बढ़ी हुई डीएलएसी रेट का प्रॉपर्टी डीलर्स ने जताया विरोध: रेट कम नहीं की गई तो दायर की जाएगी जनहित याचिका,यूआईटी जनता के साथ कर रही कुठाराघात – Bhilwara News

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बढ़ी हुई डीएलएसी रेट का प्रॉपर्टी डीलर्स ने जताया विरोध:  रेट कम नहीं की गई तो दायर की जाएगी जनहित याचिका,यूआईटी जनता के साथ कर रही कुठाराघात – Bhilwara News



एडीएम को ज्ञापन सौंप डीएलसी रेट कम करवाने की मांग करते प्रॉपर्टी डीलर्स एसोसिएशन के पदाधिकारी

भीलवाड़ा प्रोपर्टी डीलर्स एण्ड ब्रोकर्स एसोसिएशन के बैनर तले न्यास द्वारा शहर की प्रमुख कॉलोनियों की डीएलसी रेट मेंअप्रत्याक्षित वृद्धि के निर्णय वापस लेने के लिए सीएम के नाम जिला प्रशासन व सांसद को भी ज्ञापन दिया।

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दिए गए ज्ञापन में बताया कि बजट घोषणा के अनुरूप एक तरफ नगर विकास न्यास भीलवाड़ा द्वारा 2 जून से न्यास की विभिन्न योजनाओ में आमजनों को रियायती/आरक्षित दर पर लॉटरी के माध्यम से आवासीय भूखण्ड आवंटित करने हेतु आवेदन मांगे गये है।

वही दूसरी तरफ राजस्थान सरकार की मंशा के विरूद्ध न्यास की कुछ योजनाओ की आरक्षित दरो में 50 प्रतिशत से लगाकर 375 प्रतिशत की वृद्धि की गई है जो भीलवाड़ा के अमजन के हित में नही होकर उनके हितों पर भारी कुठाराघात है।

भीलवाड़ा प्रोपर्टी डीलर्स एण्ड ब्रोकर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष जगजीवन जायसवाल ने बताया कि भीलवाड़ा प्रोपर्टी डीलर्स एण्ड ब्रोकर्स एसोसिएशन आज जिला कलेक्टर और सांसद के पास ज्ञापन देने आए हैं ।नगर विकास न्यास भीलवाड़ा ने आरक्षित दरों में अप्रत्याक्षित वृद्धि की है। आज के 20 दिन पहले आरक्षित दरें निर्धारित थी। अभी जो नई लॉटरी निकालनी है, सरकार की मनसा के अनुरूप वंचित वर्ग को जो भूखण्ड दिए जाने हैं उनकी रेट 5 से 10 गुना तक बढ़ा दी है उसका हम सभी विरोध विरोध करते हैं।

राज्य सरकार चाहती है कि कम कीमत में भूखंड व राहत मिले लेकिन नगर विकास न्यास सचिव व पदाधिकारी ने जो आदेश जारी किया है। उसमे हर 3 सालों में 10 गुना बढ़ा सकते हैं। एसोसिएशन ने कहा कि जो आरक्षित दरों में हुई वह अप्रत्याक्षित वृद्धि है। अगर दरों को कम नहीं करते हैं तो एसोसिएशन द्वार जनहित में याचिका दायर की जाएगी।

प्रॉपर्टी डीलर कैलाश कोठारी ने बताया कि सरकार से हमारा निवेदन है कि आम जनता के लिए हित के लिए सरकार कार्य करें।जनहित के कोई भी निर्णय बिना विचार के नहीं करें। रेट बढ़ाने निर्णय तो नगर विकास के द्वारा ही निर्णय लिया गया है। हर 3 साल में 10% बढ़ाने का नियम है । राज्य सरकार की संस्था के अनुरूप अधिकारियों ने ध्यान नहीं रखा।



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