Monday, November 3, 2025
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सोशल मीडिया और चैटजीपीटी से सीखी नोट बनाने की तकनीक: ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से खरीदा सामान, किराए के कमरे से चलता था फर्जी धंधा – Chittorgarh News


चित्तौड़गढ़ जिले में नकली नोट बनाने और उन्हें बाजार में चलाने वाले गिरोह से पूछताछ में कई खुलासे हुए। पकड़े गए तीनों आरोपियों ने नकली नोट बनाने की तकनीक सोशल मीडिया और चैटजीपीटी ऐप से सीखी थी। नोट बनाने का सामान भी आरोपियों ने ऑनलाइन अमेजन और फ्लिपका

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विजयपुर थानाधिकारी प्रभुसिंह चुंडावत ने बताया कि 17 सितंबर को कोतवाली थाना क्षेत्र से तीन युवकों को पकड़ा गया। उनकी तलाशी लेने पर 500-500 रुपए के नकली नोट बरामद हुए। आरोपियों की पहचान सारोला, झालावाड़ निवासी आसिफ अली पुत्र नूर मोहम्मद, आदिल खान पुत्र अब्दुल गफूर और कैथून, किया निवासी शाहनवाज पुत्र मंसूर अहमद के रूप में हुई है। जिसके बाद जांच विजयपुर थानाधिकारी कर रहे थे।

तीनों आरोपियों को कोतवाली पुलिस ने किया था गिरफ्तार।

किराए के कमरे से चला रहे थे फर्जी धंधा

उन्होंने बताया कि आरोपी झालावाड़ में आरोपियों ने अपने ही गांव के दूसरे मोहल्ले ने एक किराए का कमरा लिया हुआ था। उन्होंने मकान मालिक को यह कह रखा था कि वे ऑनलाइन कंप्यूटर का काम करते हैं। जबकि हकीकत यह थी कि उसी कमरे में नकली नोट बनाने का काम चल रहा था। पुलिस ने मौके पर जाकर वहां से प्रिंटर, खास किस्म का पेपर, इंक, केमिकल, हरी टेप, सांचा (फॉरमेट), और वाटरमार्क तैयार करने का लकड़ी का फ्रेम बरामद किया।

अमेजन और फ्लिपकार्ट से मंगवाया सामान

पुलिस जांच में यह भी सामने आया कि आरोपियों ने नकली नोट तैयार करने के लिए ज्यादातर सामान ऑनलाइन अमेजन और फ्लिपकार्ट से खरीदा था। इसमें प्रिंटर, पेपर और अन्य जरूरी सामग्री शामिल थी। सोशल मीडिया और चैटजीपीटी ऐप से उन्होंने नकली नोट तैयार करने का पूरा तरीका सीखा और फिर उसका प्रयोग किया।

जांच विजयपुर पुलिस ने की है।

जांच विजयपुर पुलिस ने की है।

बाजार में ऐसे चलाते थे नकली नोट

आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि नकली नोट चलाने के लिए वे चित्तौड़गढ़ शहर में पावटा चौक और उसके आसपास का इलाका चुनते थे। यहां पर रेडी-ठेले लगाने वाले, सब्जी बेचने वाले, बुजुर्ग और कम पढ़े-लिखे लोगों को निशाना बनाया जाता था। आरोपी कुछ सामान खरीदते और भुगतान नकली 500 रुपए के नोट से कर देते थे। इस तरह वे बाजार में नकली नोट खपाने का प्लान चलाते थे।

पहचान छिपाने के लिए अपनाया तरीका

पुलिस के अनुसार आरोपी कभी भी अपने गांव या आसपास नकली नोट चलाने की हिम्मत नहीं करते थे। इसके बजाय वे ऐसे इलाकों का चुनाव करते, जहां भीड़-भाड़ हो और लोग उन्हें पहचान न पाएं। इसमें पिकनिक स्थल, धार्मिक स्थान और बड़े बाजार शामिल थे। आने-जाने के लिए वे बाइक का इस्तेमाल करते थे और उस पर फर्जी नंबर प्लेट लगा रखी थी। बताया जा रहा है कि यहां चित्तौड़गढ़ में भी एक रूम किराया का ले रखा था।

लोगों को जागरूक होना जरूरी है

नकली नोट गिरोह के पकड़े जाने के बाद शहर में चिंता का माहौल है। खासकर छोटे दुकानदार और रोजाना ठेले-रेहड़ी लगाने वाले लोग अब ज्यादा सतर्क हो गए हैं। क्योंकि सबसे ज्यादा नुकसान इन्हीं वर्गों को होता है।

इस घटना ने यह भी साफ कर दिया है कि डिजिटल युग में तकनीक का इस्तेमाल सिर्फ अच्छे कामों के लिए ही नहीं, बल्कि अपराध के लिए भी हो रहा है। पुलिस अधिकारियों ने कहा कि सोशल मीडिया और एआई टूल्स की मदद से अपराधी नई-नई तरकीबें सीख रहे हैं। ऐसे में समाज को जागरूक होना पड़ेगा ताकि इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाई जा सके।



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