Monday, July 7, 2025
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जमुई के आदिवासी इलाकों में शिक्षा की बदहाल स्थिति उजागर: कई गांवों में नहीं है प्राथमिक विद्यालय, एक भवन में चल रहे दो स्कूल – Jamui News



जमुई के आदिवासी बहुल इलाकों में शिक्षा व्यवस्था की बदहाल स्थिति पर राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने नाराजगी जताई है। आयोग की सदस्य डॉ. आशा लकड़ा ने जिले का दौरा कर शिक्षा, आधारभूत संरचना और प्रशासनिक व्यवस्थाओं की समीक्षा की। उनके साथ आयोग के रिसर्च

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डॉ. लकड़ा ने जिला समाहरणालय में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर आदिवासी समुदाय से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि कई गांव नदी के पार बसे हैं, जहां तक आज तक कोई प्राथमिक विद्यालय नहीं पहुंच पाया है। कुछ स्थानों पर एक ही भवन में दो स्कूल चलाए जा रहे हैं। वहां न तो बैठने की व्यवस्था है और न ही बुनियादी सुविधाएं।

एक ही भवन में दो स्कूल, पीने का पानी भी नहीं

डॉ. लकड़ा ने कहा कि “शिक्षा के नाम पर खानापूर्ति हो रही है। शिक्षक केवल उपस्थिति दर्ज कर चले जाते हैं। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल रही। यह स्थिति अत्यंत चिंताजनक है।” उन्होंने स्थानीय प्रशासन को निर्देश दिया कि स्कूलों की समस्याओं से जुड़े प्रस्ताव जल्द तैयार कर भेजें। ताकि आयोग उन्हें राज्य सरकार तक पहुंचा सके।

समावेशी छात्रावास और एकलव्य स्कूल पर निर्देश

उन्होंने यह भी बताया कि जिला मुख्यालय स्थित एससी/एसटी हॉस्टल में केवल एससी वर्ग के छात्र रह पा रहे हैं। पहले एससी और एसटी दोनों वर्गों को प्रवेश मिलता था। इस स्थिति को सुधारते हुए 300 बेड वाले नए हॉस्टल का प्रस्ताव तैयार करने की बात कही गई।

उन्होंने सुझाव दिया कि एससी, एसटी, ओबीसी और सामान्य वर्ग के छात्रों के लिए एक समावेशी हॉस्टल बनाया जाए, जिससे सामाजिक समरसता को बढ़ावा मिले।

एकलव्य मॉडल विद्यालय की मंजूरी

डॉ. लकड़ा ने बताया कि भारत सरकार ने जमुई में प्रखंड स्तर पर एकलव्य मॉडल विद्यालय की मंजूरी दी है। जिला प्रशासन को निर्देशित किया गया है कि जल्द संबंधित प्रस्ताव भेजा जाए, ताकि कार्य प्रारंभ किया जा सके।

आंगनबाड़ी केंद्रों की भी दयनीय स्थिति

डॉ. लकड़ा ने आंगनबाड़ी केंद्रों की बदहाली पर भी चिंता जताई। उन्होंने बताया कि कई गांवों में अब भी आंगनबाड़ी केंद्र नहीं हैं, जिससे बच्चों और गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य सेवाओं पर असर पड़ रहा है। महिला एवं बाल विकास विभाग को इस संदर्भ में जानकारी दी जा चुकी है और प्रभावित गांवों की सूची भी भेजी गई है।

हॉस्टल में छात्र खुद जुटाते हैं ईंधन

झाझा स्थित एक छात्रावास का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि वहां के छात्र खुद ईंधन (गौस) जुटाकर खाना बनाते हैं, जो शिक्षा और बाल अधिकारों के दृष्टिकोण से गंभीर विफलता है। उन्होंने छात्रावासों की व्यवस्था में सुधार हेतु अलग से प्रस्ताव भेजने के निर्देश दिए।

भ्रष्टाचार पर भी सख्त टिप्पणी

प्रेस वार्ता में डॉ. लकड़ा ने प्रखंड और अंचल कार्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार पर भी कड़ी टिप्पणी की। उन्होंने डीएम नवीन कुमार को निर्देश दिया कि वे नियमित निरीक्षण करें, ग्रामीणों से संवाद स्थापित करें और उनकी समस्याओं का त्वरित समाधान करें।



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