Monday, July 7, 2025
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एस्ट्रोनॉट शुभांशु ने ISS की स्पेशल विंडो से पृथ्वी देखी: 7 खिड़कियों वाले कपोला से धरती की तस्वीरें खीचीं; इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में 9 दिन पूरे


टेक्सास1 घंटे पहले

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इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के कपोला मॉड्यूल से पृथ्वी को देखते भारतीय एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला।

भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला की इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) से नई तस्वीरें शनिवार को सोशल मीडिया पर सामने आई हैं। इसमें शुभांशु ISS के कपोला मॉड्यूल के विंडो से पृथ्वी देखते नजर आ रहे हैं।

ये फोटोज ISRO, केंद्र सरकार और अमेरिकी स्पेस कंपनी एक्सियम ने शेयर की हैं। कुछ तस्वीरों में शुभांशु पृथ्वी की फोटोग्राफी करते हुए भी दिखे। कपोला मॉड्यूल एक गुंबदनुमा ऑब्जर्वेशन विंडो है, जिसमें 7 खिड़कियां होती हैं।

इसे अंतरिक्ष यात्रियों को बाहरी अंतरिक्ष, पृथ्वी और स्टेशन के बाहर के कामकाज को देखने और कंट्रोल करने के लिए बनाया गया है। कपोला विंडो को ISS पर पृथ्वी की सबसे सुंदर तस्वीरें लेने की जगह मानी जाती है।

भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु समेत 4 एस्ट्रोनॉट 25 जून को ISS के लिए रवाना हुए थे। करीब 28 घंटे के सफर के बाद 26 जून को शाम 4:01 बजे ISS पहुंचे। शुभांशु को ISS पर गए आज 9 दिन पूरे हो चुके हैं। वे ISS पर जाने वाले पहले भारतीय और अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय हैं।

कपोला से शुभांशु शुक्ला की तस्वीरें…

शुभांशु शुक्ला ने ISS के कपोला मॉड्यूल की खिड़कियों से धरती का खूबसूरत नजारा देखा।

शुभांशु शुक्ला ने ISS के कपोला मॉड्यूल की खिड़कियों से धरती का खूबसूरत नजारा देखा।

तस्वीरों में शुभांशु शुक्‍ला के चेहरे पर मुस्‍कुराहट है। वे स्‍वस्‍थ और खुश नजर आ रहे हैं।

तस्वीरों में शुभांशु शुक्‍ला के चेहरे पर मुस्‍कुराहट है। वे स्‍वस्‍थ और खुश नजर आ रहे हैं।

शुभांशु ने कपोला मॉड्यूल के अंदर कैमरे से पृथ्वी की तस्वीरें भी खींचीं।

शुभांशु ने कपोला मॉड्यूल के अंदर कैमरे से पृथ्वी की तस्वीरें भी खींचीं।

केंद्र सरकार ने X पर लिखा- शुभांशु ने अंतरिक्ष में सितारों के बीच भारत का प्रतिनिधित्व किया है।

केंद्र सरकार ने X पर लिखा- शुभांशु ने अंतरिक्ष में सितारों के बीच भारत का प्रतिनिधित्व किया है।

शुभांशु ने PM से कहा- अंतरिक्ष से कोई सीमा नहीं दिखती प्रधानमंत्री मोदी ने 28 जून को शुभांशु से से वीडियो कॉल पर बातचीत की। उन्होंने पूछा कि अंतरिक्ष को देखकर उन्हें सबसे पहले क्या महसूस हुआ, तो ग्रुप कैप्‍टन शुक्ला ने कहा, ‘अंतरिक्ष से, आपको कोई सीमा नहीं दिखती। पूरी पृथ्वी एकजुट दिखती है।’

शुभांशु ने प्रधानमंत्री मोदी से कहा- अंतरिक्ष से भारत बहुत भव्य दिखता है। हम दिन में 16 सूर्योदय और 16 सूर्यास्त देखते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने शुभांशु शुक्ला से पूछा कि आप गाजर का हलवा लेकर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन गए हैं। क्या आपने अपने साथियों को खिलाया। इस पर शुभांशु ने कहा कि हां साथियों के साथ बैठकर खाया।

तस्वीर 26 जून की है, जब स्पेस स्टेशन का हैच खुलने के बाद शुभांशु ने एंट्री की थी। वे साथी एस्ट्रोनॉट से गिले मिले थे।

