Sunday, July 20, 2025
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मेहमान नवाजी को खास बनाएगी पहाड़ की ये ट्रेडिशनल स्वीट डिश ‘लापसी’!


Lapsi Dish Uttarakhand: उत्तराखंड के बागेश्वर जैसे पहाड़ी जिलों में सिर्फ प्राकृतिक सुंदरता ही नहीं, बल्कि खानपान की समृद्ध परंपरा भी देखने को मिलती है. यहां के व्यंजन न सिर्फ स्वाद में लाजवाब होते हैं, बल्कि उनमें लोकजीवन, संस्कृति और सादगी की भी गहराई छिपी होती है. इन्हीं पारंपरिक व्यंजनों में से एक है – खीर लापसी (Lapsi Kheer), जिसे खास मौकों पर घर-घर में बनाया जाता है. चाहे कोई धार्मिक आयोजन हो, पर्व-त्योहार या परिवार का खास दिन, लापसी एक ऐसा मीठा पकवान है जो हर मौके को खास बना देता है.

लापसी का स्वाद और महत्व
लापसी उत्तराखंड की एक पारंपरिक खीर जैसी मिठाई है, जिसे पहाड़ों में गेहूं के आटे से तैयार किया जाता है. शहरी क्षेत्रों में भले ही इसे दलिया से बनाया जाए, लेकिन असली पहाड़ी स्वाद सादे गेहूं के आटे से भुनी हुई लापसी में ही आता है. इसकी खास बात यह है कि यह मिठाई जितनी टेस्टी है, उतनी ही सेहतमंद भी है.

इसका इस्तेमाल सिर्फ खाने के लिए नहीं होता, बल्कि यह उत्तराखंड के कई मंदिरों में प्रसाद के रूप में भी वितरित की जाती है. इसका मतलब है कि लापसी न केवल स्वाद में खास है, बल्कि इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी गहरा है.

कैसे बनती है पारंपरिक पहाड़ी लापसी
पारंपरिक लापसी बनाने की विधि बेहद सरल है, लेकिन इसके स्वाद में गहराई होती है. सबसे पहले एक कटोरी गेहूं का आटा लें और उसे छानकर साफ करें. अब एक कढ़ाई में तीन चम्मच देसी घी डालें और गरम करें. घी गरम होने पर उसमें आटा डालें और उसे मध्यम आंच पर सुनहरा भूरा होने तक भूनें.

जब आटा अच्छी तरह भुन जाए, तब उसमें दूध डालें और धीरे-धीरे चलाते रहें ताकि गांठें न बनें. इसके बाद स्वाद अनुसार चीनी मिलाएं. आप इसमें काजू, बादाम, किशमिश जैसे सूखे मेवे भी डाल सकते हैं, जिससे इसका स्वाद और पोषण दोनों बढ़ जाते हैं.

अब इस मिक्स को ढककर धीमी आंच पर 15 से 20 मिनट तक पकाएं. जब यह गाढ़ी हो जाए और घी छोड़ने लगे, तो आपकी लापसी तैयार है. इसे गरमागरम परोसें और उत्तराखंडी स्वाद का मज़ा लें.

त्यौहारों की खास मिठाई
बागेश्वर और आस-पास के क्षेत्रों में लापसी को खास धार्मिक आयोजनों में प्रसाद के रूप में बांटा जाता है. इसका स्वाद जितना खास है, उसकी धार्मिक भावना भी उतनी ही गहरी है. यह मिठाई न केवल स्वाद को तृप्त करती है, बल्कि पूजा-पाठ और त्योहारों में श्रद्धा का प्रतीक बन जाती है.

परंपरा से जुड़ा स्वाद, जो हमेशा याद रहेगा
आज जब बाजार में कई तरह की मिठाइयां उपलब्ध हैं, ऐसे में यह पारंपरिक व्यंजन हमारे खानपान की जड़ों से जुड़ने का मौका देता है. लापसी सादगी में समृद्ध मिठाई है, जो न केवल स्वाद देती है, बल्कि संस्कृति और विरासत की याद भी ताजा कर देती है.



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