मेरठ-दिल्ली से भी आते हैं स्वाद के दीवाने
यह दुकान भले ही साइज में बड़ी न हो, लेकिन इसका नाम और स्वाद पूरे एनसीआर में फैला हुआ है. दिल्ली, मेरठ, हापुड़ तक से लोग सिर्फ रबड़ी फालूदा खाने के लिए यहां खिंचे चले आते हैं.
मोहन फालूदा वाले की खासियत उसकी रेसिपी में है. यहां रबड़ी को दूध से धीमी आंच पर घंटों तक पकाया जाता है, ताकि उसका असली देसी स्वाद बरकरार रहे. ऊपर से घर में बना हुआ मुलायम फालूदा, बर्फ, हल्का गुलाब जल और चाहो तो सूखे मेवे भी. हर एक ग्लास में इतनी मिठास और ठंडक होती है कि गर्मी छूमंतर हो जाती है.
75 साल पुरानी है दुकान की कहानी
इस दुकान की शुरुआत स्वर्गीय मोहनलाल जी ने एक छोटे से ठेले से की थी, जब गाजियाबाद उतना फैला भी नहीं था. धीरे-धीरे स्वाद का नाम फैला और ग्राहक बढ़ते चले गए. आज ये दुकान उनकी तीसरी पीढ़ी चला रही है, लेकिन खास बात ये है कि तरीका और रेसिपी वही पुरानी है, जिसका स्वाद लोग अब भी उतना ही पसंद करते हैं.
रोज़ाना लगती है भीड़
दुकान पर हर दिन सैकड़ों लोग आते हैं. भीड़ रहती है, लेकिन स्टाफ तेज है और ऑर्डर फटाफट मिल जाता है. एक बार जिसने इस दुकान का रबड़ी फालूदा चख लिया, वह अगली बार गाजियाबाद आने पर इसे मिस नहीं करता.