Yamraj Death Story: हिंदू में यमराज को मृत्यु का देवता कहा जाता है. लोगों के बीच ऐसा विश्वास है कि मनुष्य के प्राण त्यागने के बाद उसकी आत्मा यमलोक पहुंचती है और वहां उसका सामना यमराज से होता है. यमराज व्यक्ति के शुभ-अशुभ कृत्यों पर विचार कर उसे स्वर्ग या नरक में भेजते हैं. इस तरह यमराज ही जीवों के कर्मों के आधार पर उनके जीवन और मृत्यु का लेखा जोखा रखते हैं.
लेकिन एक बार ऐसी घटना घटी जब मृत्यु के देवता यमराज को स्वयं की मृत्यु का सामना करना पड़ा था. यमराज स्वयं अचेत होकर मृत्यु का अनुभव कर रहे थे और तब उन्हें यह अहसास हुआ कि जीवन और मृत्यु दोनों ही भगवान की इच्छा से ही संचालित होते हैं. यमराज तो केवल एक माध्यम है, अंतिम निर्णयकर्ता नहीं. यही अनुभव यमराज के जीवन के आत्मबोध का क्षण था. दरअसल इस रहस्यमय घटना की योजना भगवान शिव द्वारा बनाई गई थी, जिसका जिक्र पुराणों में भी मिलता है. आइए जानते हैं यमराज की मृत्यु से जुड़ी कथा-
यूं तो यम देवता को लेकर भिन्न-भिन्न तरह की कथाओं का वर्णन मिलता है. लेकिन यमराज की मृत्यु से जुड़ी यह कथा बेहद प्रचलित है. कथा के अनुसार एक बार, कालंजर में शिव भक्त राजा श्वेत राज्य करता था. जब वह वृद्ध होने लगा तो उसने अपना सारा राजपाट बेटे को सौंप दिया और स्वयं गोदावरी नदी के तट पर एक गुफा में रहने लगे. राजा शिवलिंग स्थापित कर शिव की आराधना में लीन हो गए. इस तरह से राजा श्लेत से वे महामुनि श्वेत बन गए.
शिव की आराधना करते-करते श्वेत मुनि को यह भी आभास नहीं हुआ कि उनके जीवन आयु अब पूरी होने वाली है और मृत्यु का समय निकट आ रहा है. जब महामुनि श्वेत के मृत्यु का समय आया तो वे गुफा के द्वार पर ही शिथिल हो गए. यमदूत मुनि को बलपूर्वक लेकर जाने लगे. मुनि को लेकर जाने लगे, तब श्वेत मुनि की रक्षा के लिए शिवगण प्रकट हुए. भैरव ने प्रहार कर यमदूत को मार दिया.
जब यमराज को इसका पता चला तोवे क्रोधित हो गए और यमदंड लेकर भैंस पर सवार होकर अपनी सेना लेकर पहुंचे. यमराज बलपूर्वक श्वेत मुनि को लेकर जाने लगे तब सेनापति कार्तिकेय ने अपने शक्तिअस्त्र से यमराज पर प्रहार कर दिया जिससे यमराज की मृत्यु हो गई. अपने पुत्र के मृत्यु की खबर सुनकर सूर्य देव तुरंत शिवजी के पास पहुंचे और यमराज को पुनर्जीवित करने की प्रार्थना की. तब भगवान शिव ने यमुना का जल यमराज के पार्थिक शरीर पर छिड़क दिया, जिससे वो जीवित हो गए.
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