झांसी में एक चौकाने वाला मामला सामने आया है। जहां 90 साल की दादी को परिजन मृत समझ बैठे। मगर ढाई घंटे बाद ही उनकी सांस चलने लगी। दादी ने अचानक बोलना बंद कर दिया था। जब परिजनों ने हिलाया-ढुलाया तो कोई एक्टिविटी नहीं हुई।
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इससे घर में रोना-पीटना मच गया। दादी को बिस्तर से उठाकर जमीन पर दिया गया और सिर के पास अगरबत्ती जला दी। लेकिन ढाई घंटे बाद गंगाजल छिड़का तो उनकी सांस चलने की। इससे घर में खुशी का माहौल हो गया। पूरा मामला सीपरी बाजार थाना क्षेत्र के भोजला गांव का है।
शरीर में कोई एक्टिविटी नहीं थी
भोजला निवासी माया देवी (90) अपने परिवार के साथ रहती हैं। परिजनों का कहना है कि शुक्रवार सुबह करीब 10 बजे उनकी सांस चलनी बंद हो गई। परिवार के लोगों ने काफी देर तक उनको हिलाया ढुलाया। मगर उनके शरीर पर कोई एक्टिविटी नहीं हुई। पड़ोस में रहने वाले कंपाउंडर को बुलाकर उनकी नब्ज दिखाई गई। उसने भी उनको मृत बता दिया।
यह सुनकर परिवार में रोना धोना मच गया। मोहल्ले के लोग घर में जमा हो गए। परिजनों ने उनको मृत मान कर बिस्तर से नीचे उतारकर जमीन पर लिटा दिया। उनके पास बैठकर महिलाएं रोने-बिलखने लगीं। सिर के पास अगरबत्ती भी जला दी।
गंगाजल छिड़का को चल गई सांस
माया देवी के भतीजे संतोष वर्मा का कहना है कि करीब ढाई घंटे तक घर में रोना धोना मचा रहा। उनके शरीर में कोई प्रतिक्रिया नहीं हो रही थी। दोपहर 12:30 उनके छोटे बेटे रामकिशन ने आखिरी समय में गंगा छिड़कने की बात कहते हुए जैसे ही गंगा जल शरीर पर डाला तो उनकी सांस लौट आई। कुछ देर बात ही वह होश में आ गईं। हालांकि माया देवी का कहना है कि वह इतनी देर तक सोती रहीं, इसका उनको पता नहीं। मोहल्ले के लोगों में भी यह बात फैल गई।
ये न्यूरोमैटिक शॉक होता है
मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. जकी सिद्दिकी ने बताया कि कभी कभी मरीज न्यूरोमैटिक शॉक में चला जाता है। इसमें आदमी बिल्कुल मृत जैसा हो जाता है। मगर हार्ट धीरे-धीरे धड़कता रहता है। एकदम से कोई क्रिया-प्रतिक्रिया होने पर न्यूरोमैटिक शॉक टूट जाता है। उसके बाद उसे होश आ जाता है।