नसों में इंजेक्शन लगाने से पहले नसें ढूंढना होता था मुश्किल अब ऐसे डिवाइस हाथ पर लगाकर नस ढूंढना आसान हो गया
झांसी के महारानी लक्ष्मी बाई गवर्नमेंट पैरामेडिकल कॉलेज ने इंजेक्शन और ड्रिप देने के दौरान आसानी से नहीं मिलने वाली नसों को ढूंढने के लिए ‘वेन मेकर कम फाइंडर डिवाइस’ को तैयार किया है।
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हाथ पर लगाकर नसें दिखाती मशीन
इसका तकनीकी हस्तांतरण जल्द ही MBS India नाम की कंपनी को वन टाइम सेटलमेंट के तहत दो लाख रुपए में किया जाएगा। ये उन मरीजों के लिए काफी लाभदायक होगी जिनका वजन अधिक होने के चलते नसें आसानी से नहीं मिलतीं।
महारानी लक्ष्मी बाई पैरामेडिकल कॉलेज के निदेशक डॉक्टर अंशुल जैन ने बताया कि इस तकनीक हस्तांतरण समझौते के तहत पेटेंट की संपूर्ण लागत, डिवाइस का व्यावसायिक निर्माण और प्रमोशनल गतिविधियां सभी कंपनी द्वारा वहन की जाएंगी।
इसके अतिरिक्त, हर स्तर पर चाहे पेटेंट कराया जाना हो, उत्पाद की पैकेजिंग हो या वैज्ञानिक प्रकाशन आविष्कारकों के रूप में पैरामेडिकल कॉलेज व छात्र-शिक्षक टीम का नाम अनिवार्य रूप से लिखा जाएगा।

डॉ. अंशुल जैन
डॉ. अंशुल जैन ने कहा कि जल्द ही डिवाइस का संयुक्त पेटेंट दाखिल किया जाएगा, जिसमें पैरामेडिकल कॉलेज, स्टूडेंट शिवांगी, प्रियंका, हर्षित, अंकिता तथा शिक्षकों में छवि और दुष्यंत प्रकाश के नाम सह-अविष्कारक के रूप में शामिल होंगे। कॉलेज के निदेशक ने बताया कि यह संस्थान का तीसरा सफल तकनीकी हस्तांतरण है।
इससे पूर्व एम्प्यूल ब्रेकिंग डिवाइस और इनोवेटिव ड्रिप सेट का भी औद्योगिक स्तर पर तकनीकी हस्तांतरण किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि संस्थान के दो स्टार्टअप भी पंजीकृत हैं, लेकिन मेडिकल डिवाइस निर्माण में लगने वाली भारी लागत के कारण वह उत्पादन स्तर तक नहीं पहुंच पा रहे हैं।

वेंस फाइंडर मशीन
ऐसे में यदि पर्याप्त संसाधन उपलब्ध न होंने पर भी टेक्नोलॉजी ट्रांसफर नवाचारों को जमीन लाने का बहतरीन तरीका है, जिसमें मेडिकल क्षेत्र में कार्य कर रही प्रमुख कंपनी नवाचार को अपनी लागत पर मैन्युफैक्चर करती हैं।
उन्होंने वेन मेकर डिवाइस की खासियत बताते हुए कहा कि सामान्यतः नस ढूंढने के लिए दो लोगों की आवश्यकता होती है, एक व्यक्ति हाथ कसकर पकड़ता है और दूसरा टॉर्च दिखाता है। यह डिवाइस इन दोनों कार्यों को अकेले ही संभव बनाती है।
डुअल कलर एलईडी लाइट (लाल और पीली) कम रोशनी में नसों की पहचान आसान बनाती है। इनबिल्ट टॉर्निकेट मैकेनिज्म नसों को उभारता है, जिससे IV कैनुलेशन और ब्लड सैंपलिंग सुगमता से हो पाती है।
छोटी सैनिटाइज़र बॉटल के आकार की कॉम्पैक्ट डिवाइस हल्की, पॉकेटेबल और रोजमर्रा के क्लिनिकल उपयोग के लिए उपयुक्त कम लागत, ज़्यादा प्रभाव इस डिवाइस को यूनिक बना देती है। उन्होंने बताया कि मार्किट में आने के बाद ये 1000 से 1200 रुपए में उपलब्ध हो जाएगी।