स्कोरिंग और नॉन-स्कोरिंग विषयों में अंतर
स्कोरिंग विषय क्या होते हैं?
जिन विषयों में हाई मार्क्स हासिल करने की ज्यादा संभावना होती है, उन्हें स्कोरिंग विषय कहा जाता है. ये विषय आमतौर पर फैक्चुअल, स्ट्रक्चर्ड और ऑब्जेक्टिव होते हैं. इनमें उत्तर स्पष्ट और परिभाषित होते हैं.
उदाहरण
गणित: प्रश्नों के उत्तर निश्चित होते हैं और सही विधि से हल करने पर पूरे मार्क्स मिलते हैं.
विज्ञान (भौतिकी, रसायन, जीवविज्ञान): फैक्ट-बेस्ड और फॉर्मूला-बेस्ड प्रश्नों के कारण स्कोरिंग माना जाता है.
सामाजिक विज्ञान: इतिहास और भूगोल में फैक्ट्स और परिभाषाओं के आधार पर अच्छे अंक मिल सकते हैं.
कंप्यूटर विज्ञान: प्रोग्रामिंग और टेक्निकल प्रश्नों में उत्तर निश्चित होते हैं.
नॉन-स्कोरिंग विषय क्या होते हैं?
विशेषताएं:
- उत्तर लंबे, निबंध फॉर्मेट में या एनालिटिकल होते हैं.
- मूल्यांकन में शिक्षक की पर्सनल राय या व्याख्या प्रभाव डाल सकती है.
- पाठ्यक्रम व्यापक और abstract हो सकता है.
- राइटिंग स्टाइल, प्रेजेंटेशन और भाषा की क्वॉलिटी पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है.
अंग्रेजी साहित्य: निबंध, Poetry Analysis और लेखन में सब्जेक्टिविटी के कारण पूरे मार्क्स हासिल कर पाना मुश्किल हो सकता है.
हिंदी या अन्य भाषाएं (साहित्य भाग): लिटरेरी एनालिसिस और निबंध लेखन में उत्तर की क्वॉलिटी पर मार्क्स निर्भर करते हैं.
दर्शनशास्त्र या समाजशास्त्र: डीप एनालिसिस और लॉजिक की जरूरत होती है. यह सब्जेक्टिव हो सकता है.
कला (आर्ट्स): क्रिएटिविटी और प्रेजेंटेशन पर निर्भरता के कारण स्कोरिंग सीमित हो सकती है.
क्यों नॉन-स्कोरिंग?: इन विषयों में आंसर की क्वॉलिटी, राइटिंग स्टाइल और कॉपी चेक करने वाले की Explanation महत्वपूर्ण होती है. छोटी-छोटी गलतियां (जैसे भाषा, स्ट्रक्चरिंग) मार्क्स कम कर सकती हैं.
किन विषयों को स्कोरिंग माना जाता है और क्यों?
उदाहरण
गणित: सही उत्तर पर पूरे अंक, जैसे ‘Solve 5x + 3 = 18’ का जवाब x=3 होगा.
विज्ञान: ‘What is the boiling point of water?’ का जवाब 100°C स्पष्ट है.
सामाजिक विज्ञान: ‘भारत को स्वतंत्रता कब मिली?’ का जवाब 15 अगस्त 1947 निश्चित है.
किन विषयों को नॉन-स्कोरिंग माना जाता है और क्यों?
उदाहरण
अंग्रेजी साहित्य: ‘Discuss the theme of love in Shakespeare’s Romeo and Juliet’ में मार्किंग आंसर की क्वॉलिटी और एनालिसिस पर निर्भर करता है.
हिंदी साहित्य: ‘कबीर की भक्ति भावना पर लेख लिखें’ में भाषा और तर्क की गहराई महत्वपूर्ण है.
समाजशास्त्र: ‘Globalization के प्रभाव’ जैसे प्रश्नों में डीप एनालिसिस चाहिए.
कुछ विषय स्कोरिंग और कुछ नॉन-स्कोरिंग क्यों माने जाते हैं?
– स्कोरिंग विषयों में objective evaluation होता है, जैसे गणित या विज्ञान में सही/गलत उत्तर.
– नॉन-स्कोरिंग विषयों में subjective evaluation होता है, जैसे साहित्य में निबंध या एनालिसिस.
पाठ्यक्रम की संरचना
स्कोरिंग विषयों का पाठ्यक्रम सीमित और फैक्ट्स पर आधारित होता है.
नॉन-स्कोरिंग विषयों में ब्रॉड और एब्सट्रैक्ट कॉन्सेप्ट होते हैं.
स्कोरिंग विषयों में नियमित अभ्यास और रटने से हाई मार्क्स मिल सकते हैं.
नॉन-स्कोरिंग विषयों में क्रिएटिविटी, डीप अंडरस्टैंडिंग और अच्छी राइटिंग स्किल जरूरी है.
मार्किंग स्कीम
स्कोरिंग विषयों में मार्किंग स्कीम स्पष्ट होती है (जैसे 5 अंक का प्रश्न, 5 बिंदुओं के लिए).
नॉन-स्कोरिंग विषयों में मार्किंग शिक्षक पर निर्भर कर सकती है.