रुचि गुर्जर बोलीं-कांस का लुक फैशन नहीं, दिल के करीब: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और हमारे वीर सैनिकों के साहस को दिखाने के लिए पहना मोदीजी का हार – Jaipur News

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रुचि गुर्जर बोलीं-कांस का लुक फैशन नहीं, दिल के करीब:  ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और हमारे वीर सैनिकों के साहस को दिखाने के लिए पहना मोदीजी का हार – Jaipur News


कांस फिल्म फेस्टिवल 2025 के रेड कारपेट पर भारत के ऑपरेशन सिंदूर को अलग तरह से ट्रिब्यूट देते हुए एक्ट्रेस रुचि गुर्जर भारत में चर्चा का विषय बन गई है।

कांस फिल्म फेस्टिवल 2025 के रेड कारपेट पर भारत के ऑपरेशन सिंदूर को अलग तरह से ट्रिब्यूट देते हुए एक्ट्रेस रुचि गुर्जर भारत में चर्चा का विषय बन गई है। अपनी फिल्म लाइफ और कांस के अनुभव को साझा करते हुए रुचि ने वार्ता के दौरान जयपुर के होटल डेज में बता

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उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर को अंतरराष्ट्रीय मंच पर सम्मान देते हुए मैंने अपने हाथों को लाल रंग में रंगा साथ ही राजस्थानी परिवेश को दिखाते हुए हाथ में राजपूती चकती, माथे पर बोलड़ा जैसी चीजों को अपने सज्जा में जोड़ा।

रुचि ने बताया कि कांस में मेरा हार सिर्फ फैशन नहीं था, वह मेरे दिल का भाव और सम्मान था।

रुचि ने कहा कि वो मंच मेरे लिए सिर्फ फैशन नहीं था, यह मेरे दिल के भाव और सम्मान था। जब मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर वाला नेकलेस पहना, तो वह सिर्फ एक गहना नहीं था। वह मेरे उस सम्मान का प्रतीक था, जो मैं उस नेता के लिए महसूस करती हूं, जिसने भारत को आत्मनिर्भर, आत्मविश्वासी और वैश्विक मंच पर सम्मानित राष्ट्र बनाया है। मेरे लाल रंग में रंगे हाथ ‘सिंदूर’ का प्रतीक थे, मेरी तरफ से ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और हमारे वीर सैनिकों को एक समर्पण।

मैं राजस्थान के छोटे से गांव मेहरा गूजरवास, खेतड़ी से आती हूं, और मेरे इस सफर में मेरी संस्कृति, मेरी मिट्टी और सेना से मिले मूल्यों का बड़ा योगदान है। मैंने जो पारंपरिक लहंगा और गहने पहने, वे सिर्फ कपड़े नहीं थे मेरी पहचान है, मैं मानती हूं कि जब फैशन में उद्देश्य हो, तब वह सिर्फ लुक नहीं, एक आंदोलन बन जाता है।

एक सामाजिक मुद्दें को दिखाती है फिल्म ‘लाइफ’

भारतीय सिनेमा ने 2025 के कान्स फिल्म फेस्टिवल में गर्व से कदम रखा, जहां सामाजिक संदेश से भरपूर फ़िल्म लाइफ का प्रदर्शन हुआ। आत्महत्या और गर्भपात जैसे संवेदनशील विषयों पर आधारित इस फिल्म में रुचि गुर्जर ने एक ऐसी महिला की भूमिका निभाई है जो सामाजिक फैसलों और निजी दर्द के बीच जूझती है। उनकी अभिनय की गहराई, संवेदनशीलता और सशक्त उपस्थिति दर्शकों और समीक्षकों को भावुक कर देती है। निशांत मलकानी का समर्थन भी दमदार है। एम. सलीम और तनु पेडणेकर द्वारा लिखित यह फिल्म सिर्फ एक कहानी नहीं, बल्कि समाज के लिए एक आइना है।



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