असगर नकी | सुलतानपुरकुछ ही क्षण पहले
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राजकीय महिला पॉलीटेक्निक तेलियरगंज के प्रधानाचार्य शैलेंद्र प्रताप की दो वेतन वृद्धियां रोक दी गई हैं। यह कार्रवाई फर्नीचर और उपकरण खरीद में 43 लाख रुपए की वित्तीय अनियमितता की जांच पूरी होने के बाद की गई है। जांच में उन्हें कर्मचारी आचरण नियमावली के उल्लंघन का दोषी पाया गया है।
यह मामला वर्ष 2017 में स्थापित राजकीय पॉलीटेक्निक केनौरा, सुल्तानपुर से जुड़ा है। उस समय भवन न होने के कारण यह पॉलीटेक्निक संजय गांधी राजकीय पॉलीटेक्निक, जगदीशपुर, अमेठी से संचालित हो रहा था, जिसके प्रधानाचार्य शैलेंद्र प्रताप थे। केनौरा पॉलीटेक्निक के लिए लैब और फर्नीचर की खरीद हेतु एक करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत हुआ था।
शैलेंद्र प्रताप पर आरोप है कि उन्होंने लगभग 43 लाख रुपए की खरीदारी बिना किसी निविदा प्रक्रिया के कर दी थी। शिकायत मिलने पर शासन ने प्राविधिक शिक्षा निदेशालय कानपुर के आशीष गुप्ता और सहायक लेखाधिकारी अमित यादव की संयुक्त जांच समिति गठित की। जांच रिपोर्ट में वित्तीय अनियमितताएं उजागर हुईं।
फर्नीचर खरीद मामले में शिकायत
रिपोर्ट के आधार पर दो आरोप गठित किए गए पहला, 22.52 लाख रुपए के उपकरणों की खरीद के लिए बिलों को विभाजित कर उन्हें कोटेशन की सीमा में लाना, और दूसरा, निदेशालय की अनुमति के बिना 19.47 लाख रुपए का फर्नीचर खरीदना।
प्राविधिक शिक्षा के प्रमुख सचिव एम. देवराज ने 12 मार्च 2024 को शैलेंद्र प्रताप के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की थी। जांच अधिकारी विशेष सचिव व्यवसायिक शिक्षा अभिषेक सिंह की रिपोर्ट में उन्हें आंशिक रूप से दोषी पाया गया। शासन ने सभी बिंदुओं पर विचार के बाद उन्हें ‘संचयी प्रभाव के साथ दो वेतन वृद्धियां रोकने’ का दंड दिया। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की सहमति मिलने के बाद यह दंड प्रभावी कर दिया गया है, जिससे अनुशासनात्मक कार्रवाई समाप्त हो गई है।

