रीवा महाराज पुष्पराज सिंह का बिल ‘0’, मजदूर का हजारों में! यह कोई इकलौता मामला नहीं, बल्कि वीआईपी को रियायत और आम आदमी को लूटने का सिलसिला है।
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महाराज पुष्पराज सिंह समेत कई कारोबारियों को लगातार 6 महीने तक जीरो बिल मिला, जबकि दो पंखे-बल्ब जलाने वाले जवान को 67 हजार का बिल थमा दिया गया, तो किसी और को 78 हजार तक का।
मामला तब सामने आया जब महाराजा के नाम से जारी दो बिजली कनेक्शनों के बिल सोशल मीडिया पर वायरल हो गए। मामले में सांसद जर्नादन मिश्रा का कहना है कि जांच शुरू होने के बाद कंपनी के एई रविंद्र कौशल सहित अन्य कर्मचारियों को भी हटा दिया गया है।
दैनिक भास्कर की टीम ने पूरे मामले की पड़ताल कर पीड़ितों और जिम्मेदारों से बात की। पढ़िए यह रिपोर्ट…
बिजली कंपनी का दफ्तर।
महाराजा को 6 महीने तक भेजा 0 बिल
रीवा रियासत के महाराजा पुष्पराज सिंह के नाम पर शहर में ‘पीली कोठी’ में दो बिजली कनेक्शन हैं। बिजली कंपनी के अनुसार, पहले कनेक्शन में लगातार छह महीनों तक शून्य यूनिट दर्ज की गई, जिसके चलते हर बार शून्य का बिल भेजा गया। दूसरे कनेक्शन में जुलाई 2025 में 54 यूनिट की खपत दिखाई गई, लेकिन बिल की राशि फिर भी शून्य ही रही।
कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि दुकानें बंद होने के कारण बिजली की खपत नहीं हुई, इसलिए बिल शून्य आया। हालांकि, स्थानीय लोगों ने सवाल उठाया है कि जब मीटर रीडिंग में कुछ यूनिट खर्च हुए दिखाए जा रहे थे, तो भी बिल शून्य क्यों आया?

महाराज पुष्पराज सिंह की कोठी।
बिजली कंपनी की गड़बड़ी: 7 चौंकाने वाले मामले
- केस 1: महाराजा पुष्पराज सिंह (पीली कोठी), IVRS: 1401018866, फरवरी 2025 से जुलाई 2025 तक रीडिंग और बिल राशि दोनों शून्य।
- केस 2: महाराजा पुष्पराज सिंह, IVRS: 1401022190, जुलाई 2025 में 54 यूनिट खपत, लेकिन बिल राशि शून्य। मार्च से जून तक रीडिंग और राशि दोनों शून्य।
- केस 3: सुनील पाण्डेय (राजविलास परिसर), IVRS: 1403027623, 2 किलोवाट कनेक्शन, लेकिन जुलाई 2025 का बिल शून्य।
- केस 4: अजय कुमार गुप्ता, IVRS: 1403009390, जुलाई का बिजली बिल शून्य। रीडिंग की जानकारी नहीं, कोई यूनिट दर्ज नहीं।
- केस 5: धीरेन्द्र सोनी, IVRS: 1403004898, रीडिंग और बिल दोनों जीरो। विभागीय जानकारी के अनुसार पीडीएस, लेकिन सिस्टम में स्पष्ट जानकारी नहीं।
- केस 6: व्यंकट क्लब, IVRS: N1401000743, जुलाई का बिल -366 रुपए। थ्री फेस कनेक्शन, लेकिन कोई चार्ज नहीं जोड़ा गया (एनर्जी, फिक्स, मीटरिंग, पेनल चार्ज सभी जीरो)।
- केस 7: एसडीओ सिविल लाइन, IVRS: N1401028165, जुलाई का बिल माइनस में। ओल्ड ड्यू/एरियर में -22,958 रुपए दर्ज। बिल में जीरो के अलावा कुछ नहीं।

महाराज पुष्पराज सिंह का बिल जीरो आया।
एसएफ जवान को दो पंखे-दो लाइट में 79 हजार का बिल
स्पेशल फोर्स के जवान पांडव कुमार अग्निहोत्री ने बताया कि उन्हें एक ही महीने में 78,968 रुपए का बिल भेजा गया है। जबकि उनके घर में सिर्फ दो पंखे और दो लाइट चलते हैं। उन्होंने बताया कि उनका एक अन्य घर होने के कारण यह घर काफी दिनों से बंद भी पड़ा था। फिर भी इतना अधिक बिल क्यों आया, यह उनकी समझ से परे है।
अग्निहोत्री ने बताया कि वे इस बिल को लेकर कई दफ्तरों में भटके और कई जगह शिकायत की, यहां तक कि मुख्यमंत्री ऑनलाइन में भी शिकायत दर्ज कराई। लेकिन अब लगातार उन पर बिजली का बिल जमा करने का दबाव बनाया जा रहा है।
दो बार तो बिजली कंपनी के कर्मचारी गुंडों की तरह घर में धमक पड़े और हमसे अभद्रता करने की कोशिश भी की। अब अगर किसी को ₹100000 का बिल दे दिया जाएगा तो वह कैसे जमा करेगा? लोग तो उतना ही बिल जमा करेंगे ना जितना कि उन्होंने उपयोग किया हो।

