नई दिल्ली3 घंटे पहलेलेखक: मुकेश कौशिक/सुजीत ठाकुर
- कॉपी लिंक
तस्वीर 7 नवंबर की दिल्ली एयरपोर्ट के बाहर की है। फ्लाइट्स देरी के कारण हजारों पैसेंजर्स परेशान हुए थे।
दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उड़ानों में आई अचानक गड़बड़ी की उच्च स्तरीय जांच कराई जा रही है। जांच में ये भी देखा जा रहा है कि कहीं इसमें बाहरी ताकत या साइबर हमले का हाथ तो नहीं था।
सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार ने शुक्रवार शाम को ही राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) कार्यालय में उच्च स्तरीय बैठक बुला ली थी। इसमें एयरपोर्ट, सुरक्षा एजेंसियों समेत अन्य सभी स्टेक होल्डरों को तलब किया गया था।
बैठक में फ्लाइट प्लान सिस्टम में अचानक आई खराबी की जांच के आदेश भी दिए गए हैं। इसमें यह पता लगाया जा रहा है कि क्या सिस्टम की खराबी किसी बाहरी दखल या तोड़फोड़ की वजह से हुई थी? साथ ही, साइबर हमले की संभावना की भी जांच की जा रही है।

7 नवंबर को IGI पर ATC के ऑटोमैटिक मैसेज स्विच सिस्टम (AMSS) में तकनीकी खराबी से फ्लाइटस ऑपरेशन 12 घंटे से ज्यादा प्रभावित रहा था। 800 से ज्यादा डोमेस्टिक और इंटरनेशनल फ्लाइट्स देरी से उड़ीं थीं जबकि 20 को रद्द करना पड़ा था।
शक क्योंकि… ऑटोमैटिक सिस्टम में खराबी 24 घंटे से ज्यादा वक्त रही
एटीसी (एयर ट्रैफिक कंट्रोल) के सूत्रों ने बताया कि ऑटोमैटेड सिस्टम लागू होने के बाद से इतनी देर तक खराबी रहने की यह अभूतपूर्व घटना है। लगभग 24 घंटे तक दिल्ली एयरपोर्ट पर उड़ानों का संचालन बाधित रहा। ऑटोमैटिक मैसेज स्विचिंग सिस्टम (AMSS) में गड़बड़ी इस बात का साफ संदेह है कि ये बड़ा कोऑर्डिनेटेड साइबर अटैक हो सकता है। एक टर्मिनल से शुरू हुई इस समस्या से पूरा सिस्टम हैंग हो गया था।
दावा- दिल्ली एयरपोर्ट पर टल सकती थी तकनीकी गड़बड़ी की घटना
एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स (ATC) ने दावा किया कि यह घटना टाली जा सकती थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ATC गिल्ड ऑफ इंडिया ने कहा- हमने इसी साल जुलाई में एयरपोर्ट के ऑटोमेशन सिस्टम में खामियों और अपग्रेड की जरूरत पर एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) को अलर्ट किया था, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।

ऑटो सिस्टम से ही टेक ऑफ और लैंडिंग एटीसी के एक अधिकारी ने बताया कि एएमएसएस लागू होने से पहले एयरलाइंस से फ्लाइट प्लान मैन्युअली मिलता था। यह सिस्टम आने के बाद मैसेजिंग से फ्लाइट प्लान मिलने लगा और उसी आधार पर एटीसी से टेक ऑफ और लैंडिंग के निर्णय किए जाने लगे। सिस्टम क्रैश होने के बाद शुक्रवार को एयरपोर्ट पर मैन्युअल काम करना पड़ा।
एयरपोर्ट अफसरों ने यात्रियों के लिए एडवाइजरी जारी की है। इसमें कहा गया है कि एएमएसएस लगातार सुधर रहा है लेकिन यात्री अपनी एयरलाइंस से संपर्क में रहें ताकि उड़ान की रियल टाइम सूचना मिले।
अब जानिए 7 नवंबर का पूरा मामला
दिल्ली एयरपोर्ट पर एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) के ऑटोमेटिक मैसेज स्विच सिस्टम (AMSS) में शुक्रवार को तकनीकी खराबी आने से फ्लाइटस ऑपरेशन 12 घंटे से ज्यादा प्रभावित रहा था। 800 से ज्यादा डोमेस्टिक और इंटरनेशनल फ्लाइट्स देरी से उड़ीं और 20 को रद्द करना पड़ा। सिस्टम में खराबी सुबह 9 बजे आई थी। रात करीब साढ़े 9 बजे ठीक हुई थी।
एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) ने शाम को बताया था कि AMSS सिस्टम एक्टिव है और अब ठीक से काम कर रहा है। सिस्टम ग्लिच के कारण दिनभर पैसेंजर्स एयरपोर्ट पर परेशान होते रहे थे। बोर्डिंग गेट के पास लंबी कतारें लगी थीं। उड़ानों पर नजर रखने वाली वेबसाइट फ्लाइटरडार24 के अनुसार सभी फ्लाइट में एवरेज 50 मिनट की देरी हुई थी।
दिल्ली एयरपोर्ट पर फ्लाइट लेट होने का असर मुंबई, भोपाल, चंड़ीगढ़, अमृतसर समेत देशभर के कई एयरपोर्ट्स पर भी दिखा था। दिल्ली से वहां आने-जाने वाली फ्लाइट भी लेट हुईं थीं। इंडिगो, एअर इंडिया, एअर इंडिया एक्सप्रेस, स्पाइसजेट और अकासा एयरलाइंस ने दिनभर उड़ानों की जानकारी दी थी।
दिल्ली एयरपोर्ट की 3 तस्वीरें…

