Monday, November 3, 2025
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आज से शुरू होगा सूर्य उपासना का महापर्व छठ पूजा: भोपाल में उत्सव का माहौल; शहर के 52 घाट तैयार, लाखों श्रद्धालुओं होंगे शामिल – Bhopal News


आस्था और सूर्य उपासना का चार दिवसीय महापर्व छठ पूजा आज से शुरू हो रहा है। राजधानी भोपाल में नगर निगम और प्रशासन ने घाटों पर तैयारियां पूरी कर ली हैं। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए साफ-सफाई, रंग-रोगन, मरम्मत, विद्युत साज-सज्जा, चलित शौचालय, चेंजिंग रूम

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शीतलदास की बगिया, कमला पार्क, वर्धमान पार्क (सनसेट पॉइंट), खटलापुरा घाट, काली मंदिर घाट, प्रेमपुरा घाट, हथाईखेड़ा डैम, बरखेड़ा और घोड़ा पछाड़ डैम सहित कुल 52 स्थलों पर छठ पर्व का आयोजन होगा।

निगम की टीमें शुक्रवार देर रात तक सफाई और सजावट में लगी रहीं। भोजपुरी एकता मंच के अध्यक्ष कुंवर प्रसाद ने बताया कि इस बार लाखों श्रद्धालु विभिन्न घाटों पर अर्घ्य देने पहुंचेंगे। उन्होंने कहा कि शहर के उत्तर भारतीय समुदाय में छठ को लेकर उत्साह चरम पर है। बाजारों में पूजा सामग्री, सूप-दउरा, ठेकुआ मोल्ड, फल और साज-सज्जा के सामान की बिक्री में तेजी आई है।

शीतलदास की बगिया में भोजपुरी एकता मंच के अध्यक्ष और उनकी टीम ने साफ सफाई की।

प्रशासनिक अमला भी तैयार प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पुलिस बल, गोताखोर टीम और मेडिकल सहायता केंद्र की व्यवस्था की है। ट्रैफिक पुलिस ने प्रमुख घाटों के आसपास पार्किंग और आवाजाही के लिए विशेष रूट प्लान तैयार किया है। घाटों पर प्रकाश व्यवस्था, बैरिकेडिंग और कंट्रोल रूम बनाए गए हैं।

  • 25 अक्टूबर को नहाय-खाय,
  • 26 अक्टूबर को खरना
  • 27 अक्टूबर को डाला छठ (सांझी अर्घ्य)
  • 28 अक्टूबर को भोर अर्घ्य और पारण

चार दिनों के छठ पर्व के बारे में सबकुछ जानिए

पहला दिन : नहाय-खाय के दिन नदी में स्नान करके कद्दू-भात बनाया जाता है। इस दिन छठ व्रत करने वाली महिलाएं सुबह गंगा स्नान कर नए वस्त्र पहनती हैं। कद्दू यानी लौकी और भात का प्रसाद बनाती हैं। इस प्रसाद को खाने के बाद ही छठ व्रत की शुरुआत होती है। ऐसा माना जाता है कि मन, वचन, पेट और आत्मा की शुद्धि के लिए छठ व्रतियों का पूरे परिवार के साथ कद्दू-भात खाने की परंपरा सालों से चली आ रही है।

नहाय-खाय में बनने वाले भोजन में लहसुन-प्याज का इस्तेमाल नहीं होता है। इस दिन लौकी की सब्जी, अरवा चावल, चने की दाल, आंवला की चटनी, पापड़, तिलौरी बनते हैं। जिसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि प्रसाद के रूप में इन चीजों का सेवन करने से शरीर स्वस्थ होता है, जिससे इस महापर्व को करने की शक्ति और प्रेरणा मिलती है। नहाय-खाय के दिन बनाया गया खाना सबसे पहले व्रत रखने वाली महिलाओं और पुरुषों को परोसा जाता है। इसके बाद ही परिवार के अन्य लोग भोजन ग्रहण करते हैं।

दूसरा दिन : छठ पूजा के दूसरे दिन कार्तिक शुक्ल पंचमी को खरना बोलते हैं। इस दिन व्रती उपवास रखकर शाम को खरना का प्रसाद बनाती हैं। प्रसाद बनाने के बाद सबसे पहले भगवान भास्कर की पूजा की जाती है। पूजा खत्म करने के बाद प्रसाद ग्रहण किया जाता है। खरना का प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रती 36 घंटे का निर्जला व्रत का संकल्प लेती हैं।

खरना में गुड़ के खीर का प्रसाद भोग के रूप में चढ़ाया जाता है। सूर्य देवता और छठी मैया का ध्यान करते हुए व्रती गुड़ और चावल की खीर मिट्‌टी के चूल्हा पर बनाती हैं। इसके साथ ही गेंहूं के आटे की रोटी भी बनाई जाती है। चूल्हा जलाने के लिए आम की लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है। आम की लकड़ी को छठ पूजा के लिए शुभ माना गया है।

तीसरा दिन : तीसरे दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को दिन में छठ प्रसाद बनाया जाता है। इस दिन प्रसाद में ठेकुआ, जिसे कुछ क्षेत्रों में टिकरी भी कहते हैं, बनते हैं। इसके अलावा चावल के लड्डू बनाए जाते हैं। साथ ही चढ़ावे के रूप में लाया गया सांचा और फल भी छठ प्रसाद के रूप में शामिल होता है। शाम को पूरी तैयारी के साथ बांस की टोकरी में अर्घ्य का सूप सजाया जाता है, और सभी मिलकर सूर्य देव को नदी या तालाब के किनारे अर्घ्य देते हैं।

सूर्य को दूध और जल दोनों से अर्घ्य दिया जाता है। इसके बाद छठ मैया की भरे सूप से पूजा की जाती है और सारी रात छठी माता के गीत गाये जाते हैं। इसी दिन अस्त होते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। अर्घ्य के दौरान छठ व्रती हाथों में फल और प्रसाद से भरा दउरा-सूप लेकर भगवान भास्कर की उपासना करती हैं। शाम को सूर्य की अंतिम किरण प्रत्युषा को अर्घ्य देकर नमन किया जाता है। माना जाता है कि छठ में शाम के वक्त सूर्य को अर्घ्य देने से आंखों की रोशनी बढ़ती है। साथ ही लंबी आयु की भी प्राप्ति होती है।

चौथा दिन : छठ के चौथे दिन व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य देती हैं। इसके साथ ही 36 घंटे का निर्जला उपवास समाप्त होता है। भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के बाद व्रती छठ का प्रसाद खाकर अपना व्रत खोलती हैं। इसके बाद पारण होता है, जिसमें व्रती चावल, दाल, सब्जी, साग, पापड़, चटनी, बड़ी, पकौड़ी, आदि चीजें खाती हैं और उसके बाद पूरा परिवार खाना खाता है।



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