महाराजा पुष्पराज सिंह की अध्यक्षता में वार्षिक रथ यात्रा के आयोजन को लेकर बैठक हुई।
रीवा में प्राचीन परंपरा के अनुसार इस साल भी किला परिसर से भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा 27 जून को निकाली जाएगी। इस संबंध में महाराजा पुष्पराज सिंह की अध्यक्षता में वार्षिक रथ यात्रा के सफल आयोजन को लेकर बैठक हुई, जिसमें शहर के प्रबुद्ध नागरिक, धर्मगुरु
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हमेशा की तरह रथ यात्रा किला परिसर से निकलकर फोर्ट रोड होते हुए मानस भवन पहुंचेगी, जहां विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा। बैठक में यात्रा मार्ग को पूरी तरह दुरुस्त करने पर जोर दिया गया। बिछिया से किला मार्ग पर सीवरेज लाइन के निर्माण से सड़क क्षतिग्रस्त हो गई है, जिससे 361 वर्ष पुराने ऐतिहासिक रथ को नुकसान की आशंका है।
ये है रथ यात्रा की परंपरा रथ को लक्ष्मण बाग में रखा गया है, जहां से पहले किले में लाया जाएगा और फिर वहां से रथ यात्रा शुरू होगी। महाराजा पुष्पराज सिंह ने बताया कि यह परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है। लक्ष्मण बाग में विराजमान भगवान जगन्नाथ बीमार होने पर 15 दिन के आराम के बाद स्वस्थ होकर खुद शहर की यात्रा पर निकलते हैं।
महाराजा भाव सिंह ने की थी शुरुआत ये परंपरा 17वीं शताब्दी में महाराजा भाव सिंह ने शुरू की थी। उन्होंने जगन्नाथ पुरी की यात्रा के बाद रीवा में तीन स्थानों पर भगवान जगन्नाथ के मंदिर बनवाए थे। महाराजा भाव सिंह ने 1664 में किले के पीछे बिछिया, सोन और बीहर नदियों के संगम पर भव्य राजघाट का निर्माण करवाया था। महाराजा भाव सिंह की पत्नी, रानी अजब कुंवरी, महाराणा प्रताप की परपोती थीं और उनके लिए एक कोठी और बावली का निर्माण करवाया गया था। इस साल यात्रा को अब तक की सर्वश्रेष्ठ और भव्यतम बनाने के लिए विशेष योजना बनाई गई है।