समुद्र के नीचे खंभात की खाड़ी में मिला कौन सा प्राचीन शहर, हड़प्पा से ज्यादा पुरानी सभ्यता

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समुद्र के नीचे खंभात की खाड़ी में मिला कौन सा प्राचीन शहर, हड़प्पा से ज्यादा पुरानी सभ्यता


Unsolved Mystery: क्या मानव सभ्यता की जड़ें हमारी कल्पना से कहीं पहले तक फैली हुई हैं. लगभग ढाई दशक पहले पश्चिमी भारत में खंभात की खाड़ी में एक शहर मिला था. इसे खंभात का खोया हुआ शहर कहा जाता है. माना जाता है कि यह शहर लगभग 9500 साल पहले समुद्र में डूब गया था. विशेषज्ञों ने इसे साल 2000 में खोज निकाला. यह किसी मिथक या इतिहास के खोए हुए अध्याय जैसा लगता है. खंभात की खाड़ी की गहराई में पाया गया यह प्राचीन जलमग्न स्थल संभावित रूप से सभ्यता के समय को फिर से लिख सकता है. वास्तव में यह शहर कितना प्राचीन है इसे कभी भी निर्णायक रूप से स्वीकार या अस्वीकार नहीं किया गया. लेकिन समुद्र के नीचे वास्तव में क्या मिला जो 25 साल बाद भी इतना विवाद खड़ा कर रहा है? 

सिंधु घाटी से पहले की सभ्यता
दिसंबर 2000 में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी (NIOT) ने भारत के पश्चिमी तट से दूर खंभात की खाड़ी में एक बहुत बड़ी खोज की थी. यह खोज नियमित प्रदूषण सर्वेक्षणों के दौरान हुई थी. सोनार तकनीक ने समुद्र तल पर बड़ी, ज्यामितीय संरचनाएं दिखाईं जो एक डूबे हुए शहर के अस्तित्व का संकेत दे रही थीं. यह कथित शहर लगभग 120 फीट पानी के नीचे स्थित है और इसकी लंबाई पांच मील और चौड़ाई दो मील है. साइट से बरामद कलाकृतियों में मिट्टी के बर्तन, मोती, मूर्तियां और मानव अवशेष शामिल हैं. कार्बन-डेटिंग के बाद यह पाया गया कि ये कलाकृतियां लगभग 9,500 साल पुरानी हैं, जो संभवतः सिंधु घाटी सभ्यता से पहले की हैं.

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क्या इससे निकली होगी हड़प्पा सभ्यता
इंडी100 की रिपोर्ट के अनुसार एनआईओटी की वैज्ञानिक टीम के मुख्य भूविज्ञानी डॉ. बद्रीनारायण ने कहा कि इससे मिले निष्कर्ष पिछले हिमयुग के अंत में बढ़ते समुद्र के स्तर से डूबी एक उन्नत सभ्यता के अस्तित्व का संकेत देते हैं. उन्होंने सुझाव दिया कि हड़प्पा सभ्यता इस ‘मातृ संस्कृति’ से उतरी होगी. जो इस धारणा को चुनौती देती है कि 5500 ईसा पूर्व से पहले सुव्यवस्थित समाज अस्तित्व में नहीं हो सकते थे. उनके सिद्धांत ने प्राचीन मानव विकास के बारे में पारंपरिक मान्यताओं को चुनौती देते हुए विवाद पैदा कर दिया है. 

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विशेषज्ञों ने इस सिद्वांत पर उठाए सवाल
हालांकि डॉ. इरावाथम महादेवन और डॉ. अक्को परपोला जैसे विशेषज्ञों ने डॉ. बद्रीनारायण के इस निष्कर्ष पर सवाल उठाए हैं. डॉ. महादेवन ने कुछ संरचनाओं की मानव निर्मित संरचनाओं को स्वीकार किया, लेकिन चेताया कि कुछ सामान प्राचीन नदियों द्वारा ले जाया गया होगा. डॉ. परपोला ने कार्बन डेटिंग की विश्वसनीयता और प्राकृतिक प्रक्रियाओं द्वारा साइट को आकार देने की संभावना के बारे में चिंता जताई. 25 से अधिक सालों के बाद पुरातत्वविद् अभी भी जलमग्न शहर की उत्पत्ति पर बहस कर रहे हैं. इस प्राचीन खोज ने विशेषज्ञों और इतिहासकारों को विभाजित कर दिया है. 

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लकड़ी के एक टुकड़े ने उलझाया
दरअसल 9,500 साल पुराने लकड़ी के एक टुकड़े ने गहन बहस छेड़ने का काम किया है. कुछ लोग कहते हैं कि यह प्राचीन निवास स्थान को साबित करता है, जबकि अन्य का तर्क है कि यह पूरी साइट की कार्बन डेटिंग के लिए अपर्याप्त सबूत है. संशयवादियों का कहना है कि मानव डिजाइन के बजाय मजबूत ज्वारीय ताकतों और बदलती रेत ने संरचनाओं को आकार दिया. लंबे समय से चल रहे अध्ययन के बावजूद खंभात की खाड़ी का यह सांस्कृतिक परिसर मायावी बना हुआ है. क्या इसके रहस्य कभी पूरी तरह से सामने आएंगे? खंभात की खाड़ी, गुजरात में अरब सागर के तट पर स्थित है. यह खाड़ी, मुंबई और दीव द्वीप के ठीक उत्तर में है. खंभात की खाड़ी को कैम्बे की खाड़ी के नाम से भी जाना जाता है. यह खाड़ी, तुरही के आकार की है.



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