Monday, December 1, 2025
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समंदर का ‘अर्जुन’, पलभर में दुश्‍मन के चक्रव्‍यूह को करेगा छिन्‍न-भिन्‍न


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Underwater Defence System: एयर डिफेंस सिस्‍टम डेवलप करने पर पूरी दुनिया का फोकस है. भारत भी इस प्रोजेक्‍ट पर हजारों करोड़ रुपये खर्च कर रहा है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान S-400 और आकाश एंटी मिसाइल सिस्‍टम की ताकत को पूरी दुनिया ने देखा था. DRDO ने अब एक और कमाल कर दिखाया है.

Underwater Defence System: DRDO ने अंडरवाटर डिफेंस सिस्‍टम डेवलप किया है. इससे नेवी की ताकत और बढ़ेगी. (सांकेतिक तस्‍वीर)

Underwater Defence System: भारत जमीन और आसमान पर अपनी बादशाहत बनाने पर जोरदार तरीके से काम कर रहा है. खासकर एयर डिफेंस सिस्‍टम डेवलप करने के लिए ‘सुदर्शन चक्र’ मिशन पर काम चल रहा है, ताकि आसमानी हमले को नाकाम किया जा सके. आकाश एंटी एयरक्राफ्ट और एंटी मिसाइल सिस्‍टम ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अपनी ताकत दिखाई थी. इसके अलावा S-400 ने भी दुनिया को चकित कर दिया था. यही वजह है कि भारत एस-400 की और यूनिट खरीदने को तैयार है. मॉडर्न वॉरफेयर के बदलते स्‍वरूप को देखते हुए एयरफोर्स और नेवी को मजबूत करने की प्रकिया लगातार जारी है. नई टेक्‍नोलॉजी के साथ इसे अपग्रेड भी किया जा रहा है. इन सबके बीच भारत ने समंदर में भी अपनी ताकत बढ़ा रहा है. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने नया ‘अंडरवाटर डिफेंस सिस्‍टम’ डेवलप किया है, जो समंदर के अंदर बिछाए जाने वाले माइंस का पता लगाकर उसे निष्क्रिय कर देगा. खास बात यह है कि यह ऑटोनोमस तरीके से काम करेगा.

भारत ने अपनी अंडरसी युद्ध क्षमता को मजबूत करने के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित मैन-पोर्टेबल ऑटोनोमस अंडरवाटर व्हीकल (एमपी-एयूवी) कार्यक्रम का अनावरण किया है. यह नया सिस्‍टम ऑटोनोमस माइन काउंटरमेजर ऑपरेशंस में बड़ी सफलता को दर्शाती है. विशाखापत्तनम स्थित नेवल साइंस एंड टेक्नोलॉजिकल लेबोरेटरी (एनएसटीएल) द्वारा विकसित इस सिस्टम में पारंपरिक माइन काउंटरमेजर मिशनों की तुलना में क्रांतिकारी बदलाव है, जो बड़े क्रू वाले जहाजों और जटिल मैनुअल सिस्टम पर निर्भर रहते हैं. एमपी-एयूवी पहल इस मॉडल से पूर्ण रूप से अलग होकर छोटी नौसेना टीमों द्वारा आसानी से तैनात की जा सकने वाली कॉम्पैक्ट यूनिट्स प्रदान करती है. ये छोटे जहाजों या दूर से भी बिना व्यापक लॉजिस्टिकल सपोर्ट के ऑपरेट हो सकती हैं.

Underwater Defence System
अब समंदर के अंदर दुश्‍मन को पलक झपकते ही तबाह किया जा सकेगा. (सांकेतिक तस्‍वीर)

तीन टेक्‍नोलॉजी का संगम

इस प्लेटफॉर्म के केंद्र में तीन अपग्रेडेड टेक्‍नोलॉजी का समन्वय है: एडवांस्ड सोनार सेंसर्स, डीप-लर्निंग आधारित ऑनबोर्ड इंटेलिजेंस और मजबूत एकॉस्टिक कम्युनिकेशन सिस्टम. यह इंटीग्रेशन प्रत्येक यूनिट को ऑपरेटर के हस्तक्षेप के बिना अंडरवाटर खतरों की पहचान, विश्लेषण और वर्गीकरण करने में सक्षम बनाता है. हर एयूवी में साइड स्कैन सोनार मॉड्यूल और अंडरवाटर इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल कैमरे मुख्य पेलोड के रूप में लगे हैं. ये सेंसर्स विस्तृत सी-बेड मैप्स बनाते हैं, जो सब-सर्फेस अनोमली की हाई-रेजोल्यूशन इमेजरी और एकॉस्टिक सिग्नेचर्स प्रदान करते हैं. संभावित माइन जैसे ऑब्जेक्ट्स का पता चलने पर ऑनबोर्ड डीप-लर्निंग एल्गोरिदम उनकी आकृति और रिफ्लेक्टिविटी पैटर्न्स को ट्रेनड डेटासेट से तुलना कर खतरे के प्रकार को ऑटोमेटेड तरीके से क्‍लासीफाई करता है. इससे निर्णय लेने की प्रक्रिया तेज होती है, मानव ऑपरेटर्स पर कार्यभार कम होता है, मिशन की अवधि घटती है और जोखिम में कमी आती है.

सफल ट्रायल

इनोवेशन व्यक्तिगत व्हीकल की ऑटोनोमी से आगे बढ़कर एकॉस्टिक कम्युनिकेशन नेटवर्क में निहित है, जो मिशन के दौरान कई एयूवी को रियल टाइम डेटा साझा करने की अनुमति देता है. यह क्षमता इंटिग्रेटेड नेविगेशन, टारगेट कन्फर्मेशन और क्षेत्र कवरेज को सक्षम बनाती है, जो डिसेंट्रलाइज्ड स्वार्म के रूप में कार्य करती है. इससे मैपिंग की सटीकता बढ़ती है, डिटेक्शन की विश्वसनीयता मजबूत होती है और बड़े ऑपरेशनल जोन्स को तेजी से कवर किया जा सकता है. रक्षा मंत्रालय के अनुसार, एमपी-एयूवी ने हाल ही में विशाखापत्तनम के एनएसटीएल हार्बर सुविधाओं में व्यापक फील्ड इवेल्‍यूएशन मूल्यांकन को पूरा किया. ट्रायल में इस सिस्‍टम की ताकत को पराा गया. डीआरडीओ अधिकारियों ने पुष्टि की कि परियोजना अब उत्पादन चरण में प्रवेश कर रही है. डीआरडीओ की टेक्‍नोलॉजी ट्रांसफर की पॉलिसी के तहत इसमें प्राइवेट सेक्‍टर को भी शामिल करने की योजना है.

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Manish Kumar

बिहार, उत्‍तर प्रदेश और दिल्‍ली से प्रारंभिक के साथ उच्‍च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्‍ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्‍लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु…और पढ़ें

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