ARMY EMERGENCY PROCUREMENT: सेना की ताकत बढ़ाने के लिए सरकार आत्मनिर्भर भारत के तहत खरीदारी कर रही है. रक्षा खरीद एक लंबी और अलग प्रक्रिया होती है, लेकिन जरूरत पड़ने पर इमर्जेंसी खरीद के तहत भी हथियार खरीदे जाते हैं. इस साल भी इसकी खरीद की जा चुकी है. रक्षा मंत्रालय की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया कि सेना के लिए आपातकालीन खरीद के लिए आवंटित 2000 करोड़ रुपये में से 1981.90 करोड़ रुपये का करार किया जा चुका है. इस खरीद में 13 अलग-अलग प्रकार के हथियार शामिल हैं, जो आतंकवाद से लड़ने के लिए सेना को नए हथियारों के रूप में दिए गए हैं.
2- लो लेवल लाइट वेट रडार (LLLR) – इस रडार सिस्टम का काम पहाड़ी इलाकों में किसी भी तरह की आतंकी मूवमेंट को ट्रैक करना है. इसकी रेंज लगभग 30-35 किलोमीटर है. इन रडार के जरिए पहाड़ी इलाकों में दुश्मनों की हर हरकत को पकड़ा जा सकता है.
4- लॉटरिंग म्यूनिशन (VTOL) – सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान लॉटरिंग म्यूनिशन का जबरदस्त इस्तेमाल किया. सेना की जरूरत के लिए वर्टिकल टेकऑफ लेने वाले म्यूनिशन की खरीद की गई है. लॉटरिंग म्यूनिशन क्रूज़ मिसाइल और यूएवी दोनों की खूबियों को साझा करता है. जैसे क्रूज़ मिसाइल टार्गेट को लॉक करने के बाद उसे आसानी से निशाना बना देती है, वैसे ही यूएवी की तरह यह एक ही इलाके में कुछ समय तक उड़ते हुए चक्कर लगाते हुए अपने टार्गेट को ढूंढता है. हालांकि ड्रोन से मिसाइल फायर करके टार्गेट को नष्ट किया जाता है और वह वापस बेस पर लौट आता है, लेकिन लॉटरिंग म्यूनिशन ड्रोन की तरह उड़ान भरते हुए एक बार सेट किए गए कॉर्डिनेट पर फीड किए गए डेटा के मुताबिक टार्गेट लोकेट करने के बाद अटैक कर देता है.
6- अलग-अलग तरह के ड्रोन – सेना के लिए अलग-अलग तरह के ड्रोन की खरीद भी की गई है. इसमें सर्विलांस, लॉजिस्टिक ड्रोन और फर्स्ट पर्सन व्यू ड्रोन शामिल हैं. इनके इस्तेमाल से सेना के ऑपरेशन में काफी सटीकता और सहूलियत आई है.
8- क्विक रिएक्शन फाइटिंग व्हीकल्स (QRFVs)– सेना को किसी भी ऑपरेशन में भारी फायरिंग के बीच सुरक्षित रखने के लिए क्विक रिएक्शन फाइटिंग व्हीकल्स की खरीद की जा रही है. दो तरह की व्हीकल एक हेवि और दूसरी मीडियम गाड़ियां है.