Monday, December 1, 2025
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शेख हसीना बोलीं- कट्टरपंथियों के भरोसे चल रही यूनुस सरकार: भारत का विरोध करके अपना नुकसान कर रहे, लोकतंत्र बहाल होगा तब बांग्लादेश लौटूंगी


नई दिल्ली24 मिनट पहले

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भारत में रह रहीं बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा है कि बांग्लादेश की वर्तमान यूनुस सरकार कट्टरपंथियों के भरोसे चल रही है। उन्होंने बुधवार को न्यूज एजेंसी PTI को इंटरव्यू दिया।

हसीना ने कहा कि मैं भारत सरकार और यहां के लोगों की मेहमाननवाजी के लिए बेहद आभारी हूं। उन्होंने कहा कि अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस की भारत विरोधी नीति बेवकूफाना और खुद का नुकसान करने वाली है।

हसीना ने कहा कि उनकी वतन वापसी तभी संभव है, जब लोकतंत्र बहाल होगा, अवामी लीग पर से प्रतिबंध हटेगा और स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव कराए जाएंगे।

शेख हसीना ने पिछले साल 5 अगस्त को बांग्लादेश छोड़ दिया था। इसके बाद से वो भारत में ही रह रही हैं।

शेख हसीना ने पिछले साल 5 अगस्त को बांग्लादेश छोड़ दिया था। इसके बाद से वो भारत में ही रह रही हैं।

मोहम्मद यूनुस को कमजोर नेता बताया

हसीना ने कहा कि मोहम्मद यूनुस एक कमजोर, अराजक और चरमपंथियों पर निर्भर नेता हैं। हसीना ने स्वीकार किया कि पिछले हुए तख्तापलट पर कहा कि हम हालात पर नियंत्रण खो बैठे थे और यह दुर्भाग्यपूर्ण था।

हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि प्रदर्शन को भड़काने में कुछ तथाकथित छात्र नेताओं की भी भूमिका रही, जो असल में राजनीतिक कार्यकर्ता थे।

उन्होंने भारत-बांग्लादेश रिश्तों पर भी बात की और कहा कि भारत हमेशा से बांग्लादेश का सबसे अहम अंतरराष्ट्रीय साझेदार रहा है। मुझे उम्मीद है कि दोनों देशों के मजबूत रिश्ते मौजूदा अंतरिम सरकार की नीतियों से प्रभावित नहीं होंगे।

हसीना ने भारत को सबसे बड़ा दोस्त बताया

भारत के लोगों को आश्वस्त करते हुए हसीना ने कहा कि वर्तमान अंतरिम सरकार बांग्लादेश के लोगों की सोच को नहीं दिखाती है। भारत हमारे देश का सबसे बड़ा दोस्त था, है और रहेगा।

हसीना ने यूनुस सरकार पर आरोप लगाया कि वह भारत से संबंध खराब करने और चरमपंथी ताकतों को बढ़ावा देने का काम कर रही है। यूनुस के कूटनीतिक कदम नासमझी भरे और आत्मघाती हैं।

हसीना ने उन खबरों को खारिज किया जिनमें कहा गया था कि उन्होंने अगले साल फरवरी में होने वाले चुनावों के बहिष्कार की अपील की है।

उन्होंने कहा- अगर अवामी लीग को चुनाव से बाहर रखा गया तो वह चुनाव वैध नहीं माने जाएंगे। करोड़ों लोग हमारा समर्थन करते हैं, इसलिए देश को एक ऐसा नेतृत्व चाहिए जो जनता की सहमति से चले।

हसीना बोलीं- मुझ पर इंटरनेशनल कोर्ट में केस चलाओ

बांग्लादेश की इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल में चल रहे केस पर बोलते हुए हसीना ने कहा कि यह पूरी तरह राजनीतिक बदले की कार्रवाई है। उन्होंने कहा कि यह एक ‘कंगारू ट्रिब्यूनल’ है जिसे मेरे विरोधी चला रहे हैं। वे अवामी लीग और मुझे राजनीति से बाहर करना चाहते हैं।

हसीना ने कहा कि वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर केस का सामना करने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि मैंने कई बार कहा है कि अगर यूनुस सरकार सच में ईमानदार है, तो मुझ पर इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (ICC) में केस करो। हालांकि वे ऐसा नहीं करेंगे, क्योंकि उन्हें पता है कि निष्पक्ष अदालत मुझे बरी कर देगी।

उन्होंने कहा कि यूनुस को कुछ पश्चिमी देशों का समर्थन मिला था, लेकिन अब वे भी उनका साथ छोड़ रहे हैं क्योंकि उन्होंने कट्टरपंथियों को सरकार में शामिल किया, अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव किया और संविधान को कमजोर किया।

आरक्षण के खिलाफ आंदोलन ने किया था तख्तापलट

बांग्लादेश में पिछले साल छात्रों के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन हुए थे। भीड़ ने 5 अगस्त, 2024 को तत्कालीन प्रधानमंत्री, 77 साल शेख हसीना के आवास पर हमला कर दिया था। भीड़ के पहुंचने से पहले हसीना बांग्लादेश से भागकर भारत आ गई थीं। वे तब से भारत में रह रही हैं।

इसी के साथ बांग्लादेश में अवामी लीग की 20 साल पुरानी सरकार भी गिर गई। इसके बाद मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार की स्थापना की गई। हसीना के खिलाफ देशभर में छात्र कोटा सिस्टम को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे।

दरअसल, बांग्लादेश में 5 जून, 2024 को हाईकोर्ट ने जॉब में 30% कोटा सिस्टम लागू किया था। यह आरक्षण स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों को दिया जा रहा था। लेकिन हसीना सरकार ने यह आरक्षण बाद में खत्म कर दिया था। इसके बाद छात्र उनके इस्तीफे की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन करने लगे।

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भारत से आए फोन कॉल ने बचाई थी शेख हसीना की जान, किताब में खुलासा

पूर्व बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख हसीना की जान एक फोन कॉल ने बचाई थी। यह कॉल भारत से आया था। अगर 5 अगस्त 2024 को दोपहर 1:30 बजे यह कॉल न आता, तो हसीना प्रधानमंत्री निवास ‘गनभवन’ में भीड़ के हाथों मारी जातीं। उस वक्त भीड़ महज दो किलोमीटर दूर थी और सिर्फ 20 मिनट बाद गनभवन में घुस गई। यहां पढ़ें पूरी खबर…

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