नई दिल्ली2 घंटे पहले
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पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी।
करगिल युद्ध शुरू होने से कुछ हफ्ते पहले भारत के तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी और पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ की सरकारों के बीच जम्मू-कश्मीर मुद्दे को सुलझाने के लिए गुप्त वार्ता हुई थी।
इसमें चिनाब नदी के आधार पर राज्य को सांप्रदायिक आधार पर बांटने का प्रस्ताव रखा गया था। इसका खुलासा पत्रकार और लेखक अभिषेक चौधरी की नई किताब ‘द बिलीवर्स डिलेमा: वाजपेयी एंड द हिंदू राइट्स पाथ टू पावर’ में किया गया है। किताब के मुताबिक, वाजपेयी की 1999 की पाक यात्रा व लाहौर घोषणापत्र के बाद दिल्ली के एक होटल में पाक के पूर्व राजनयिक नियाज नाइक और भारत के मध्यस्थ आरके मिश्रा के बीच 5 दिन तक गुप्त वार्ता हुई। इस दौरान दोनों ने कश्मीर मुद्दे का समाधान तलाशने की कोशिश की थी।

कारगिल का बटालिक सेक्टर चारों तरफ से ऊंची पहाड़ियों से घिरा है। ये जगह भारत के लिए रणनीतिक तौर पर बेहद महत्वपूर्ण है।
चिनाब फॉर्मूला आखिरकार क्या था? इन बैठकों में वाजपेयी ने दोनों को ‘नई सोच’ अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया। इसके बाद नाइक और मिश्रा ने मिलकर चिनाब फॉर्मूला तैयार किया। इसके तहत चिनाब नदी के पश्चिमी हिस्से के मुस्लिम बहुल जिलों को पाक को देना था। पूर्वी हिस्से के हिंदू बहुल जिलों को भारत में बनाए रखना था।
कौन से विकल्प खारिज किए गए थे? किताब में बताया गया है कि इस फॉर्मूले से पहले कई अन्य विकल्पों पर भी चर्चा हुई थी, जैसे- नियंत्रण रेखा को अंतरराष्ट्रीय सीमा मानना (नाइक ने खारिज किया), कश्मीर को स्वायत्तता देना (नाइक ने खारिज किया), कश्मीर को स्वतंत्र करना (मिश्रा ने खारिज किया) और क्षेत्रवार जनमत संग्रह (मिश्रा ने खारिज किया)।
वाजपेयी ने शरीफ को भेजा था संदेश 1 अप्रैल 1999 को इस्लामाबाद लौटने से पहले नाइक ने वाजपेयी से मुलाकात की। वाजपेयी ने उनके जरिए शरीफ को संदेश भेजा कि गर्मियों में घुसपैठ और सीमा पार गोलीबारी रोकी जाए। लेकिन इसके उलट मई की शुरुआत में भारतीय खुफिया एजेंसियों और गश्ती दलों ने नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तानी गतिविधियों में तेजी देखी।

अभिषेक चौधरी की किताब ‘द बिलीवर्स डिलेमा: वाजपेयी एंड द हिंदू राइट्स पाथ टू पावर’ में ये सभी दावा किया गया है।
करगिल पर वाजपेयी की नाराजगी स्थिति बिगड़ने पर वाजपेयी ने मिश्रा को 17 मई को इस्लामाबाद भेजा। मिश्रा ने शरीफ से सीधा सवाल किया कि क्या उन्होंने करगिल ऑपरेशन की जानकारी रखते हुए लाहौर घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए थे। किताब के अनुसार, इसी दिन शरीफ को करगिल ऑपरेशन की पहली जानकारी दी गई थी, वह भी अधूरी और बिना नक्शों के।
शरीफ ने सेना को दी थी हरी झंडी किताब में दावा है कि शरीफ ने विदेश मंत्री सरताज अजीज और अन्य अधिकारियों की चेतावनियों को नजरअंदाज कर दिया और सेना को करगिल ऑपरेशन जारी रखने की सलाह दी। उन्होंने कहा, यह मुद्दा बसों से नहीं, अल्लाह का नाम लेकर हल होगा।
26 जुलाई 99 को पाक सेना को खदेड़ा करगिल युद्ध मई 1999 में शुरू हुआ था। जुलाई में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ विजय हासिल की। 26 जुलाई को भारत ने आधिकारिक घोषणा की।

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