नई दिल्ली. पाकिस्तान के साथ ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भारत के खिलाफ बोलने वाले तुर्की को अब इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. सरकार के साथ लोगों ने भी तुर्की का बायकॉट कर दिया था और महज एक महीने में ही इसका असर दिखना शुरू हो गया है. तुर्की में तेजी से बढ़ रही भारतीय पर्यटकों की संख्या में उतनी ही तेजी से गिरावट भी आनी शुरू हो गई है. तुर्की के आधिकारिक आंकड़े देखें तो मई महीने में ही वहां भारतीय पर्यटकों की संख्या में 24 फीसदी की गिरावट आई है.
भारत ने मार गिराए थे तुर्की के ड्रोन
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने भारत पर जो ड्रोन बरसाए थे, उनके मलबों से पता चलता है कि वे तुर्की से आए थे. पाक आर्मी की ओर से इस्तेमाल किए गए ड्रोन वही थे, जो तुर्किश सेना इस्तेमाल करती है. तुर्की के इस कदम के बाद भारत सरकार और आम आदमी ने उसका बायकॉट शुरू कर दिया था.
तुर्की के साथ विवाद शुरू होने के बाद ऑनलाइन टूर बुक करने वाली कंपनियों मेकमाईट्रिप, ईजमाईट्रिप और क्लियरट्रिप ने तुर्की के टूरिस्ट पैकेज का प्रमोशन बंद कर दिया गया है. वैसे तो इसका असर कम दिख रहा है, लेकिन सिर्फ एक महीने में ही सैलानियों की संख्या में 10 हजार की गिरावट एक बड़ा संकेत दिख रहा है.
मई और जून सबसे पीक समय
भारत के लिहाज से मई और जून का महीना टूरिज्म के लिए सबसे पीक समय होता है, क्योंकि इस समय वैकेशन चल रहे होते हैं. पिछले साल की बात की जाए तो तुर्की जाने वाले भारतीय सैलानियों की संख्या अप्रैल महीने में 31,934 थी, जो मई में बढ़कर 41,554 पहुंच गई और जून में भी यह संख्या 38,307 रही थी. अब 2025 के मई महीने में 31,659 यात्री तुर्की पहुंचे, जो करीब अप्रैल महीने के 30,169 जितनी ही थी. अनुमान है कि जून महीने में इस बायकॉट का असर पूरी तरह से दिखना शुरू हो जाएगा.
एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि भारतीय सैलानी अपने ज्यादातर टूर की बुकिंग एडवांस में कराते हैं. जाहिर है कि इस बायकॉट का ज्यादा असर मई के दूसरे हॉफ में दिखा और इस लिहाज से जून महीने में इसमें ज्यादा गिरावट दिखेगी. तुर्की के टूरिज्म सेक्टर के लिए जून का महीना काफी खराब साबित होने वाला है. पीएम मोदी ने भी अपनी हालिया साइप्रस यात्रा से तुर्की को यह संदेश दे दिया है, क्योंकि तुर्की और साइप्रस लंबे समय से एक-दूसरे के खिलाफ खड़े हैं.
तुर्की ने पाक को दिया था ड्रोन
भारत ने इस बात पर आशंका जताई है कि 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत-पाक में बढ़े तनाव के बीच तुर्की ने पाकिस्तान को सैन्य मदद भेजना शुरू कर दिया था. भारत का दावा है कि 28 अप्रैल को C-130E हर्क्युलिस तुर्किश प्लेन पाकिस्तान के कराची शहर में उतरा था, जिसमें ड्रोन की सप्लाई की गई थी. 30 अप्रैल को तुर्किश सेना के उच्च अधिकारी और इंटेलीजेंस का एक दस्ता लेफ्टिनेंट जनरल यासर कादिओग्लू की अगुवाई में इस्लामाबाद आकर चीफ ऑफ स्टाफ से मिला था. भारत-पाक सैन्य कार्रवाई के बाद पाकिस्तान के पीएम और सेना प्रमुख ने तुर्की जाकर बाकायदा उसे भारत के खिलाफ स्टैंड लेने के लिए धन्यवाद दिया था.