दिल्ली एयरपोर्ट के काउंटर्स के बाहर शुक्रवार को बड़ी तादाद में पैसेंजर्स इंतजार करते दिखे।

दिल्ली एयरपोर्ट के एयरोब्रिज पर यात्रियों की लंबी लाइन लगी रही।

दिल्ली एयरपोर्ट पर कई पैसेंजर शुक्रवार सुबह पहुंचे तो उन्हें 30-50 मिनट इंतजार करना पड़ा।
ऑटोमेटिक मैसेज स्विचिंग सिस्टम क्या है जानिए
AMSS (ऑटोमेटिक मैसेज स्विचिंग सिस्टम) एयर ट्रैफिक कंट्रोल सर्विस से जुड़ा कंप्यूटर नेटवर्क सिस्टम है। AMSS के जरिए हजारों टेक्स्ट-बेस्ड मैसेज हर दिन पायलट, ग्राउंड स्टाफ और दूसरे एयरपोर्ट्स तक रीयल-टाइम भेजे जाते हैं।
इन मैसेज में क्या होता है-
- हर फ्लाइट का पूरा रूट, ऊंचाई, फ्यूल आदि की जानकारी
- फ्लाइट ने कब उड़ान भरी
- फ्लाइट कब लैंड हुई
- उड़ान में देरी की सूचना
- प्लान बदला या रद्द किया गया
- मौसम संबंधी अपडेट
- एयरस्पेस में चेतावनियां
यह कैसे काम करता है?
एयरलाइन या पायलट फ्लाइट-प्लान डालते हैं। AMSS उस डेटा को चेक करके सही जगह (ATC, दूसरे एयरपोर्ट, संबंधित एयरलाइन) तक पहुंचाता है। अगर रूट या मौसम बदलता है, तो सिस्टम तुरंत सभी को अपडेट भेजता है। यह पूरे एयर ट्रैफिक रूट को सिंक रखता है।
अगर AMSS काम न करे तो क्या होता है?
अगर सिस्टम फेल हो जाए, जैसे दिल्ली में हुआ —
- ऑटोमेटिक मैसेज बंद: फ्लाइट-प्लान, रूट क्लियरेंस और अपडेट मैन्युअली (हाथ से) करने पड़ते हैं।
- ATC पर काम का बोझ: हर मैसेज या मंजूरी इंसानों को खुद भेजनी होती है।
- देरी और भीड़: जब फ्लाइट-प्लान अप्रूव होने में समय लगता है, तो टेकऑफ-लैंडिंग धीमी हो जाती है। इससे एयरपोर्ट पर भीड़ बढ़ जाती है।
- सुरक्षा जोखिम: ऑटोमेटिक कोऑर्डिनेशन न होने पर human error की संभावना बढ़ जाती है।
हवाई जहाजों की ट्रैफिक पुलिस है ATC, AI इमेज से समझिए

एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) एयरपोर्ट्स पर मौजूद सेंट्रल कंट्रोलिंग सिस्टम होता है। यह हवाई जहाजों को जमीन पर, हवा में और आसमान के अलग-अलग हिस्सों में निर्देश जारी करता है। आसान भाषा में कहा जाए तो यह ट्रैफिक पुलिस की तरह ही है, लेकिन सिर्फ हवाई जहाजों के लिए।
दुनिया के सबसे बड़ा एयरपोर्ट सिस्टम फेलियर
- 19 से 23 जुलाई 2024 तक क्राउडस्ट्राइक ग्लोबल आईटी आउटेज। 7,000 उड़ानें रद्द हुईं। दुनिया भर में 13 लाख यात्री प्रभावित हुए।
- 28-29 अगस्त 2023 का यूके का एटीसी फेलियर। यूके के 6 बड़े एयरपोर्ट पर 600 से ज्यादा उड़ानें थमीं। 7 लाख यात्री प्रभावित।
- 8 अगस्त 2016 काे अमेरिका का डेल्टा डेटा सेंटर फेलियर हुआ था, 2100 से ज्यादा उड़ानें प्रभावित। 90 हजार यात्री प्रभावित हुए थे।

………………………………… फ्लाइट में देरी से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें…
दिल्ली के बाद काठमांडू एयरपोर्ट पर तकनीकी खराबी: शाम 5.30 बजे से उड़ानें रुकीं; 100 अंतराराष्ट्रीय 250 घरेलू फ्लाइट्स पर असर

नेपाल की राजधानी काठमांडू के त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर शनिवार को तकनीकी खराबी आने के कारण सभी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानें रोक दी गईं। एयरपोर्ट के प्रवक्ता रिजी शेरपा ने बताया कि रनवे की लाइटिंग सिस्टम में दिक्कत आ गई है। खराबी शाम करीब 5:30 बजे (स्थानीय समय) पर सामने आई। पूरी खबर पढ़ें…

