अलवर से 14 किलोमीटर दूर सिलीसेढ़ बांध 4 दिन से ओवरफ्लो है। फिलहाल 2 इंच की चादर चल रही है। बांध के चारों तरफ अरावली की पहाड़ियों में हरियाली की चादर बिछ गई है। इसके साथ ही बांध पर पर्यटकों की संख्या बढ़ने लगी है। बांध के पानी से 6 गांव में 5000 बीघा स
.
सिलीसेढ़ बांध का निर्माण 1890 किया गया था। बांध किनारे महल बना है। राजशाही के दौरान राजा यहां शिकार करने के लिए आते थे। अब यह टूरिस्ट के लिए होटल है। बांध में करीब 20 से 25 किलोमीटर तक का पानी पहुंचता है। बांध की क्षमता 28 फीट 9 इंच है। यह पूरा भर गया है। हालांकि नीचे 3 फीट से अधिक मिट्टी भर गई है।
सिलीसेढ़ बांध के किनारे पहाड़ पर महल बना है, जो होटल बना दिया गया है।
14 किलोमीटर दूर तक पानी पहुंचता था सिलीसेढ़ बांध से स्टेट के समय नहर के जरिए करीब 14 किलोमीटर दूर अलवर शहर में लाल डिग्गी और कंपनी बाग तक पानी जाता था। अब सालों से नहर के ऊपर अतिक्रमण हो गया है। इसलिए अब शहर में पानी नहीं पहुंचता है।

सिलीसेढ़ बांध की पाल की तरफ बड़ी संख्या में मगरमच्छ हैं। सर्दी के दिनों में यह नजर आते हैं।
500 से अधिक मगरमच्छ बांध में 500 से अधिक मगरमच्छ हैं। ज्यादातर मगरमच्छ बांध की पाल (किनारे) की तरफ हैं। बांध के ऊपर बने एक होटल के नीचे एक ही जगह 100 से अधिक मगरमच्छ दिख जाते हैं। सर्दी के दिनों में पानी से बाहर पड़े रहते हैं।

बांध की क्षमता 28 फीट 9 इंच है, जो पूरी तरह लबालब हो गया है।
1 करोड़ रुपए की बिकती हैं मछलियां बांध में मछली पालन का भी टेंडर होता है। हर साल करीब 1 करोड़ रुपए से अधिक कीमत की मछली यहां से बिकती हैं। किनारों की तरफ सिंघाड़ा की खेती भी होती है।
बांध के दूसरी तरफ कई होटल भी अवैध रूप से बन गए। इन होटलों ने बांध के बहाव व भराव क्षेत्र को रोका है। इससे बांध का गला घुटा है।

बांध के पानी से 5000 बीघा से अधिक जमीन की सिंचाई होती है।
अतिक्रमण के कारण शहर नहीं पहुंचता पानी सिंचाई विभाग के एक्सईएन संजय खत्री ने बताया- पहले सिलीसेढ़ बांध का पानी करीब 14 किलोमीटर दूर तक नहर से जाता था। अब आसपास के गांवों में पहुंचता है। शहर के आसपास नहर पर अतिक्रमण है। नियमानुसार सिंचाई विभाग नहर में पानी छोड़ता है। सिलीसेढ़ के पास उमरैण, श्योदानपुरा, उमरैण, भाखेड़ा, बाडकेसरपुर व लिवारी के आसपास के एरिया में सिंचाई होती है।
उमरैण के पूर्व सरंपच भविंद्र पटेल ने बताया- खरीफ और रवि की फसलों में सिंचाई होती है। गेहूं की फसल के लिए सीजन में 5 बार पानी छोड़ते हैं। इनकी शर्त है कि 16 फीट पानी होने तक सिंचाई के लिए पानी देते हैं। अब ये नहर भाखेड़ा तक है।

बांध पर 2 इंच पानी की चादर चल रही है। इसे सिंचाई के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

बारिश के कारण बांध के चारों तरफ अरावली की पहाड़ियों में हरियाली की चादर बिछ गई है।

बांध में बोटिंग होती है। यहां 10 से अधिक बोट हैं। हर साल बोटिंग का टेंडर होता है।
—
राजस्थान के बांध की यह खबर भी पढ़िए…
सीकर में बांध टूटा, घरों-स्कूलों में भरा गंदा पानी:खेत डूबे, बीमारी का खतरा, नेशनल हाईवे पर पानी, दावा- 40 साल बाद ऐसा मंजर

सीकर में 25 अगस्त को हुई तेज बारिश से शहर व आसपास के इलाके डूब गए। शहर से करीब ढाई किलोमीटर दूर नानी गांव को सबसे ज्यादा मार झेलनी पड़ी। कच्चा बांध टूटने से डूबे इस गांव में अब बीमारी का खतरा मंडरा रहा है। स्कूल का ग्राउंड तालाब बन चुका है, पास से निकल रहे नेशनल हाईवे-52 पर भी पानी जमा है। (पूरी खबर पढ़ें)

