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Babu Jagjivan Ram: दलित परिवार से निकले बाबू जगजीवन राम ने आजादी की लड़ाई से लेकर 1971 की युद्ध विजय और हरित क्रांति तक देश को दिशा दी. उनका जीवन आज भी करोड़ों को प्रेरणा देता है.
बाबूजी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत स्वतंत्रता संग्राम से की.
हाइलाइट्स
- 1971 युद्ध के दौरान भारत के रक्षा मंत्री थे बाबू जगजीवन राम
- हरित क्रांति से भारत को खाद्य आत्मनिर्भरता दिलाने में निभाई अहम भूमिका
- दलितों की आवाज बने बिना खुद को कभी सीमित नेता नहीं माना
जब 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच ऐतिहासिक युद्ध हुआ और बांग्लादेश का जन्म हुआ, उस वक्त देश के रक्षा मंत्री थे बाबू जगजीवन राम. उस जीत में उनके प्रशासनिक कौशल और नेतृत्व की अहम भूमिका रही. यही नहीं उन्होंने रेलवे का विस्तार किया और जनता की पहुंच को आसान बनाया.
हरित क्रांति के नायक भी बने
1960 के दशक में जब देश को खाद्यान्न संकट झेलना पड़ रहा था, बाबूजी ने कृषि मंत्री के रूप में नई तकनीकों, बीजों और उर्वरकों को बढ़ावा दिया. इसके चलते भारत खाद्य आत्मनिर्भर बना और हरित क्रांति का इतिहास रचा गया.
1977 में जब उन्होंने कांग्रेस छोड़कर ‘कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी’ बनाई और जनता पार्टी के साथ मिलकर सरकार बनाई तब भी उन्होंने सिद्धांतों से कोई समझौता नहीं किया. मोरारजी देसाई सरकार में वे उप प्रधानमंत्री बने और अपनी अलग छाप छोड़ी.
दलितों के लिए मिसाल बनकर उभरे
बाबूजी का सबसे बड़ा योगदान यही था उन्होंने कभी भी अपनी पहचान को केवल ‘दलित नेता’ तक सीमित नहीं रखा. लेकिन दलितों की आवाज बनने से भी पीछे नहीं हटे. वो समानता और न्याय के सच्चे प्रहरी थे. उनकी बेटी मीरा कुमार ने भी उसी सोच को आगे बढ़ाया और देश की पहली महिला लोकसभा अध्यक्ष बनीं.
एक प्रेरणादायक विरासत
6 जुलाई 1986 को बाबू जगजीवन राम का निधन हुआ लेकिन वो आज भी करोड़ों भारतीयों के दिलों में जिंदा हैं. उनके संघर्ष, सादगी और सिद्धांत आज भी प्रेरणा देते हैं. खासकर उन युवाओं को जो समाज की दीवारों को तोड़कर आगे बढ़ना चाहते हैं.
Sumit Kumar is working as Senior Sub Editor in News18 Hindi. He has been associated with the Central Desk team here for the last 3 years. He has a Master’s degree in Journalism. Before working in News18 Hindi, …और पढ़ें
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