Thursday, July 31, 2025
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Explainer: क्या है 4 पैरा स्पेशल फोर्स, जिसने पहलगाम के आतंकियों को मार गिराया, सेना की सबसे घातक यूनिट


22 अप्रैल 2025 में पहलगाम में 26 लोगों की फायरिंग करके हत्या करने वाले तीन आतंकवादियों को ढूंढकर मारने का काम भारतीय सेना के 4 पैरा स्पेशल फोर्स के अफसरों द्वारा चलाया गया. 4 पैरा (विशेष बल) के एक अधिकारी और उसके साथी ने आतंकवादियों को पहचान लिया, जिसके बाद उन्हें तुरंत गोली मार दी गई. 4 पैरा को भारत की सबसे निडर रेजिमेंट्स माना जाता है.

4 पैरा स्पेशल फोर्स को भारत की खामोश लेकिन सबसे घातक टुकड़ी माना जाता है. खामोशी से काम करने वाली ये यूनिट भारतीय सेना की सबसे मारक और घातक इकाइयों में एक मानी जाती है. ये ऑपरेशन 6 घंटे चला. इसे बेहद सूक्ष्मता से अंजाम दिया गया.

सवाल – क्या है 4 पैरा स्पेशल फोर्स ?

– 4 पैरा स्पेशल फोर्स यानी पैराशूट रेजिमेंट की चौथी बटालियन (स्पेशल फोर्स) भारतीय सेना की एक विशेष ऑपरेशन यूनिट है, जिसे खासतौर पर उच्च जोखिम वाले मिशनों, आतंकवाद रोधी अभियानों और गुप्त ऑपरेशनों के लिए प्रशिक्षित किया गया है. यह पैरा स्पेशल फोर्सेज की 7 सक्रिय बटालियनों में एक है. इसकी पहचान “घात लगाकर मारो और लापता हो जाओ” वाली रणनीति के लिए होती है.

सवाल – 4 पैरा स्पेशल फोर्स का गठन कब और कैसे हुआ?

– मूल रूप से 4 पैरा एक सामान्य एयरबोर्न यूनिट थी, जो 1961 में बनी थी. 2001 में इसे स्पेशल फोर्सेज बटालियन में तब्दील किया गया. 2003 से इस यूनिट ने घुसपैठ रोधी अभियानों और जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों के खिलाफ ऑपरेशनों में भाग लेना शुरू किया. 4 पैरा स्पेशल फोर्स विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर में हाई-वैल्यू टारगेट को निशाना बनाने के लिए जानी जाती है.

सवाल – कैसे बनते हैं 4 पैरा स्पेशल फोर्स कमांडो, कैसे दी जाती है इन्हें ट्रेनिंग?

– 4 पैरा स्पेशल फोर्स में शामिल होना आसान नहीं है. पहले सैनिक को सामान्य पैराट्रूपर की तरह सेलेक्ट होना होता है. इसके बाद 90-दिनों का कठोर प्रोबेशन पीरियड होता है, जिसमें शारीरिक, मानसिक और रणनीतिक प्रशिक्षण दिया जाता है. केवल 10% लोग ही इस कठिन परीक्षा को पास कर पाते हैं.
इनकी ट्रेनिंग में जंगल वॉरफेयर, माउंटेन वारफेयर, क्लोज क्वार्टर बैटल, गौरिल्ला रणनीति, स्काईडाइविंग और हेलीबोर्न ऑपरेशन के साथ स्नाइपिंग और निगरानी रहती है.

सवाल – हेलीबोर्न ऑपरेशन क्या है, क्यों इसमें जबरदस्त तेजी और जोखिम भी होती है?

– हेलीबोर्न ऑपरेशन एक विशेष सैन्य रणनीति होती है, जिसमें सैनिकों को हेलीकॉप्टर के माध्यम से युद्ध क्षेत्र में तेजी से पहुंचाया जाता है. आमतौर पर ऐसे इलाकों में जहां पैदल या अन्य वाहनों से पहुंचना मुश्किल या समय लेने वाला हो.इसके जरिए दुश्मन पर अप्रत्याशित दिशा से चौंकाने वाला हमला किया जाता है. टारगेट के बेहद पास सटीकता से सैनिक उतारे जाते हैं. इस मिशन में सैनिकों को घंटे नहीं, मिनटों में भेजा जा सकता है.
ये ऑपरेशऩ दुश्मन के कब्जे वाले इलाके में अचानक हमला. बंधकों की रिहाई, घुसपैठियों को घेरने और आपदा के समय राहत पहुंचाने के लिए होता है.

सवाल – क्या करती है 4 पैरा स्पेशल फोर्स?

– ये कई तरह के काम करती है
1. आतंकवाद रोधी अभियान- कश्मीर घाटी में हाई-प्रोफाइल आतंकियों को ट्रैक करना और मार गिराना. LOC पार से आने वाले घुसपैठियों को रोकना और
इंटेलिजेंस-बेस्ड ऑपरेशन करने जैसे काम 4 पैरा के लोग करते हैं

2. गुप्त ऑपरेशन – सीमा पार शत्रु के ठिकानों पर हमला करने जैसे मिशन ये करते हैं. घुसपैठियों की सूचना इकट्ठी करते हैं. पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) के अंदर टारगेट्स पर फोकस करते हैं.

3. सीमा सुरक्षा और रैपिड रेस्पॉन्स – 4 पैरा अक्सर अग्रिम चौकियों के पास तैनात रहती है ताकि तेजी से रिएक्ट कर सके. ये स्पेशल फोर्स कश्मीर में नियमित रूप से नाइट ऑपरेशन और सर्जिकल स्ट्राइक टाइप मिशन को अंजाम देती है.

सवाल – अब तक कितने बड़े ऑपरेशन कर चुकी है 4 पैरा स्पेशल फोर्स?

1. उरी (2016) के बाद की सर्जिकल स्ट्राइक इसी स्पेशल फोर्स के जरिए की गई थी. इसमें इसने पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों के लांचपैड नष्ट किए थे. उसने हेलीकॉप्टर से घुसपैठ करके 3-4 किलोमीटर अंदर तक कार्रवाई ही नहीं की बल्कि सुरक्षित वापसी भी की. ये सब केवल कुछ घंटों में किया गया.

2. इस पैरा स्पेशल फोर्स ने जम्मू-कश्मीर के दर्जनों हाई-प्रोफाइल एनकाउंटर किए. 2017 में बुरहान वानी गिरोह के सदस्य सबजार भट को मार गिराया गया.
2020-2024 के बीच TRF, लश्कर, हिजबुल के कई टॉप कमांडरों को निशाना बनाया गया.

3. जून 2022 में पुलवामा एनकाउंटर का काम 4 पैरा स्पेशल फोर्स ने ही किया. उसने रात के अंधेरे में ऑपरेशन करके बिना किसी नागरिकों को हताहत के दो जैश कमांडर ढेर.

सवाल – इस स्पेशल फोर्स की टुकड़ियां कहां तैनात रहती हैं और इनके आपरेशन किस तरह होते हैं? 

– 4 पैरा की यूनिट्स कुपवाड़ा, पुलवामा, शोपियां, और पहलगाम जैसी संवेदनशील जगहों पर नियमित रूप से मौजूद रहती हैं. इन कमांडोज़ के मिशन बेहद उच्च जोखिम वाले होते हैं. इनके ऑपरेशन बहुत चुपचाप बनते हैं. इन्हें रेड डेविल्स के नाम से भी जानते हैं. उन्हें दक्षिण एशिया की सबसे घातक यूनिट्स में से एक माना जाता है.



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