डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों और वैश्विक अनिश्चितताओं के चलते अमेरिका और विश्व अर्थव्यवस्था की रफ्तार पर ब्रेक लग गया है. आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में अमेरिका समेत ग्लोबल इकोनॉमी की ग्रोथ रेट के अनुमान में कटौती की है.
अमेरिका की ग्रोथ 2.2 फीसदी से घटकर 1.6 फीसदी पर आ गई
OECD के अनुसार, अमेरिका की अर्थव्यवस्था अब 2025 में केवल 1.6 फीसदी की दर से बढ़ेगी, जबकि मार्च 2025 के अनुमान में यह 2.2 फीसदी थी. 2026 के लिए भी यह दर घटाकर 1.5 फीसदी कर दी गई है. रिपोर्ट में बताया गया है कि अमेरिका में व्यापारिक नीतियों में अस्थिरता, सख्त इमीग्रेशन नियम, सरकारी कर्मचारियों की संख्या में कटौती और टैरिफ का सीधा असर निवेश और उपभोग पर पड़ा है.
ग्लोबल ग्रोथ का भी हुआ डाउनग्रेड
OECD ने वैश्विक आर्थिक वृद्धि दर को भी कम कर दिया है. अब 2025 और 2026 दोनों वर्षों के लिए ग्लोबल ग्रोथ 2.9 फीसदी रहने का अनुमान है, जो पहले 3.1 फीसदी और 3 फीसदी था. यह गिरावट खासतौर पर अमेरिका, कनाडा और मेक्सिको में देखी जा रही है. बाकी देशों में अपेक्षाकृत हल्का असर देखने को मिल रहा है.
“टैरिफ पॉलिसी बनी आर्थिक अनिश्चितता की वजह”
रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका में मई 2025 से लागू नए टैरिफ, उपभोक्ता और बिजनेस सेक्टर के आत्मविश्वास को कमजोर कर रहे हैं. हाल ही में अमेरिकी कोर्ट में कुछ टैरिफ नियमों को रोका गया था, लेकिन फिर से उन्हें बहाल कर दिया गया. ट्रंप प्रशासन अब स्टील पर टैरिफ 50 फीसदी तक बढ़ाने की योजना बना रहा है.
OECD के चीफ इकोनॉमिस्ट अल्वारो परेरा ने CNBC को दिए इंटरव्यू में कहा, “लगभग हर देश की ग्रोथ का अनुमान इसलिए घटाना पड़ा क्योंकि व्यापार और नीतियों को लेकर अनिश्चितता अब ऐतिहासिक स्तर पर पहुंच चुकी है.”
महंगाई भी बढ़ेगी
सिर्फ ग्रोथ ही नहीं, अब महंगाई भी बड़ा खतरा बनकर उभर रही है. OECD के अनुसार, अमेरिका में 2025 में महंगाई 3.2 फीसदी रह सकती है जो पहले 2.8 फीसदी अनुमानित थी. साल के अंत तक यह आंकड़ा 4 फीसदी तक पहुंच सकता है. इसकी प्रमुख वजह है, आयात पर टैरिफ के कारण सामानों की लागत का बढ़ना. हालांकि कुछ हद तक कमोडिटी प्राइसेज में गिरावट से राहत मिल सकती है.
टेक्नोलॉजी में है उम्मीद की किरण
इस निराशाजनक आर्थिक परिदृश्य में टेक्नोलॉजी को एक संभावित पॉजिटिव फैक्टर के रूप में देखा जा रहा है. OECD का मानना है कि अमेरिका में AI, रोबोटिक्स और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसे क्षेत्रों में तेजी से प्रगति हो रही है. अल्वारो परेरा का मानना है कि इससे प्रोडक्टिविटी में उछाल आ सकता है, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि दुनिया के देश ट्रेड वॉर कम करें और इन्वेस्टर का भरोसा लौटाएं.
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