राजधानी के सबसे बड़े सरकारी अस्पतालों में से एक, हमीदिया में पिछले दस दिनों से एमआरआई (MRI) जांच बंद पड़ी है। इसके चलते मरीजों को मुफ्त उपचार के बजाय निजी लैबों में 10 हजार रुपए तक खर्च करने पड़ रहे हैं, जिससे गरीब और मध्यमवर्गीय मरीजों पर भारी आर्थि
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जानकारी के अनुसार, अस्पताल के पुराने भवन को तोड़कर नया भवन बनाया जा रहा है। इस दौरान जेसीबी से खुदाई करते समय सीटी स्कैन और एमआरआई मशीन का अर्थिंग पिट टूट गया। बिना उचित अर्थिंग के मशीन चलाने से शॉर्ट सर्किट हो गया, जिसके परिणामस्वरूप एमआरआई मशीन पूरी तरह से बंद हो गई है।
सीटी स्कैन और एमआरआई मशीन के लिए नया अर्थिंग पिट बनाया जा रहा है।
हमीदिया अस्पताल में एमआरआई का शुल्क 1900 रुपए है, जबकि भर्ती मरीजों के लिए यह जांच निशुल्क होती है। मशीन खराब होने से मरीज इन सुविधाओं से वंचित हो रहे हैं।
ऐसे परेशान हो रहे मरीज
- केस 1 – होशंगाबाद निवासी राहुल शाक्य के सिर में गंभीर चोट लगी है। डॉक्टरों ने उनके सिर में ब्लड क्लॉट का पता लगाने और आगे के इलाज के लिए तुरंत एमआरआई जांच की सलाह दी है। हालांकि, अस्पताल में एमआरआई मशीन बंद होने के कारण उनकी जांच नहीं हो पा रही है, जिससे उनका इलाज शुरू नहीं हो पा रहा है। डॉक्टरों ने चिंता जताई है कि इलाज में जितनी देरी होगी, राहुल की स्थिति उतनी ही गंभीर होती जाएगी, जिससे उनकी जान को खतरा बढ़ सकता है। यह मामला दिखाता है कि कैसे एक बुनियादी जांच की अनुपलब्धता एक मरीज के जीवन पर भारी पड़ सकती है।
- केस 2 – इसी तरह, मो. सलीम को भी एमआरआई विथ कंट्रास्ट जांच करानी थी। उनके परिजन उन्हें स्ट्रेचर पर लेकर हमीदिया अस्पताल पहुंचे थे, लेकिन वहां पहुंचने पर उन्हें बताया गया कि एमआरआई मशीन खराब है। मजबूरन, परिजनों को मो. सलीम को निजी सेंटर ले जाना पड़ा, जहां उन्हें इस जांच के लिए 10 हजार रुपए खर्च करने पड़े। यह घटना स्पष्ट करती है कि कैसे सरकारी अस्पताल में सुविधाओं के अभाव के कारण मरीजों को आर्थिक बोझ उठाना पड़ रहा है, जबकि उनका इलाज सरकारी संस्थान में मुफ्त या कम शुल्क पर होना चाहिए था।
अस्पताल की नई मशीनें भी अटकीं हमीदिया अस्पताल में नई एमआरआई और सीटी स्कैन मशीनें भी लगाई जा रही हैं, लेकिन उनके शुरू होने में अभी समय लगेगा। सीटी स्कैन को शुरू होने में 15 दिन, जबकि एमआरआई को एक महीना लग सकता है। इसका मुख्य कारण इन मशीनों के संचालन के लिए आवश्यक टेक्नीशियन पदों पर नियुक्तियों का न होना है। इसे प्लानिंग फैलियर माना जा रहा है, क्योंकि ये सुविधाएं अब तक शुरू हो जानी चाहिए थीं।
बार-बार खराब हो रही मशीनें यह पहली बार नहीं है जब हमीदिया की एमआरआई मशीन इतने लंबे समय के लिए बंद हुई हो। इसी महीने की शुरुआत में भी यह मशीन करीब 10 दिन तक बंद रही थी। स्टाफ के अनुसार एक मरीज की जांच के दौरान लोहे की कोई वस्तु मशीन में फंस गई थी। इस मामले को हालांकि दबा दिया गया था।
जल्द शुरू हो जाएंगी हमीदिया अस्पताल के अधीक्षक डॉ. सुनीत टंडन ने कहा, मशीन पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मोड पर है, और कुछ तकनीकी कारणों से यह बंद है। जल्द ही अस्पताल की खुद की मशीनें शुरू हो जाएंगी, तो यह परेशानी खत्म हो जाएगी।