नई दिल्ली (Parents Guide). सभी पेरेंट्स चाहते हैं कि उनका बच्च स्कूल से खुश मन से लौटे. लेकिन जब बच्चा स्कूल से वापस आकर चुपचाप और उदास रहने लगे तो यह माता-पिता के लिए बहुत गंभीर चिंता का विषय बन जाता है, हाल ही में देश के कई हिस्सों से स्कूली बच्चों के मानसिक तनाव और आत्महत्या के दुखद मामले सामने आए हैं. अत्यधिक शैक्षणिक दबाव, सार्वजनिक अपमान या शिक्षकों के अनुचित व्यवहार ने बच्चों को इतना तोड़ दिया कि उन्होंने यह कदम उठा लिया.
स्कूल में कैसे परेशान होते हैं बच्चे?
स्कूल में बच्चों की परेशानी कई रूपों में हो सकती है- शिक्षक का बार-बार डांटना, सबके सामने अपमानित करना, कठोर तुलना करना या अनुचित उम्मीदों का दबाव डालना. अभिभावकों को इस नाजुक और संवेदनशील स्थिति को संभालना आना चाहिए. बच्चे की चुप्पी इस बात का गंभीर संकेत है कि वह तनाव में है. इस मामले में तुरंत और संवेदनशीलता के साथ कार्रवाई करना, स्कूल मैनेजमेंट और शिक्षकों के साथ मिलकर पॉजिटिव सॉल्यूशन ढूंढना जरूरी है. तभी बच्चे को सुरक्षित शैक्षणिक वातावरण मिल सकेगा.
बच्चे के बर्ताव में बदलाव कैसे पहचानें?
जब बच्चे को स्कूल में परेशानी होती है तो उसके व्यवहार में तुरंत बदलाव दिखने लगता है. अभिभावकों को इन संकेतों पर ध्यान देना चाहिए:
- उदासी और चुप्पी: बच्चा स्कूल से आने के बाद गुमसुम रहता है, कम बात करता है या अकेले रहना पसंद करता है.
- स्कूल जाने से मना करना: सुबह उठकर पेट दर्द या सिर दर्द का बहाना बनाना या स्कूल के लिए तैयार होने से मना करना.
- चिड़चिड़ापन और गुस्सा: छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करना या बहुत ज्यादा रोना.
- नींद या खाने की आदतों में बदलाव: रात को ठीक से न सो पाना या भूख कम लगना.
माता-पिता के लिए जरूरी टिप्स
अगर बच्चा स्कूल की लगातार शिकायत कर रहा है या वहां के बारे में कुछ बताता ही नहीं है तो आपको तुरंत जरूरी एक्शन लेने चाहिए-
- शांत रहकर सुनें: सबसे पहले बच्चे को सुरक्षित महसूस कराएं. बिना किसी हड़बड़ी या गुस्से के, बच्चे की पूरी बात ध्यान से सुनें और उसे विश्वास दिलाएं कि आप उसके साथ हैं.
- डॉक्यूमेंट तैयार करें: बच्चे की शिकायतों और उसके व्यवहार में आए बदलाव नोट करें. अगर संभव हो तो सबूत (जैसे बच्चे के नोट्स, शिक्षक के मेसेज) भी इकट्ठा करें.
- स्कूल से बात करें: उस शिक्षक से सीधे लड़ने के बजाय स्कूल मैनेजमेंट या प्रिंसिपल से शांति और निष्पक्षता से बात करें. अपने सबूत दिखाएं और उनसे इस मामले में तुरंत प्रभावी कार्रवाई की मांग करें.
- बच्चे को सिखाएं: बच्चे को सिखाएं कि वह विनम्रता से ‘नहीं’ कह सकता है या किसी विश्वसनीय शिक्षक/काउंसलर से मदद मांग सकता है.
शिक्षकों का व्यवहार कैसा होना चाहिए?
अगर बच्चा पढ़ाई में कमजोर है तो उससे प्यार से बात करें. उसे सबके सामने न तो डांटें और न ही धमकाएं. उसके व्यवहार में बदलाव नजर आने पर अभिभावकों को सूचित करें.
- पॉजिटिव भाषा का प्रयोग: डांटने या सार्वजनिक रूप से आलोचना करने के बजाय सुधार के लिए प्रेरित करने वाली भाषा का इस्तेमाल करें.
- हर बच्चे पर ध्यान दें: क्लास में हर बच्चे की सीखने की स्पीड और इमोशनल जरूरतें समझें. किसी भी बच्चे की तुलना दूसरे से न करें.
- संवेदनशीलता और सहानुभूति: बच्चों की समस्याओं को समझें और उनके साथ संवेदनशील व्यवहार करें. याद रखें, शिक्षक का काम पढ़ाना और अच्छा माहौल देना है.
टीचर से परेशानी होने पर बच्चे क्या करें?
अगर कोई शिक्षक या क्लासमेट आपको लगातार परेशान कर रहा है तो आप अन्य शिक्षकों, अभिभावकों, दोस्तों या स्कूल काउंसलर से बात कर सकते हैं.
- बातचीत करें: अगर कोई शिक्षक परेशान करता है तो तुरंत अपने माता-पिता, बड़े भाई-बहन या किसी भरोसेमंद रिश्तेदार को बताएं.
- काउंसलर से मिलें: स्कूल में अगर काउंसलर हैं तो उनसे मिलें और अपनी परेशानी बताएं. वहां भी सॉल्यूशन न मिले तो आप उनकी शिकायत कर सकते हैं.
- डरें नहीं: याद रखें कि आप अकेले नहीं हैं. गलत व्यवहार की शिकायत करना भी गलत नहीं है.
ध्यान रखें, आपका जीवन हर बात से ज्यादा कीमती है. उसे संभालना आपकी जिम्मेदारी है.

