दरअसल जब भीम ने सरोवर में छिपे दुर्योधन को युद्ध में हारने के बाद चुनौती दी. उसे बाहर आकर गदा युद्ध करने की चुनौती दी तो वो बाहर निकल आया. भीम से उसका जबरदस्त युद्ध हुआ. आखिरकार कृष्ण के इशारे पर भीम ने गदा के प्रहार से उसकी दोनों जाघें तोड़ दीं. वो जमीन पर आ गिरा. ऐसे में कृष्ण को उसने कटु बातें सुनाईं.
तब क्या हुआ कृष्ण और दुर्योधन संवाद
तब दुर्योधन ने फिर कहा, मैने दान करते हुए पृथ्वी पर शासन किया. शत्रुओं से बहादुरी से मुकाबला किया. देवगणों के योग्य दुर्लभ राज्य को भोगा. सारा ऐश्वर्य हासिल किया. मेरे समान आखिर कौन है. कृष्ण इस बात को सुन लो कि मैं अपने सभी स्वजनों और भाइयों को स्वर्ग में लेकर जाऊंगा. तुम लोगों का संकल्प पूरा नहीं हो पाया.
महाभारत में जब दुर्योधन मरणासन्न हालत में जमीन पर लेटा था तब आकाश से उस पर फूलों की बारिश होने लगी. (news18)
तब उस पर आकाश से पुष्पवर्षा होने लगी
दुर्योधन को अधर्म और क्रूरता का प्रतीक माना जाता है
कहा जाता है कि जब दुर्योधन की मृत्यु हुई, तो देवताओं ने आकाश से उस पर फूलों की वर्षा की. यह घटना पहली दृष्टि में आश्चर्यजनक और विरोधाभासी लगती है, क्योंकि दुर्योधन को अधर्म और क्रूरता का प्रतीक माना जाता था. महाभारत में दुर्योधन को एक महत्वाकांक्षी, अहंकारी, और ईर्ष्यालु व्यक्ति के रूप में चित्रित किया गया है, जिसकी पांडवों, विशेषकर भीम और द्रौपदी, के प्रति शत्रुता ने कुरुक्षेत्र के युद्ध को जन्म दिया.

द्यूतक्रीड़ा में पांडवों को छलना और द्रौपदी का अपमान जैसे कामों ने दुर्योधन को अधर्म का प्रतीक बना दिया. (news18)
कौन से सकारात्मक गुण थे उसमें
तब भीम ने उसको गदा युद्ध के लिए ललकारा
महाभारत के युद्ध के 18वें दिन जब कौरव सेना लगभग नष्ट हो चुकी थी. दुर्योधन अकेला पड़ गया.वह झील में छिप गया. पांडवों ने उसे ढूंढ निकाला. भीम ने उसे गदा युद्ध के लिए ललकारा. दोनों योद्धा समान रूप से शक्तिशाली थे, लेकिन श्रीकृष्ण के संकेत पर भीम ने दुर्योधन की जंघाओं पर प्रहार किया, जो गदा युद्ध के नियमों के विरुद्ध था. दुर्योधन गंभीर रूप से घायल होकर जमीन पर गिर पड़ा और उसकी मृत्यु हो गई.
उसकी मृत्यु वीर योद्धा के रूप में हुई
महाभारत के कुछ संस्करणों, विशेष रूप से लोकप्रिय कथाओं और टीवी धारावाहिकों जैसे बी. आर. चोपड़ा की “महाभारत” में, यह उल्लेख किया गया है कि दुर्योधन की मृत्यु के बाद देवताओं ने आकाश से फूलों की वर्षा की. उसकी मृत्यु एक वीर योद्धा के रूप में हुई, जो आखिर तक अपने कर्तव्य (क्षत्रिय धर्म) का पालन करता रहा. हिंदू परंपरा में एक वीर योद्धा की मृत्यु को सम्मानित किया जाता है. देवताओं द्वारा फूलों की वर्षा को दुर्योधन के इस वीरत्व के सम्मान के रूप में देखा जा सकता है.