श्रीधर वेम्बु का सफर काफी इंस्पायरिंग है। उन्होंने 1989 में आईआईटी मद्रास से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक की पढ़ाई पूरी की और इसके बाद अमेरिका के प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से पीएचडी की डिग्री हासिल की।
भारत में इस वक्त स्वदेशी इंस्टैंट मैसेजिंग ऐप Arattai की खूब चर्चा हो रही है। व्हाट्सऐप जैसे फीचर्स से लैस यह ऐप लॉन्च होते ही लोगों के बीच लोकप्रिय हो गया और देखते-ही-देखते ऐप स्टोर पर टॉप पर पहुंच गया। लेकिन इस ऐप के पीछे जिस शख्सियत का नाम है, उनकी लाइफस्टाइल किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं। हम बात कर रहे हैं जोहो कॉर्पोरेशन के फाउंडर और अरबपति एंटरप्रेन्योर श्रीधर वेम्बु की, जिनकी नेटवर्थ आज करीब 5.8 अरब डॉलर (करीब 8850 करोड़ रुपये) आंकी जाती है। इसके बावजूद वे सादगी और जमीन से जुड़ा जीवन जीते हैं और आज भी गांव की पगडंडियों पर साइकिल से घूमते नजर आते हैं।
आईआईटी से अमेरिका तक का सफर
श्रीधर वेम्बु का सफर काफी इंस्पायरिंग है। उन्होंने 1989 में आईआईटी मद्रास से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक की पढ़ाई पूरी की और इसके बाद अमेरिका के प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से पीएचडी की डिग्री हासिल की। पढ़ाई खत्म होते ही उन्होंने अमेरिकी कंपनी क्वालकॉम में सिस्टम डिजाइन इंजीनियर के तौर पर नौकरी शुरू की। हालांकि, नौकरी उन्हें रास नहीं आई और उन्होंने खुद का कुछ बड़ा करने का सपना देखा।

अरबों की संपत्ती के बावजूद श्रीधर वेम्बु सादगी और जमीन से जुड़ा जीवन जीते हैं।
ऐसे रखी Zoho की नींव
90 के दशक में श्रीधर वेम्बु ने अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर AdventNet की शुरुआत की, जो आगे चलकर जोहो कॉर्प बन गई। आज जोहो को भारत की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनियों में गिना जाता है, जो दुनिया भर में लाखों ग्राहकों को सेवाएं दे रही है। जोहो ने 2023-24 में करीब 8,703 करोड़ रुपये का कंसोलिडेटेड रेवेन्यू दर्ज किया और कंपनी का वैल्यूएशन 1.04 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया।

श्रीधर वेम्बु का सफर काफी इंस्पायरिंग है।
अरबपति होकर भी गांव में जीवन
फोर्ब्स की 2024 की इंडिया टॉप-100 बिलेनियर्स लिस्ट में श्रीधर वेम्बु 51वें पायदान पर थे। उनकी संपत्ति साल-दर-साल तेजी से बढ़ी है. 2018 में जहां उनकी नेटवर्थ 1.6 अरब डॉलर थी, वहीं 2024 में यह 5 अरब डॉलर से ज्यादा हो गई। इसके बावजूद उन्होंने भव्य शहरों की बजाय तमिलनाडु के तेनकाशी और तंजावुर जैसे गांवों को अपना ठिकाना बनाया। वे अक्सर लोकल ट्रिप साइकिल से ही करते हैं। यही वजह है कि अरबपति होने के बावजूद उनकी छवि एक सादगीप्रिय और जमीन से जुड़े इंसान की बनी हुई है।

श्रीधर वेम्बु ने तमिलनाडु के तेनकाशी और तंजावुर जैसे गांवों को अपना ठिकाना बनाया है।
आईपीओ की चर्चा पर वेम्बु का जवाब
Arattai की सफलता के बाद जब जोहो के आईपीओ को लेकर अटकलें तेज हुईं, तो श्रीधर वेम्बु ने साफ कहा कि कंपनी फिलहाल शेयर बाजार में उतरने की जल्दी में नहीं है। उनका कहना है कि जोहो की कई इनोवेटिव प्रोजेक्ट्स बिना किसी दबाव के ही संभव हुई हैं और यही उनकी असली ताकत है।

