9 मिलियन साल पुराना रिश्ता: टमाटर और आलू का DNA कनेक्शन
एक नई वैज्ञानिक स्टडी में खुलासा हुआ है कि लगभग 90 लाख साल पहले दक्षिण अमेरिका की एंडीज पर्वत श्रृंखला में एक टमाटर जैसी जंगली प्रजाति और एक आलू जैसे पौधे के बीच नेचुरल इंटरब्रिडिंग यानी प्राकृतिक मेल हुआ. इस मेल से जो हाइब्रिड पौधा पैदा हुआ, उसमें पहली बार ‘ट्यूबर’ यानी वो हिस्सा बना जिसे हम आज ‘आलू’ कहते हैं. ये ट्यूबर जमीन के नीचे बनने वाला ऐसा हिस्सा था जो पोषक तत्वों को स्टोर कर सकता था और ठंडी जगहों में भी पौधे को जिंदा रख सकता था.
मौसम से तालमेल बैठाने में मददगार बना ट्यूबर
रिसर्चर्स के मुताबिक, उस समय एंडीज में जलवायु तेजी से बदल रही थी. तापमान गिर रहा था और इलाका ज्यादा ठंडा और सूखा हो रहा था. ऐसे माहौल में जिन पौधों के पास ट्यूबर था, वो ज्यादा लंबे समय तक सर्वाइव कर पाए. ट्यूबर पौधों को बिना बीज के भी आगे बढ़ने की क्षमता देता है, जिसे एसेक्शुअल रिप्रोडक्शन कहते हैं. इससे वो ठंडी जगहों में भी तेजी से फैल सके.

साइंटिस्ट्स का कमाल: जीन का रहस्य और नई संभावनाएं
इस नई स्टडी में 450 आलू प्रजातियों और 56 जंगली किस्मों के जीनोम का विश्लेषण किया गया. इसके जरिए दो खास जीन भी खोजे गए हैं जो ट्यूबर बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं. ये जानकारी आगे चलकर ऐसी नई किस्में विकसित करने में मदद कर सकती है जो जलवायु परिवर्तन का सामना कर सकें. कुछ वैज्ञानिक तो यह भी सोच रहे हैं कि ऐसा पौधा तैयार किया जा सके जो ऊपर टमाटर दे और नीचे आलू!
आज दुनिया में करीब 5000 से भी ज्यादा आलू की वैरायटी मौजूद हैं. इंटरनेशनल पोटैटो सेंटर के अनुसार, मानव उपभोग के लिए आलू दुनिया की तीसरी सबसे महत्वपूर्ण फसल है- चावल और गेहूं के बाद. चीन इस समय दुनिया का सबसे बड़ा आलू उत्पादक देश है.

आलू को अक्सर सिर्फ कार्बोहाइड्रेट समझा जाता है, लेकिन सच्चाई यह है कि इसमें विटामिन C, पोटैशियम, फाइबर और रेजिस्टेंट स्टार्च भी होता है. यह ग्लूटन-फ्री, कम वसा वाला और लंबे समय तक पेट भरने वाला फूड है. रेजिस्टेंट स्टार्च हमारे पाचन तंत्र के लिए भी फायदेमंद है, क्योंकि यह बड़ी आंत में अच्छे बैक्टीरिया को पोषण देता है.
भारत में आलू और टमाटर की एंट्री 16वीं शताब्दी के बाद हुई, जब यूरोपीय खोजकर्ताओं ने दक्षिण अमेरिका से इन्हें पूरी दुनिया में फैलाया. पुर्तगाली व्यापारी सबसे पहले आलू और टमाटर को भारत लेकर आए थे. धीरे-धीरे ये सब्जियां भारतीय रसोई का हिस्सा बन गईं और आज इनके बिना खाना अधूरा लगता है.

दो महाद्वीपों का मेल, हमारी थाली का ताज
आलू और टमाटर की ये कहानी सिर्फ बॉटनी या जेनेटिक्स तक सीमित नहीं है, ये हमारे रोज़मर्रा की जिंदगी और थाली से गहराई से जुड़ी है. ये दिखाता है कि कैसे लाखों साल पुराना प्राकृतिक मेल आज दुनिया की सबसे ज़रूरी सब्जियों को जन्म दे सकता है. अगली बार जब आप टमाटर आलू की सब्जी खाएं, तो ज़रा इस मजेदार इतिहास को भी याद करें, क्योंकि आपके खाने की हर बाइट में छिपी है करोड़ों साल पुरानी एक कहानी.

