Sunday, July 6, 2025
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भोपाल में मोहर्रम का जुलूस आज: करबला की जंग की याद में मातम और तकरीरें; सैकड़ों ताजिए-परचम पहुंचेंगे – Bhopal News


आज भोपाल शहर में मातमी जुलूस निकाला जाएगा।

इस्लामिक कैलेंडर के पहले महीने मोहर्रम की 10वीं तारीख को मनाए जाने वाले आशूरा के मौके पर रविवार को भोपाल शहर में मातमी जुलूस निकाला जाएगा। जुलूस के दौरान करबला की जंग का जिक्र किया जाएगा, जहां हजरत इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों ने अन्याय के खिलाफ लड़

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फतेहगढ़ से शुरू होकर करबला पहुंचेगा जुलूस

मुख्य जुलूस की शुरुआत फतेहगढ़ से होगी, जो मोती मस्जिद चौराहा होते हुए करबला पहुंचेगा। इसके अलावा शहर के अन्य हिस्सों से चार बड़े जुलूस निकलेंगे, जो पीरगेट क्षेत्र में आकर मिलेंगे। रविवार सुबह जुलूस इमामबाड़ा, रेलवे स्टेशन, काजी कैंप, भानपुर, करोद, गांधी नगर, आरिफ नगर, छोला, नारियल खेड़ा और जेपी नगर से होता हुआ सैफिया कॉलेज चौराहे पहुंचेगा। वहां से यह मोहम्मदी चौक, पीरगेट, रॉयल मार्केट, ताजुल मसाजिद होकर शहीद नगर स्थित करबला शाम तक समापन होगा।

बदली रहेगी शहर की ट्रैफिक व्यवस्था।

ताजिए, बुर्राक, सवारियां, परचम, अखाड़े और ढोल-ताशे भी होंगे शामिल जुलूस में सैकड़ों की संख्या में ताजिए, बुर्राक, परचम, धार्मिक झंडे और प्रतीक, मातमी सवारियां और विभिन्न मुस्लिम सामाजिक संस्थाओं के अखाड़े शामिल होंगे। इन काफिलों में ‘या हुसैन’ के नारे गूंजते रहेंगे। इसके अलावा पहली बार ईरानी डेरे में अंगारों पर चलने वाला मातम नहीं किया जाएगा। डेरे के प्रमुख लोगों ने बताया कि इस बार जगह नहीं होने के चलते ऐसा किया जा रहा है।

इराक के करबला शहर से जुड़ी है मोहर्रम की परंपरा

  • मोहर्रम की परंपरा शुरू होती है, इराक के एक पवित्र शहर करबला से। बगदाद से करीब 120 किलोमीटर की दूरी पर ये जगह है। जिसका शिया मुसलमानों के लिए मक्का-मदीना के बाद सबसे ज्यादा महत्व है। साल 680 ईस्वी में उमय्यद खिलाफत के दूसरे खलीफा बने यजीद मुआविया। वह साम्राज्य पर अपनी पकड़ मजबूत करना चाहते थे। इसलिए हुसैन और उनके समर्थकों पर दबाव डालना शुरू कर दिया।
  • इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, हुसैन और उनका काफिला दो मुहर्रम को करबला पहुंचा तो यजीद ने सरपरस्ती मानने का प्रस्ताव रख दिया, मानने से उन्होंने इनकार कर दिया। हुसैन और उनके परिवार के सदस्य व साथी करबला के जंगल में ठहरे थे। बताया जाता है कि यजीद ने उनके काफिले को घेरे में ले लिया और पानी तक बंद कर दिया। फिर भी हुसैन नहीं माने तो यजीद ने खुली जंग की घोषणा कर दी।
  • वह 10 मुहर्रम की सुबह थी। इमाम हुसैन नमाज पढ़ रहे थे, तभी यजीद की फौज ने उनकी ओर तीरों से हमला शुरू कर दिया। इस पर हुसैन के साथी तीरों के आगे ढाल बन गए। साथियों के जिस्म छलनी होते गए, फिर भी इमाम हुसैन ने अपनी नमाज पूरी की। दिन ढलते-ढलते इमाम हुसैन की ओर से 72 लोग शहीद हो गए। इनमें खुद इमाम हुसैन, छह माह के बेटे अली असगर और 18 साल के अली अकबर के अलावा सात साल के भतीजे कासिम भी थे। शिया मुसलमान इमाम हुसैन और उनके रिश्तेदारों पर हुए जुल्म को याद करने के लिए हर साल मोहर्रम के दौरान मातम मनाते हैं। इसकी 10वीं तारीख को आशूरा कहा जाता है। इसी दिन मातमी जुलूस निकाला जाता है।
बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक होंगे शामिल।

बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक होंगे शामिल।

मोहर्रम के जुलूस के चलते बदला ट्रैफिक भोपाल में 4 जुलाई से 6 जुलाई तक मोहर्रम के जुलूस को लेकर ट्रैफिक पुलिस ने विशेष यातायात व्यवस्था लागू की है। भीड़-भाड़ और जाम से बचाव के लिए हर शाम 6 बजे से पुराने शहर के कई मार्गों पर वाहनों की आवाजाही पर रोक लगाई गई है। पुलिस ने शहरवासियों से वैकल्पिक मार्गों का उपयोग करने की अपील की है।



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