Tuesday, November 4, 2025
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पूर्व जज स्वाति चौहान ने सिनेमा को बनाया अदालत, ‘Saira Khan Case’ से पर्दे पर उतारा ट्रिपल तलाक फैसला


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पूर्व जज स्वाति चौहान ने अपने ऐतिहासिक फैसले पर आधारित फिल्म Saira Khan Case बनाई, जिसका सह-निर्देशन करण राजदान ने किया है. फिल्म 10 अक्टूबर को रिलीज होगी.

सिनेमा को बनाया अदालत, 'Saira Khan Case' से पर्दे पर उतारा ट्रिपल तलाक फैसलाफिल्म 10 अक्टूबर को सिनेमाघरों में रिलीज होगी

नई दिल्ली: पूर्व प्रधान न्यायाधीश स्वाति चौहान, जो चार शादियों पर अपने ऐतिहासिक फैसले के लिए जानी जाती हैं, अब सिनेमा की दुनिया में कदम रख चुकी हैं. उनकी पहली फिल्म सायरा खान केस (Saira Khan Case) उनके ही अदालत में आए एक वास्तविक मामले से प्रेरित है. फिल्म का सह-लेखन और सह-निर्देशन दिग्गज फिल्मकार करण राजदान ने किया है, जो दिलवाले, दिलजले, दीवाने, कयामत, दुश्मनी और त्रिमूर्ति जैसी फिल्मों के लिए मशहूर हैं. यह फिल्म 10 अक्टूबर को सिनेमाघरों में रिलीज होगी और इसका आधिकारिक पोस्टर आज जारी कर दिया गया. फिल्म का निर्माण सोल फिल्म्स बैनर तले सलीम ललानी, स्वाति चौहान, निजार ललानी, शमशु पिरानी, निमेष पटेल और सतीश भनुशाली ने किया है. इसमें राजनीश दुग्गल, पूनम दुबे, करण रजदान, आराधना शर्मा, राजीव वर्मा और मुकेश त्यागी मुख्य भूमिकाओं में नजर आएंगे.

अदालत से सिनेमा तक
फिल्म एक मुस्लिम महिला की पीड़ा पर आधारित है जिसे एकतरफा तीन तलाक देकर उसके बच्चों से अलग कर दिया गया, जबकि उसका पति चार शादियां करता रहा. कहानी व्यक्तिगत धार्मिक कानून और भारत के धर्मनिरपेक्ष कानून के बीच टकराव को उजागर करती है- वही मुद्दा जिस पर चौहान ने अपने कार्यकाल में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया था. स्वाति चौहान ने अपनी यात्रा को याद करते हुए कहा कि व्यवस्था में मौजूद कुछ पूर्वाग्रहों ने उन्हें विशेषाधिकारों और सिद्धांतों में से एक चुनने पर मजबूर किया. उन्होंने विशेषाधिकारों की जगह सिद्धांतों को चुना और न्यायिक सेवा से इस्तीफ़ा दे दिया. उन्होंने कहा, ‘न्याय के प्रति मेरी प्रतिबद्धता कभी डगमगाई नहीं. सिनेमा मेरा नया अदालत बन गया.’ स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) के बाद उन्होंने फिल्म निर्माण का डिप्लोमा किया ताकि वास्तविक जीवन की कहानियां जनता तक पहुँचा सकें.

फैसले के प्रति सच्चाई
स्वाति चौहान ने स्पष्ट किया कि फिल्म में उनके 2014 के फैसले की आत्मा को बरकरार रखा गया है और संबंधित पक्षों की पहचान को सख़्ती से गोपनीय रखा गया है. उन्होंने कहा, ‘मैंने अपने फैसले की आत्मा को जस का तस रखा है, जबकि गोपनीयता का पूरी तरह पालन किया है- किसी का नाम, स्थान या पहचान उजागर नहीं की गई है. फिल्म में दिखाया गया फैसला मेरे मूल आदेश के अंशों को ही दर्शाता है, बस थोड़े बहुत बदलाव किए गए हैं.’ उन्होंने यह भी जोड़ा कि फिल्म की पटकथा में नए पात्र, स्थान और समय-रेखाएँ जोड़ी गई हैं, साथ ही हाल के कानूनी बदलावों का भी उल्लेख है जैसे तलाक-ए-बिद्दत पर प्रतिबंध और अन्य प्रकार के तीन तलाक पर चल रही सुप्रीम कोर्ट की बहस.

अदालत से परे एक कहानी
करण राजदान के सिनेमाई मार्गदर्शन में स्वाति चौहान ने अपने न्यायिक फैसले को एक सशक्त सिनेमाई कथा में बदला है, जो न्याय, लैंगिक अधिकारों और धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र में कानून की बदलती भूमिका पर पब्लिक डिबेट को बढ़ावा देने का प्रयास करती है.

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Abhishek Nagar

अभिषेक नागर News 18 Digital में Senior Sub Editor के पद पर काम कर रहे हैं. वे News 18 Digital की एंटरटेनमेंट टीम का हिस्सा हैं. वे बीते 6 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं. वे News 18 Digital से पहल…और पढ़ें

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