बच्चों को होने वाली विभिन्न रोगों एवं जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकार द्वारा लगातार अभियान चलाया जा रहा है ताकि शिशु मृत्यु दर में कमी लाई जा सके। इसी उद्देश्य से मंगलवार को मधुबनी सदर अस्पताल के प्रांगण में स्टॉ
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जिले में 10,80,561 घरों में 8,27,027 बच्चों को लक्षित किया गया है। जिसके लिए विभाग द्वारा 10,12,281 ओआरएस एवं 1,04,20,537 जिंक टेबलेट उपलब्ध कराया गया है। अभियान जिले के 3858 आंगनबाड़ी केंद्रों में चलाया जाएगा। सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा उद्घाटन कार्यक्रम में मौजूद यूनिसेफ एसएमसी प्रमोद कुमार झा ने बताया कि बच्चों में डायरिया होने में गंदगी की अहम भूमिका है। उन्होंने कहा कि इस पखवाड़ा के दौरान आशा कार्यकर्ता ओआरएस एवं जिंक की गोली देने के साथ-साथ स्वच्छता के प्रति भी जागरूक करेंगी। सही तरीके से हाथ धोने की जानकारी देंगी। घरेलू उपचार से बच्चे को डायरिया से पीड़ित होने से कैसे बचाया जाए, ये भी जानकारी देंगी। इस मौके पर सदर अस्पताल के प्रभारी अधीक्षक डॉ राजीव रंजन, जिला कार्यक्रम प्रबंधक पंकज मिश्रा, एचएम अब्दुल मजीद,जिला सामुदायिक उत्प्रेरक नवीन दास, आईडीएसपी एपिडेमियोलॉजस्टि अनिल चक्रवर्ती सहित अन्य उपस्थित थे।
पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में डायरिया का खतरा बढ़ जाता है जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ एस. के. विश्वकर्मा ने बताया कि गर्मी व बरसात के दिनों में 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में डायरिया का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में प्राथमिक उपचार में ओआरएस घोल एवं जिंक का टैबलेट बहुत फायदेमंद होता है। उन्होंने बताया कि डायरिया के दौरान बच्चों में डिहाइड्रेशन की समस्या हो जाती है जो बच्चों के लिए जानलेवा भी साबित हो सकती है। ऐसे में 2 दिनों तक लगातार ओआरएस का घोल एवं 14 दिनों तक लगातार जिंक की गोली बच्चों के लिए फायदेमंद होती है। इससे बच्चों की जान बचाई जा सकती है। डीपीएम पंकज कुमार मिश्रा ने बताया कि 0 से 6 महीना के बच्चों को दस्त हो जाये तो इसे दो दिनों तक लगातार ओआरएस का घोल एवं आधा जिंक की गोली रोज देना है। 7 माह से 5 साल के बच्चे को घोल के साथ एक जिंक की गोली लगातार 14 दिनों तक देना है। 14 दिनों तक जिंक की गोली देने के बाद अगले तीन महीनों तक बच्चों को डायरिया होने का खतरा कम होता है।