यह मामला शिव KOD से जुड़ा है, जिसमें सबसे बड़े शेयरधारक डुंगर सिंह थे. लेकिन दिलचस्प बात यह है कि 12 जुलाई 2005 को जारी लाइसेंस नवीनीकरण फॉर्म पर डुंगर सिंह के हस्ताक्षर किए गए, जबकि 5 अगस्त 2004 को ही उनका निधन हो चुका था.
ACB ने दर्ज किया था मामला
अब लगभग 20 साल बाद, 18 अगस्त को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने सचान और दो अन्य आरोपियों सिम्पल गर्ग और डुंगर सिंह के बिज़नेस पार्टनर राजीव कुमार पर आरोप तय करने का आदेश दिया है.
हिन्दी अंग्रेजी से खुला खेल
जांच में यह भी सामने आया कि डुंगर सिंह ने जीवनभर सभी सरकारी दस्तावेज़ों में केवल अंग्रेज़ी में हस्ताक्षर किए थे, लेकिन 2005 के नवीनीकरण फॉर्म पर बेहद साफ-सुथरे हिंदी हस्ताक्षर पाए गए.
दो डेथ सर्टिफिकेट, दो अलग तारीखें
मामले में एक और मोड़ तब आया जब ग्राम पंचायत अधिकारी और जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रार, बागपत की ओर से डुंगर सिंह की मौत की दो अलग-अलग तारीखें दर्ज की गईं. एक प्रमाणपत्र में 5 अगस्त 2004, जबकि दूसरे में अक्टूबर 2005 की तारीख लिखी गई. ACB का आरोप है कि यह गड़बड़ी आरोपियों को बचाने के लिए की गई थी.
कोर्ट ने कहा, ‘अभियोजन पक्ष यह साबित करने में सफल रहा है कि आरोपी सुनील कुमार सचान ने उस समय डुंगर सिंह के फोटो और हस्ताक्षर अटेस्ट किए, जब वह जीवित ही नहीं थे. साथ ही, FSL रिपोर्ट से यह भी स्पष्ट हुआ कि हस्ताक्षर जाली थे.’

