Monday, July 21, 2025
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ऐसे बनाएं पहाड़ों वाली स्पेशल चाय, पीने वाले बार-बार करेंगे डिमांड…


बागेश्वर: उत्तराखंड की वादियों में बसा बागेश्वर ना सिर्फ अपनी सुंदरता के लिए मशहूर है, बल्कि यहां की परंपराएं, खान-पान और जीवनशैली भी लोगों को अपनी ओर खींचती हैं. ऐसी ही एक खास परंपरा है यहां की पारंपरिक पहाड़ी चाय. यह चाय सिर्फ सुबह की शुरुआत के लिए नहीं, बल्कि शरीर को सेहतमंद बनाए रखने के लिए भी जानी जाती है. खास बात यह है कि इस चाय को आप अपने घर में भी आसानी से बना सकते हैं, वो भी कुछ सिंपल सी सामग्री से.

क्या है पहाड़ी चाय की खासियत
उत्तराखंड में बनने वाली पहाड़ी चाय स्वाद, खुशबू और स्वास्थ्य लाभों के लिए मशहूर है. यह आम चाय से बिल्कुल अलग होती है. इसमें डाले जाने वाले नेचुरल इंग्रीडिएंट्स न केवल इसका टेस्ट बेहतर बनाते हैं, बल्कि यह शरीर को अंदर से मजबूत भी करते हैं.

इसमें तुलसी, अदरक, दालचीनी, इलायची और चायपत्ती का इस्तेमाल होता है. कुछ क्षेत्रों में मौसम के अनुसार इसमें बुरांश के सूखे फूल भी डाले जाते हैं, जिससे इसका स्वाद और रंग दोनों खास हो जाते हैं.

कैसे बनाएं पहाड़ी चाय
इस चाय को बनाना बिल्कुल आसान है और इसे बनाने के लिए ज़्यादा सामग्री की भी ज़रूरत नहीं होती. सबसे पहले एक पैन में डेढ़ कप पानी डालें. फिर उसमें 4-5 तुलसी की पत्तियां, एक छोटा टुकड़ा कटी हुई अदरक, एक टुकड़ा दालचीनी और 1 इलायची डालें. अब इस पानी को धीमी आंच पर तब तक उबालें जब तक यह लगभग आधा न रह जाए.

इसके बाद इसमें स्वादानुसार चायपत्ती और दूध मिलाएं. दो मिनट और उबालें, फिर छानकर कप में डालें. चाहें तो स्वाद के अनुसार थोड़ी सी चीनी भी मिला सकते हैं.

क्यों है यह चाय सेहत के लिए फायदेमंद
इस पहाड़ी चाय में डलने वाले हर एक इंग्रीडिएंट्स का अपना अलग औषधीय महत्व है.

तुलसी और अदरक गले की खराश, खांसी और सर्दी में राहत देते हैं. दालचीनी और इलायची शरीर में गर्माहट लाते हैं और ऊर्जा बढ़ाते हैं. अगर इसमें बुरांश के फूल मिलाएं जाएं, तो इसका रंग हल्का गुलाबी हो जाता है और स्वाद भी बेहद खास हो जाता है.

बुरांश के फूल एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होते हैं और यह दिल की सेहत के लिए भी लाभकारी माने जाते हैं.

थकान मिटाने वाली थेरेपी
स्थानीय लोगों का मानना है कि यह चाय शरीर को दिनभर ऊर्जावान बनाए रखती है. यही वजह है कि उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में दिन की शुरुआत इसी चाय से होती है. कई लोग तो दिन में दो से तीन बार इसे पीते हैं. यह पारंपरिक चाय बिना किसी कृत्रिम स्वाद या ज़्यादा मसालों के बनती है, जिससे इसकी प्राकृतिक खुशबू और स्वाद पूरी तरह बरकरार रहते हैं.



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