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1950 के दशक में, जहां फिल्म इंडस्ट्री पुरुषों के इशारों पर चलती थी, तब इस एक्ट्रेस अपनी शर्तों पर काम किया और अपने अभिनय से लोगों के दिलों पर राज किया. उन्होंने अपनी अदाकारी से ब्लैक एंड व्हाइट जमाने में भी रंग…और पढ़ें
मधुबाला ‘मुगल-ए-आजम’ के लिए पहली पसंद नहीं थीं.
हाइलाइट्स
- बॉलीवुड की ‘लेडी बॉस’.
- 1.5 लाख रुपये लेती थीं फीस.
- 15 साल का रहा फिल्मी करियर.
नई दिल्ली. हिंदी सिनेमा के स्वर्ण युग की दमदार नायिकाओं में से एक थीं खूबसूरती की मल्लिका बीना राय, जो उस दौर में एक फिल्म के लिए डेढ़ लाख रुपए लेती थीं. 13 जुलाई 1931 को लाहौर में जन्मीं यह सजीव सौंदर्य की मूर्ति पर्दे पर जितनी सौम्य दिखती थीं, उतनी ही उनके अभिनय में गहराई थी. उन्होंने 1950 के दशक में अपने अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया, विशेष रूप से ‘अनारकली‘ (1953) में. इसके गाने और इनकी अदायगी लोगों के जेहन में आज भी जिंदा है. इससे जुड़ा एक बेहतरीन किस्सा भी है.
1.5 लाख रुपये लेती थीं फीस
वो दौर ऐसा था जब एक फिल्म के लिए हीरो को पचास हजार से एक लाख रुपये मिलते थे, लेकिन बीना राय जैसी एक्ट्रेस को 1.5 लाख रुपये दिए जाते थे. उस दौर में यह सिर्फ एक फीस नहीं थी, बल्कि इंडस्ट्री में बदलाव की कीमत थी. अपनी मेहनत के दम पर बीना राय ने अपना स्टारडम बनाया. उनके नाम पर फिल्में बनती और बिकती थीं.

बीना राय एक दौर में मेकर्स की पहली पसंद बन गई थीं. फोटो साभार-IMDb
यूपी के कानपुर से रहा ताल्लुक
जब भूख हड़ताल पर चली गई बीना राय
एक दिन उन्होंने अखबार में एक विज्ञापन देखा, जिसमें लिखा था कि निर्देशक किशोर साहू अपनी फिल्म के लिए नई अभिनेत्री खोज रहे हैं और इसके लिए एक टैलेंट कॉन्टेस्ट रखा गया है. बीना राय ने इस कॉन्टेस्ट में हिस्सा लेने का फैसला लिया, लेकिन घरवाले इसके खिलाफ थे. उस दौर में फिल्म इंडस्ट्री को लड़कियों के लिए अच्छा नहीं माना जाता था, लेकिन बीना राय ने हिम्मत नहीं हारी और भूख हड़ताल पर चली गई. उनकी जिद के आगे परिवारवालों को झुकना पड़ा और वह मुंबई चली गई.
टैलेंट कॉन्टेस्ट में जीते 25,000 रुपये

बीना राय ने उस दौर में भी अपनी शर्तों पर काम किया. फोटो साभार-@IMDb
‘मुगल-ए-आजम’ के लिए थी पहली पसंद
‘अनारकली‘ की सफलता के बाद के. आसिफ ने अपनी फिल्म ‘मुगल-ए-आजम’ का ऑफर दिया था, लेकिन बीना राय ने यह रोल करने से इनकार कर दिया. बाद में यह रोल मधुबाला को मिला, और फिल्म ने इतिहास रच दिया. इसके बाद वह ‘घूंघट’ (1960), ‘ताजमहल‘ (1963), ‘चंगेज खान’, ‘प्यार का सागर’, और ‘शगूफा’ जैसी कई शानदार फिल्मों में नजर आईं. फिल्म ‘घूंघट’ के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला.
15 साल का रहा करियर
शिखा पाण्डेय News18 Digital के साथ दिसंबर 2019 से जुड़ी हैं. पत्रकारिता के क्षेत्र में उन्हें 12 साल से ज्यादा का अनुभव है. News18 Digital से पहले वह Zee News Digital, Samachar Plus, Virat Vaibhav जैसे प्रतिष्ठ…और पढ़ें
शिखा पाण्डेय News18 Digital के साथ दिसंबर 2019 से जुड़ी हैं. पत्रकारिता के क्षेत्र में उन्हें 12 साल से ज्यादा का अनुभव है. News18 Digital से पहले वह Zee News Digital, Samachar Plus, Virat Vaibhav जैसे प्रतिष्ठ… और पढ़ें