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- PM Modi Operation Sindoor Delegation Meeting Schedule; BJP Congress | AIMIM
32 मिनट पहले
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भाजपा सांसद बैजयंत पांडा के नेतृत्व वाला डेलिगेशन मंगलवार को दिल्ली पहुंचा।
ऑपरेशन सिंदूर और पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद के खिलाफ भारत का रुख दुनिया को बताने गए डेलिगेशन ग्रुप्स से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले हफ्ते मुलाकात कर सकते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पीएम मोदी सभी 7 डेलिगेशन ग्रुप से 9 या 10 जून को मिलेंगे। इस दौरान डेलिगेशन अपने दौरे की प्रधानमंत्री को रिपोर्ट सौंपेंगे।
भाजपा के बैजयंत पांडा के नेतृत्व में वाला डेलिगेशन आज मंगलवार को भारत लौट आया है। इस ग्रुप में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे, फंगनन कोन्याक और रेखा शर्मा, AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी, सतनाम सिंह संधू, गुलाम नबी आजाद और पूर्व विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला शामिल हैं। इन्होंने सऊदी अरब, कुवैत, बहरीन और अल्जीरिया 4 देशों की यात्रा की।
बाकी छह डेलिगेशन 8 जून तक विदेश दौरे से वापसी करेंगे। केंद्र सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर का मकसद दुनिया को बताने के लिए देश के 59 सांसदों को 33 देश भेजा गया। 59 सांसद 7 सर्वदलीय टीमों (डेलिगेशन) में बांटा गया। 7 टीमों के साथ 8 पूर्व राजनयिक भी रहे।

दुनिया को ये 5 बड़े संदेश देंगे 59 सांसद…
- आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस : इसमें बताएंगे कि ऑपरेशन सिंदूर आतंकी गुटों और उनके ढांचों के खिलाफ था। आतंकी अड्डों को नपी-तुली कार्रवाई में निशाना बनाया गया। पाक सेना ने इसे खुद के खिलाफ हमला माना और पलटवार किया।
- पाक आतंक का समर्थक : सांसद कुछ सबूत लेकर जा रहे हैं, जिनमें वो बताएंगे कि पहलगाम हमले में पाक समर्थित आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) की भूमिका थी। इससे पहले हुए हमलों का भी पूरा चिट्ठा सांसद ले जा रहे हैं।
- भारत जिम्मेदार और संयमित : भारत ने सैन्य कार्रवाई में भी जिम्मेदारी और संयम का परिचय दिया। यह सुनिश्चित किया कि पाक के किसी निर्दोष नागरिक की जान न जाए। पाक ने कार्रवाई रोकने का जब आग्रह किया तो भारत ने उसे तत्परता से स्वीकारा।
- आतंक के खिलाफ विश्व एकजुट हो : सांसद इन देशों से आतंकवाद के खिलाफ खुलकर आवाज उठाने और इससे निपटने के लिए सहयोग व समर्थन भी मांगेंगे। अपील करेंगे कि भारत-पाक के विवाद को आतंकवाद के खिलाफ युद्ध के तौर पर देखें।
- पाक को लेकर हमारी नीति : यह बताएंगे कि पाक के खिलाफ भारत ने अपना बदला हुआ दृष्टिकोण उजागर किया है। भारत सीमा पार से पैदा होने वाले खतरे को लेकर उदासीन रहने के बजाए प्रो-एक्टिव रवैया अपनाएगा और आतंकी हमलावरों को पहले ही निष्क्रय करेगा।
पिछली सरकारों ने भी अपना पक्ष रखने के लिए डेलिगेशन विदेश भेजे-
1994: विपक्ष के नेता वाजपेयी ने UNHRC में भारत का पक्ष रखा था ये पहली बार नहीं है, जब केंद्र सरकार किसी मुद्दे पर अपना पक्ष रखने के लिए विपक्षी पार्टियों की मदद लेगी। इससे पहले 1994 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने कश्मीर के मुद्दे पर भारत का पक्ष रखने के लिए विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भारतीय डेलिगेशन को जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग (UNHRC) भेजा था।
उस डेलिगेशन में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला और सलमान खुर्शीद जैसे नेता भी शामिल थे। तब पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में कथित मानवाधिकार उल्लंघन के संबंध में UNHRC के सामने एक प्रस्ताव पेश करने की तैयारी में था।
हालांकि, भारतीय डेलिगेशन ने पाकिस्तान के आरोपों का जवाब दिया और नतीजतन पाकिस्तान को अपना प्रस्ताव वापस लेना पड़ा। उस समय UN में भारत के राजदूत हामिद अंसारी ने भी प्रधानमंत्री राव की रणनीति सफल कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
2008: मुंबई हमलों के बाद मनमोहन सरकार ने डेलिगेशन विदेश भेजा था 2008 में मुंबई हमलों के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी आतंकवादी हमलों में पाकिस्तानी लिंक होने से जुड़े दस्तावेजों के साथ विभिन्न राजनीतिक दलों के डेलिगेशन को विदेश भेजने का फैसला किया था।
भारत ने पाकिस्तान पर सैन्य हमला न करने का फैसला किया था। हालांकि, मनमोहन सरकार के कूटनीतिक हमले के कारण पाकिस्तान पर लश्कर-ए-तैयबा और अन्य आतंकी समूहों के खिलाफ एक्शन लेने के लिए काफी अंतरराष्ट्रीय दबाव पड़ा। यूनाइटेड नेशन्स सिक्योरिटी काउंसिल और फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने पाकिस्तान को पहली बार ग्रे-लिस्ट में भी डाला था।
क्या है ऑपरेशन सिंदूर? 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला हुआ था। आतंकियों ने 26 टूरिस्ट्स की हत्या की थी। 7 मई को भारत ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) और पाक में मौजूद 9 आतंकी ठिकानों पर एयरस्ट्राइक की थी। सेना ने 100 आतंकियों को मार गिराया था। दोनों देशों के बीच 10 मई की शाम 5 बजे से सीजफायर पर सहमति बनी थी।


