Thursday, July 17, 2025
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ब्रह्मोस का सबसे घातक वर्जन, 9 MACH स्पीड से उड़ती मौत, चीन के DF-17 का जवाब


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BrahMos 2 Hypersonic Missile: भारत और रूस का ज्वाइंट वेंचर ब्रह्मोस एयरोस्पेस ने ब्रह्मोस-2 हाइपरसोनिक मिसाइल के विकास को तेज किया है. यह मिसाइल चीन के DF-17 को चुनौती देगी और भारत की सामरिक शक्ति को बढ़ाएगी. 1…और पढ़ें

भारत तेजी से रक्षा क्षेत्र में काम कर रहा है. (File Photo)

हाइलाइट्स

  • ब्रह्मोस-2 हाइपरसोनिक मिसाइल का विकास तेज हुआ.
  • ब्रह्मोस-2 की स्पीड 9 MACH, लगभग 11,000 किमी/घंटा है.
  • ब्रह्मोस-2 जमीन, समुद्र और हवा से लॉन्च हो सकती है.
BrahMos 2 Hypersonic Missile: भारत और रूस का ज्‍वाइंट वेंचर ब्रह्मोस एयरोस्पेस ने अपनी अगली पीढ़ी की हाइपरसोनिक मिसाइल ब्रह्मोस-2 के विकास को फिर से तेज कर दिया है. यह मिसाइल न केवल मौजूदा ब्रह्मोस की तुलना में तीन गुना तेज है, बल्कि यह चीन के DF-17 हाइपरसोनिक मिसाइल को कड़ी चुनौती देने की क्षमता रखता है. 9 MACH की स्‍पीड लगभग 11,000 किमी/घंटा है. यह मिसाइल रक्षा क्षेत्र में भारत की सामरिक शक्ति को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी.

हाइपरसोनिक तकनीक और रडार से बचाव
ब्रह्मोस-2 को स्क्रैमजेट इंजन से संचालित किया जाएगा, जो वायुमंडलीय ऑक्सीजन का उपयोग करके लंबे समय तक हाइपरसोनिक गति को बनाए रखता है. यह मिसाइल न केवल तेज है, बल्कि इसकी कम-ऊंचाई वाली उड़ान और शार्प कॉम्बैट मैनूवर क्षमता इसे रडार की पकड़ से बचाने में सक्षम बनाती है. इसकी उन्नत स्टील्थ तकनीक और मार्गदर्शन प्रणाली इसे शत्रु के रडार सिस्टम के लिए लगभग अदृश्य बनाती है. यह मिसाइल एक मिनट से भी कम समय में अपने लक्ष्य को नष्ट कर सकता है, जिससे यह युद्धक्षेत्र में अत्यंत घातक साबित होती है.

ब्रह्मोस-2 बढ़ाएगी क्षेत्रीय शक्ति संतुलन  
चीन का DF-17 हाइपरसोनिक मिसाइल सिस्टम अपनी गति और रेंज के लिए जाना जाता है, लेकिन ब्रह्मोस-2 की 1,500 किमी की रेंज और इसकी मल्टी-प्लेटफॉर्म लॉन्च क्षमता इसे एक कदम आगे ले जाती है. यह मिसाइल जमीन, समुद्र और हवा से लॉन्च की जा सकती है, जिससे यह विभिन्न युद्ध परिदृश्यों में प्रभावी है. ब्रह्मोस-2 का विकास भारत को क्षेत्रीय शक्ति संतुलन में बढ़त दिलाएगा, खासकर दक्षिण एशिया में बढ़ते तनाव के बीच.

परीक्षण और भविष्य
हाल के समाचारों के अनुसार, ब्रह्मोस-2 का प्रारंभिक परीक्षण शुरू हो चुका है. डीआरडीओ और रूस के एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया के सहयोग से इस मिसाइल को और परिष्कृत किया जा रहा है. यह मिसाइल पारंपरिक और परमाणु दोनों तरह के हथियार ले जाने में सक्षम होगी, जो इसे रणनीतिक और सामरिक दोनों दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बनाता है. भारत का यह कदम न केवल उसकी रक्षा क्षमताओं को मजबूत करेगा, बल्कि वैश्विक हथियार निर्यात बाजार में भी उसकी स्थिति को सुदृढ़ करेगा.

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Sandeep Gupta

पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्‍त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्‍कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और…और पढ़ें

पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्‍त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्‍कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और… और पढ़ें

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