पंकज अग्निहोत्री को बिजली कंपनी ने 79 हजार रुपए का बिल दिया गया है।
घरेलू कनेक्शन में कॉमर्शियल जितना बिल कैसे?
उपभोक्ता पंकज अग्निहोत्री का कहना है कि बिजली कंपनी के अधिकारी सुनने को कुछ तैयार ही नहीं है। उन्हें यह भी नहीं दिख रहा कि घरेलू कनेक्शन में 79 हजार का बिल कैसे आ सकता है। अगर किसी कॉमर्शियल कनेक्शन या सीमेंट प्लांट का एक या डेढ़ लाख रुपए का बिल आए तो कोई हैरानी की बात नहीं है। हास्यास्पद यह है कि कॉमर्शियल कनेक्शन वालों को शून्य का बिल दिया जा रहा है, जबकि आमजन को घरेलू कनेक्शन पर 79 हजार रुपए का बिल थमाया जा रहा है।

आदिवासी किसान को दिया 3000 का बिल
सोहागी के रहने वाले अंकित कुमार आदिवासी ने बताया कि सरकार ने किसानों का बिजली बिल 200 रुपए फिक्स करने की बात की थी और काफी समय से उनका बिल 200 ही आ रहा था। लेकिन अब जुलाई माह का बिल 3000 रुपए पार कर गया है। उनके घर में केवल एक पंखा और दो लाइट चल रही हैं। वे कच्चे मकान में रहते हैं और कोई अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का उपयोग नहीं करते हैं। ऐसे में गरीब आदमी इतना बिल कैसे दे पाएगा?

दो-तीन कमरों में रहने वाले लोगों के हजारों में बिजली बिल आ रहे हैं।
जांच के घेरे में JE और संविदा कर्मचारी
रीवा पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। रीवा महाराज का बिल 0 आने पर जूनियर इंजीनियर शिखा तिवारी और संविदा लाइनमैन घनश्याम सिंह की भूमिका की जांच की जा रही है। वहीं, एई रविंद्र कौशल का स्थानांतरण अमरपाटन कर दिया गया है।
मामले पर सफाई देते हुए कौशल ने बताया कि जिन दो दुकानों के बिल शून्य आए हैं, वे फिलहाल बंद हैं, इसलिए खपत नहीं हुई और बिल जीरो आया। हालांकि, लोगों का आरोप है कि इन कर्मचारियों ने बड़े कारोबारियों और प्रभावशाली लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए जानबूझकर बिलों में छेड़छाड़ की। वहीं, आम उपभोक्ताओं पर एनर्जी चार्ज, स्मार्ट मीटर चार्ज और औसत बिलिंग के नाम पर मनमानी वसूली की गई।

AE चंद्रमणि बोले-गलत बिलों में किया जाएगा सुधार
बिजली कंपनी एई (असिस्टेंट इंजीनियर) चंद्रमणि भास्कर ने बताया कि अब बिलिंग स्मार्ट मीटर के आधार पर की जा रही है। कुछ उपभोक्ता बिजली बिल अधिक आने की शिकायत कर रहे हैं, ऐसे मामलों में जांच कर सुधार किया जाएगा।
भास्कर ने बताया कि अब उपभोक्ताओं के यहां स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं, जिससे बिजली बिल सीधे उपयोग के आधार पर बनेगा। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और गलत बिलिंग की संभावना कम होगी। उन्होंने बताया कि अब तक 55 हजार स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं और आने वाले दिनों में 25 हजार और मीटर लगाए जाएंगे।

आइए जानते हैं कौन हैं महाराज पुष्पराज सिंह
पुष्पराज सिंह रीवा राजघराने के वर्तमान उत्तराधिकारी और बघेल वंश के वंशज हैं। वे मध्यप्रदेश की राजनीति में भी सक्रिय रह चुके हैं और दिग्विजय सिंह सरकार में मंत्री पद संभाल चुके हैं। वर्ष 1993 से 1998 तक वे मध्यप्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे। उनका बेटा दिव्यराज सिंह वर्तमान में रीवा जिले की सिरमौर विधानसभा सीट से भाजपा विधायक हैं, जबकि उनकी बेटी मोहिना सिंह एक प्रसिद्ध टेलीविजन अभिनेत्री रह चुकी हैं।
पुष्पराज सिंह का परिवार रीवा क्षेत्र में काफी प्रभावशाली माना जाता है और उनकी राय को लोग महत्व देते हैं। वे सामाजिक कार्यों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं और क्षेत्र के विकास के लिए प्रयासरत रहते हैं। रीवा राजघराने का इतिहास काफी गौरवशाली रहा है और पुष्पराज सिंह उस विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। उनके नाम से कई ट्रस्ट और संस्थान भी चलते हैं, जो शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम कर रहे हैं।

