Wednesday, June 25, 2025
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सेना की ताकत बढ़ाने के लिए खर्च किए गए 2000 करोड़ रुपये, जानिए इमर्जेंसी खरीद के तहत क्या-क्या लिया गया?


ARMY EMERGENCY PROCUREMENT: सेना की ताकत बढ़ाने के लिए सरकार आत्मनिर्भर भारत के तहत खरीदारी कर रही है. रक्षा खरीद एक लंबी और अलग प्रक्रिया होती है, लेकिन जरूरत पड़ने पर इमर्जेंसी खरीद के तहत भी हथियार खरीदे जाते हैं. इस साल भी इसकी खरीद की जा चुकी है. रक्षा मंत्रालय की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया कि सेना के लिए आपातकालीन खरीद के लिए आवंटित 2000 करोड़ रुपये में से 1981.90 करोड़ रुपये का करार किया जा चुका है. इस खरीद में 13 अलग-अलग प्रकार के हथियार शामिल हैं, जो आतंकवाद से लड़ने के लिए सेना को नए हथियारों के रूप में दिए गए हैं.

1- इंटीग्रेटेड ड्रोन डिटेक्शन एंड इंटरडिक्शन सिस्टम (IDDIS) – यह सिस्टम खासतौर पर पाकिस्तान की तरफ से ड्रोन गतिविधियों को मॉनिटर करने और उन्हें नष्ट करने के लिए लिया गया है.

2- लो लेवल लाइट वेट रडार (LLLR) – इस रडार सिस्टम का काम पहाड़ी इलाकों में किसी भी तरह की आतंकी मूवमेंट को ट्रैक करना है. इसकी रेंज लगभग 30-35 किलोमीटर है. इन रडार के जरिए पहाड़ी इलाकों में दुश्मनों की हर हरकत को पकड़ा जा सकता है.

3- वेरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम (VSHORADS) – पाकिस्तान से तनाव के बीच भारत ने शॉर्ट रेंज डिफेंस मिसाइल खरीदने का फैसला किया है. इसकी रेंज लगभग 6 किलोमीटर है. इस सिस्टम से किसी भी एरियल टार्गेट को आसानी से नष्ट किया जा सकता है. यह डिफेंस मिसाइल सिस्टम दिन-रात, चौबीस घंटे, किसी भी मौसम में दुश्मनों को मार गिरा सकता है.

4- लॉटरिंग म्यूनिशन (VTOL) – सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान लॉटरिंग म्यूनिशन का जबरदस्त इस्तेमाल किया. सेना की जरूरत के लिए वर्टिकल टेकऑफ लेने वाले म्यूनिशन की खरीद की गई है. लॉटरिंग म्यूनिशन क्रूज़ मिसाइल और यूएवी दोनों की खूबियों को साझा करता है. जैसे क्रूज़ मिसाइल टार्गेट को लॉक करने के बाद उसे आसानी से निशाना बना देती है, वैसे ही यूएवी की तरह यह एक ही इलाके में कुछ समय तक उड़ते हुए चक्कर लगाते हुए अपने टार्गेट को ढूंढता है. हालांकि ड्रोन से मिसाइल फायर करके टार्गेट को नष्ट किया जाता है और वह वापस बेस पर लौट आता है, लेकिन लॉटरिंग म्यूनिशन ड्रोन की तरह उड़ान भरते हुए एक बार सेट किए गए कॉर्डिनेट पर फीड किए गए डेटा के मुताबिक टार्गेट लोकेट करने के बाद अटैक कर देता है.

5- रिमोटली पायलेटेड एरियल वेहिकल (RPAV) – इसे रिमोटली पायलेटेड एयरक्राफ्ट भी कहा जाता है. इसे जमीन पर ऑपरेटर रिमोट के जरिए उड़ाता है. इसका इस्तेमाल निगरानी, सर्विलांस और राहत बचाव के लिए किया जाता है. आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन में इसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है.

6- अलग-अलग तरह के ड्रोन – सेना के लिए अलग-अलग तरह के ड्रोन की खरीद भी की गई है. इसमें सर्विलांस, लॉजिस्टिक ड्रोन और फर्स्ट पर्सन व्यू ड्रोन शामिल हैं. इनके इस्तेमाल से सेना के ऑपरेशन में काफी सटीकता और सहूलियत आई है.

7- बुलेट प्रूफ जैकेट और हेलमेट – भारतीय सेना अब तक जिन बुलेटप्रूफ जैकेट और हेलमेट का इस्तेमाल करती रही है, वे वजन में काफी भारी होते थे. ऑपरेशन में भी दिक्कतें पेश आती थीं. अब सेना के लिए भारी जैकेट की जगह हल्की जैकेट और बैलिस्टिक हेलमेट की खरीद की जा रही है. इसके अलावा नाइट विजन

8- क्विक रिएक्शन फाइटिंग व्हीकल्स (QRFVs)– सेना को किसी भी ऑपरेशन में भारी फायरिंग के बीच सुरक्षित रखने के लिए क्विक रिएक्शन फाइटिंग व्हीकल्स की खरीद की जा रही है. दो तरह की व्हीकल एक हेवि और दूसरी मीडियम गाड़ियां है.



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