<p style="text-align: justify;">अगर आपने मन बनाया कि इस महीने SIP की किस्त स्किप कर लें और सोचते हैं कि क्या फर्क पड़ता है, एक ही तो महीना है! तो शायद आप बड़ी गलती करने जा रहे हैं. शायद आप नहीं जानते हैं कि ये छोटी सी चूक आपके भविष्य की सबसे महंगी गलती बन सकती है?</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>5 लाख का भविष्य जला देते हैं</strong></p>
<p style="text-align: justify;">मान लीजिए आप हर महीने 5,000 SIP में डालते हैं और ये सिलसिला 20 साल तक चलता है. अगर रिटर्न 12 फीसदी सालाना रहा, तो आपको करीब 49.5 लाख मिलेंगे. लेकिन अगर आप सिर्फ एक साल की SIP छोड़ देते हैं (60,000), तो आपका फाइनल अमाउंट सीधे 6.5 लाख तक घट सकता है. क्यों? क्योंकि compounding एक consistency-loving गेम है. आपने जो नहीं डाला, वो सिर्फ एक रकम नहीं है, वो भविष्य में न बढ़ने वाला पैसा है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>मार्केट जब गिरता है, SIP सबसे ज़्यादा फायदा देती है</strong></p>
<p style="text-align: justify;">लोग अक्सर डर के मारे SIP रोक देते हैं जब मार्केट गिर रहा होता है. लेकिन असल में, गिरते मार्केट में SIP से ज़्यादा यूनिट्स सस्ते में मिलती हैं, जो बाद में जब मार्केट उभरता है तो बेहतर रिटर्न देती हैं.</p>
<p style="text-align: justify;">अगर आपने मार्केट गिरने के दौरान SIP बंद कर दी, तो आपने डिस्काउंट पर खरीदारी का मौका गंवा दिया. और जब मार्केट तेजी से ऊपर चढ़ता है, तब आप खाली हाथ रह जाते हैं.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>SIP रोकने से आप रुक जाते हैं</strong></p>
<p style="text-align: justify;">SIP का मकसद सिर्फ निवेश करना नहीं होता, बल्कि अपने बड़े सपनों को पाना होता है. जैसे- जल्दी रिटायर होना, घर खरीदना या बच्चों की अच्छी पढ़ाई. हर SIP एक गोल से जुड़ी होती है. जब आप किस्त स्किप करते हैं, तो आप सिर्फ एक नोटिफिकेशन बंद नहीं कर रहे, बल्कि अपने भविष्य के साथ एक वादा तोड़ रहे हैं.</p>
<p style="text-align: justify;">बाद में उस नुकसान की भरपाई करना और भी मुश्किल हो जाता है या तो आपको हर महीने ज्यादा पैसे डालने पड़ते हैं या फिर अपने लक्ष्य को आगे बढ़ाना पड़ता है. दोनों ही हालात मुश्किल होते हैं.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>महंगाई रुकती नहीं, तो आप क्यों रुकें?</strong></p>
<p style="text-align: justify;">हर साल खर्चे बढ़ते हैं, चाहे धीरे-धीरे या अचानक. अगर आपने SIP बंद की, तो आपका पैसा नहीं बढ़ेगा लेकिन महंगाई अपना काम करती रहेगी. हो सकता है आपको लगे कि 5,000 की SIP छोड़ने से कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन 10–15 साल बाद, जब रिटायरमेंट का वक्त होगा, तो आपको समझ आएगा कि वही SIP आपकी बुनियादी ज़रूरतों तक पूरी नहीं कर पाएगी.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>SIP स्किप करने से आपकी आदत टूट जाती है</strong></p>
<p style="text-align: justify;">अगर आपने सालों से SIP चलाई है, तो आपने एक मजबूत आदत बनाई है. लेकिन एक बार भी जब आप ‘pause’ दबाते हैं, तो वो आदत टूटने लगती है. आपको लगेगा कि अब थोड़ा पैसा एक्स्ट्रा है, तो चलो अगले महीने भी रोक देते हैं. इसी तरह कब 6 महीने निकल जाएंगे, आपको पता भी नहीं चलेगा. याद रखिए, निवेश सिर्फ रणनीति नहीं, आदत और अनुशासन का खेल है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>SIP बंद मत करें, बस कम कर दें</strong></p>
<p style="text-align: justify;">अगर वाकई पैसों की दिक्कत है, तो SIP पूरी तरह बंद करने के बजाय उसे थोड़ा कम कर दीजिए. 5,000 नहीं तो 1,000 कर लीजिए, या सिर्फ 500. इससे आपकी आदत बनी रहेगी और आप ट्रैक पर भी रहेंगे. जरूरत पड़ने पर इमरजेंसी फंड का इस्तेमाल करें, न कि SIP रोकें. और अगर SIP ऑटोमेटेड है, तो उसे वैसे ही चलने दें बिना ज़्यादा सोचे.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>डिस्क्लेमर: (यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना हेतु दी जा रही है. यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है. निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें. ABPLive.com की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है.)</strong></p>
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