तस्वीर 26 जून की है, जब स्पेस स्टेशन का हैच खुलने के बाद शुभांशु ने एंट्री की थी। वे साथी एस्ट्रोनॉट से गिले मिले थे।

एक्सियम-4 मिशन का हिस्सा हैं शुभांशु शुक्ला

शुभांशु शुक्ला एक्सियम-4 मिशन का हिस्सा हैं, जिसकी एक सीट के लिए भारत ने 548 करोड़ रुपए चुकाए हैं। यह एक प्राइवेट स्पेस फ्लाइट मिशन है, जो अमेरिकी स्पेस कंपनी एक्सियम, NASA और स्पेसएक्स की साझेदारी से हो रहा है। यह कंपनी अपने स्पेसक्राफ्ट में निजी अंतरिक्ष यात्रियों को ISS भेजती है।

शुभांशु ISS में इंडियन एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स​​ के 7 प्रयोग करेंगे। इनमें ज्यादातर बायोलॉजिकल स्टडीज हैं। वे NASA के साथ 5 अन्य प्रयोग करेंगे, जिसमें लंबे अंतरिक्ष मिशन के लिए डेटा जुटाएंगे। इस मिशन में किए गए प्रयोग भारत के गगनयान मिशन को मजबूत करेंगे।

41 साल बाद कोई भारतीय एस्ट्रोनॉट अंतरिक्ष में गया अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा और भारतीय एजेंसी इसरो के बीच हुए एग्रीमेंट के तहत भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को इस मिशन के लिए चुना गया है। 41 साल पहले भारत के राकेश शर्मा ने 1984 में सोवियत यूनियन के स्पेसक्राफ्ट से अंतरिक्ष यात्रा की थी।

शुभांशु का ये अनुभव भारत के गगनयान मिशन में काम आएगा। ये भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन है, जिसका उद्देश्य भारतीय गगनयात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजना और सुरक्षित रूप से वापस लाना है। इसके 2027 में लॉन्च होने की संभावना है। भारत में एस्ट्रोनॉट को गगनयात्री कहा जाता है। इसी तरह रूस में कॉस्मोनॉट और चीन में ताइकोनॉट कहते हैं।

स्पेस स्टेशन पर शुभांशु शुक्ला को 634 नंबर का बैज दिया गया है।

स्पेस स्टेशन पर शुभांशु शुक्ला को 634 नंबर का बैज दिया गया है।

6 बार टाला गया एक्सियम-4 मिशन

  • 29 मई को ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट के तैयार नहीं होने के कारण लॉन्चिंग टाल दी गई।
  • इसे 8 जून को शेड्यूल किया गया। फाल्कन-9 रॉकेट लॉन्च के लिए तैयार नहीं था।
  • नई तारीख 10 जून दी गई। फिर से इसे मौसम खराब होने की वजह से टाला गया।
  • चौथी बार 11 जून को मिशन शेड्यूल किया गया। इस बार आक्सीजन लीक हो गई।
  • नई तारीख 19 जून दी गई। मौसम की अनिश्चितता, क्रू मेंबर्स की सेहत के कारण टल गया।
  • छठी बार मिशन को 22 जून के लिए शेड्यूल किया गया। ISS के ज्वेज्दा सर्विस मॉड्यूल के मूल्यांकन करने के लिए अतिरिक्त समय चाहिए था। इसलिए मिशन टल गया।

मिशन का उद्देश्य: स्पेस स्टेशन बनाने की प्लानिंग का हिस्सा

Ax-4 मिशन का मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष में रिसर्च करना और नई टेक्नोलॉजी को टेस्ट करना है। ये मिशन प्राइवेट स्पेस ट्रैवल को बढ़ावा देने के लिए भी है और एक्सियम स्पेस प्लानिंग का हिस्सा है, जिसमें भविष्य में एक कॉमर्शियल स्पेस स्टेशन (एक्सियम स्टेशन) बनाने की योजना है।

  • वैज्ञानिक प्रयोग: माइक्रोग्रेविटी में विभिन्न प्रयोग करना।
  • टेक्नोलॉजी टेस्टिंग: अंतरिक्ष में नई तकनीकों का परीक्षण और विकास।
  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग: विभिन्न देशों के अंतरिक्ष यात्रियों को एक मंच प्रदान करना।
  • एजुकेशनल एक्टिविटीज: अंतरिक्ष से पृथ्वी पर लोगों को प्रेरित करना और जागरूकता फैलाना।

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