारिश हुई है, जबकि इंदौर में 10 इंच पानी भी नहीं गिरा है। उज्जैन की तस्वीर भी ठीक नहीं है। वहीं, भोपाल और जबलपुर में सीजन की आधी बारिश हुई है। प्रदेश में 16 जून को मानसून ने आमद दी थी। तब से अब तक औसत 25.4 इंच बारिश हो चुकी है। अब तक 16.5 इंच पानी गिरना था। इस हिसाब से 8.9 इंच पानी ज्यादा गिर चुका है। प्रदेश की सामान्य बारिश औसत 37 इंच है।
एमपी में अगले 2 दिन ऐसा रहेगा मौसम…


10 साल में बारिश का ट्रेंड, पहले भोपाल के बारे में जानिए भोपाल में जुलाई में खूब बारिश होती है। यहां एक ही महीने में 1031.4 मिमी यानी 41 इंच के करीब बारिश होने का रिकॉर्ड है। यह साल 1986 में हुई थी। 22 जुलाई 1973 को एक ही दिन में 11 इंच बारिश हुई थी, जो अब तक का रिकॉर्ड है। साल 2024 में पूरे जुलाई महीने में 15.70 इंच बारिश हुई थी।
भोपाल में जुलाई महीने में एवरेज 15 दिन बारिश होती है यानी हर दूसरे दिन पानी बरसता है। महीने की एवरेज बारिश 367.7 मिमी यानी 14.4 इंच है। बारिश के चलते दिन का तापमान 30 और रात में पारा 25 डिग्री सेल्सियस से कम रहता है। इस बार भी जुलाई में लगातार बारिश हुई है। इस वजह से भोपाल में आधी से ज्यादा पानी गिर चुका है।

इंदौर में इस बार 40% ज्यादा बारिश इंदौर की बात करें तो 24 घंटे में 11.5 इंच बारिश होने का रिकॉर्ड है, जो 27 जुलाई 1913 को हुई थी। 1973 में पूरे महीने 30.5 इंच पानी गिरा था। बारिश के चलते यहां भी तापमान में गिरावट देखने को मिलती है।
इंदौर में महीने की एवरेज बारिश 12 इंच है। एवरेज 13 दिन यहां बारिश होती है। पिछले साल इंदौर में पूरे महीने 8.77 इंच बारिश हुई थी। इस बार इंदौर काफी पीछे है।

जबलपुर में जुलाई में गिर चुका 45 इंच पानी चारों बड़े शहरों में जबलपुर ऐसा है, जहां सबसे ज्यादा बारिश होती है। वर्ष 1930 में यहां करीब 45 इंच पानी बरसा था जबकि 30 जुलाई 1915 को 24 घंटे की सर्वाधिक 13.5 इंच बारिश हुई थी। 2013 और 2016 में सबसे ज्यादा बारिश दर्ज की गई थी।
जबलपुर में जुलाई की सामान्य बारिश 17 इंच है। महीने में 15 से 16 दिन पानी बरसता है। इस बार भी जबलपुर में ऐसा ही मौसम है। लगातार बारिश का दौर बना हुआ है।

ग्वालियर में कम बारिश का ट्रेंड भोपाल, इंदौर और जबलपुर की तुलना में ग्वालियर में जुलाई के महीने में सबसे कम बारिश होती है। पिछले 10 साल में 6 बार ऐसा हुआ, जब 8 इंच से कम पानी गिरा हो जबकि यहां की एवरेज बारिश 9 इंच के करीब है।
ग्वालियर में वर्ष 1935 में महीने की सबसे ज्यादा बारिश हुई थी। तब 623.3 मिमी यानी 24.5 इंच बारिश दर्ज की गई थी। 24 घंटे में सबसे ज्यादा बारिश की बात करें तो 12 जुलाई 2015 को 190.6 मिमी यानी साढ़े 7 इंच पानी बरसा था। ग्वालियर में जुलाई के महीने में एवरेज 11 दिन बारिश होती है। इस बार जुलाई में ही ग्वालियर में कुल बारिश का कोटा पूरा हो चुका है।

उज्जैन में 36 इंच बारिश का रिकॉर्ड उज्जैन में पूरे जुलाई महीने में 36 इंच बारिश का ओवरऑल रिकॉर्ड है। इतनी बारिश साल 2015 में हुई थी। 2023 में 21 इंच से ज्यादा पानी गिर गया था। 24 घंटे में सबसे ज्यादा बारिश 19 जुलाई 2015 को 12.55 इंच हुई थी। उज्जैन में जुलाई की औसत बारिश 13 इंच है। महीने में 12 दिन पानी बरसता है। इस बार यहां कम पानी बरसा है।

